एक परिचय -गुंजन बिष्ट अरोड़ा

अमित खोलिया, एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN
आज आपका परिचय करवाते हैं एक ऐसी महिला से जिसने वास्तव में समाजसेवा शब्द को चरितार्थ किया है,नाम है गुंजन बिष्ट अरोड़ा।
गुंजन का लक्ष्य विशेष रूप से उन बच्चों पर रहा है जो सड़कों पर भीख मांगते,कूड़ा बिनते हुवे हल्द्वानी शहर में देखे जाते हैं और जिन्हें स्कूल शब्द का अर्थ ही नहीं पता। आज गुंजन के प्रयासों की बदौलत उन्होंने ऐसे कुल 64 बच्चे ढूढ निकाले हैं जो इस तरह भीख और कूड़ा बिनने का काम करते हैं। जिसमें से 24 बच्चे अब निरंतर स्कूल जाते हैं और 20 बच्चों को वो नियमित सुबह अपने निजी एक हॉल में शिक्षा देती हैं और उन्हें भीख न मानने और कूड़ा न उठाने की प्रेरणा देती हैं और सबसे अच्छी बात इन 20 बच्चों को नियमित अपने द्वारा दोपहर का भोजन बनाकर खिलाती हैं। ये 44 बच्चे को वो दोपहर से पूर्व का समय देती हैं और ये सभी बच्चे अभी छोटे हैं।गुंजन की दूसरी शिफ्ट सायं के समय शुरू होती है जिसमें 20 बालिकाएं आती हैं जो सभी 14 वर्ष से ज्यादा हैं और ये वो बालिकाएं कभी स्कूल नहीं गयी। इनको भी गुंजन  शिक्षा दे रही हैं। ये सारे कार्य गुंजन द्वारा एकदम निस्वार्थ और निःशुल्क दिए जाते हैं। खाने के अलावा इन बच्चों को गुंजन द्वारा कपड़े,पठन पाठन संबधित सामग्री व अन्य जरूरत की चीजें एकदम निःशुल्क प्रदान की जाती हैं। गुंजन के साथ साथ उन दो बालिकाओं का नाम न लेना एक प्रकार से नाइंसाफी सी होगी जो गुंजन के इस कार्य में उन्हें पूरी तरह सहयोग कर रही हैं और वो दो नाम हैं दीपिका रौतेला व मोनिका मौर्य। इसके अलावा गुंजन जी कई असहाय,निर्धन और मानसिक रूप से कमजोर लोगों का इलाज व उनकी हरसंभव मदद भी कर चुकी हैं। गुंजन को पूर्व में तीलू रौतेली पुरुष्कार से भी नवाजा जा चुका है। गुंजन अपने इस महान कार्य के लिए उन सभी के सहयोग के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करती हैं जो इन बच्चों के लिए आज उन्हें किसी भी रूप में सहयोग देता है।गुंजन के इन प्रयासों को नमन। धन्य हैं ऐसे लोग जो आभासी दुनिया छोड़ धरातल पर उतरकर वास्तव में असल समाजसेवा करते हैं।

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