नई दिल्ली। महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित भीमा-कोरेगांव गांव में इस साल की शुरुआत में भड़की हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार पांच कार्यकर्ताओं की नजरबंदी 17 सितंबर तक के लिए बढ़ा दी है. दरअसल इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन बचावपक्ष के वकील अभिषेक मनुसिंघवी की गैरमौजूदगी के कारण केस की सुनवाई सोमवार तक के लिए टाल दी.बता दें कि महाराष्ट्र पुलिस ने इस हिंसा की जांच के सिलसिले में कई जगह छापे मारने के बाद हैदराबाद में वरवर राव, दिल्ली में गौतम नवलखा, हरियाणा में सुधा भारद्वाज और महाराष्ट्र में अरुण फरेरा और वेरनोन गोंजैल्वस को गिरफ्तार किया था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इन कार्यकर्ताओं की गिरफ्तार पर रोक लगाते हुए घर में ही नजरबंद रखने का आदेश दिया था और फिर नजरबंदी की अवधि 12 सितंबर तक के लिए बढ़ा दी थी.इन कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए मशहूर इतिहासकार रोमिला थापर और चार अन्य लोगों ने याचिका दायर की थी. इसपर प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सुनवाई करते हुए इन कार्यकर्ताओं को नजरबंद रखने का आदेश दिया.बेंच में शामिल जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इस मामले में पुलिस कार्रवाई पर कहा था, असहमति ही लोकतंत्र का सुरक्षा वाल्व है. अगर यह नहीं होगा तो प्रेशर कुकर फट जाएगा. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा से जुड़े कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी घटना के नौ महीने बाद ह़ुई है.
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