संघ प्रमुख भागवत बोले-स्वतंत्रता संग्राम में कांग्रेस का योगदान भी अहम था

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) की तीन दिवसीय व्याख्यानमाला सोमवार से दिल्ली में शुरू हो गई। पहले दिन इस कार्यक्रम में कई बड़े नेता, अभिनेता और कला जगत की ढेर सारी हस्तियां शामिल हुई। पहले दिन सरसंघचालक का भाषण आकर्षण का केंद्र रहा, जिसमें उन्होंने कांग्रेस पार्टी की तारीफ की। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ने स्वतंत्रता आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाई थी। कांग्रेस के रूप में एक बड़ा आंदोलन सारे देश में खड़ा हुआ स्वंयसेवक संघ के इस की तीन दिवसीय व्याख्यानमाला के केंद्र में हिंदुत्व होगा। वैसे कई विपक्षी नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित तो किया गया है लेकिन विपक्ष के शीर्ष नेताओं के शामिल होने की संभावना कम है। इस कार्यक्रम की विशिष्टता तीनों दिन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न समसामयिक विषयों पर संघ का विचार प्रस्तुत किया जाना है।कार्यक्रम का शीर्षक-भविष्य का भारत : आरएसएस का दृष्टिकोण, रखा गया है। इसमें कई गणमान्य लोगों के भाग लिए जाने की उम्मीद है, जिनमें धार्मिक नेता, फिल्म कलाकार, खेल हस्तियां, उद्योगपति और विभिन्न देशों के राजनयिक शामिल हैं। सूत्रों से मिली खबर में बताया गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी व समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव इस समारोह में शामिल नहीं होंगे।बताया जा रहा है कि इस कार्यक्रम में करीब 700-750 मेहमान आ सकते हैं। इनमें से 90 फीसदी लोग संघ से नहीं हैं। मोहन भागवत शुरुआती दो दिन में कार्यक्रम को संबोधित करेंगे, इसके अलावा आखिरी दिन वह जनता के सवालों का जवाब देंगे। मोहन भागवत इस दौरान करीब 200 से अधिक सवालों का जवाब देंगे। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपना फैसला बता दिया है, जबकि सीपीएम ने कहा कि येचुरी यात्रा पर हैं और आरएसएस की तरफ से कोई आमंत्रण भी नहीं आया है। कांग्रेस ने इसे लेकर आरएसएस पर कटाक्ष किया। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि आरएसएस और बीजेपी आमंत्रण भेजने को लेकर फर्जी खबर फैला रहे हैं, जैसे मानो यह किसी सम्मान का कोई मेडल हो। सुरजेवाला ने कहा कि इस तरह का कोई आमंत्रण कांग्रेस पार्टी को नहीं मिला है और यह कोई सम्मान का पदक नहीं हैं। उनके अंतर्निहित घृणा के एजेंडे से सभी लोग वाकिफ हैं। आरएसएस की स्थापना साल 1925 में हुई थी और यह सत्तारूढ़ बीजेपी के विचारधारा का स्रोत है। आरएसएस के एक प्रवक्ता ने कहा कि संघ की आलोचना सभी के द्वारा की जा रही है, खास तौर से विपक्ष द्वारा।आरएसएस मानता है कि समाज के बड़े तबके की उत्कंठा बढ़ रही है, जिसमें बुद्धिजीवी और युवा भी शामिल हैं, जो विभिन्न मुद्दों पर आरएसएस का नजरिया जानना चाहते हैं। इस व्याख्यानमाला का आयोजन विज्ञान भवन में किया जा रहा है।

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