मुंबई। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार सरकार करेंट अकाउंट डेफिसिट को घटाने के लिए गोल्ड को लेकर किसी तरह की कोई छेड़छाड़ करने के मूड में नहीं है। सरकार का इरादा न तो जूलरी की डिमांड को कम करने के लिए इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का है और न ही सरकार गोल्ड में फिजिकल निवेश को कम करने के लिए कोई योजना लाने वाली है। हां, सरकार का इरादा भविष्य में फिजिकल गोल्ड में निवेश की डिमांड को गोल्ड बॉन्ड (पेपर गोल्ड) की तरफ शिफ्ट करने की जरूर है।ऐसी खबरें जोर पकडऩे लगी थीं कि सरकार कैड को कम करने के लिए गैर-जरूरी इंपोर्ट पर बंदिशें लगाने की योजना बना रही है। चूंकि गोल्ड गैर-जरूरी इंपोर्ट की कैटिगरी में आता है, इसलिए गोल्ड पर गाज गिर सकती है। सूत्रों के हवाले से सरकार अभी किसी वर्ग को नाराज करना नहीं चाहती। जेम्स ऐंड जूलरी डॉमेस्टिक काउंसिल के पूर्व चेयरमैन बछराज बामलवा कहते हैं, आप अपने घर में जाकर अपनी दादी-मां को पूछें कि क्या गोल्ड गैर-जरूरी है। तो सरकार इसे कैसे गैर-जरूरी इंपोर्ट में डाल सकती है जहां तक गोल्ड रिस्ट्रिक्शन की बात है तो वह न तो 80:20 स्कीम के तहत सफल रहा और न ही गोल्ड कंट्रोल ऐक्ट के वक्त। दोनों वक्त गोल्ड की खपत यथावत रही। सरकार इन सभी तथ्यों को समझती है।तो क्या कैड को कम करने के लिए गोल्ड का इंपोर्ट कम करना सरकार की मजबूरी नहीं जवाब में बछराज बामलवा कहते हैं, अब जहां तक कैड को कम करने के लिए गोल्ड इंपोर्ट को कम करने की बात है तो दोनों का आपस में कोई संबंध ही नहीं है। 2012 में गोल्ड 1900 डॉलर और क्रूड 147 पर था और अब गोल्ड 1200 डॉलर और क्रूड 70 डॉलर पर है, तो ऐसे में गोल्ड इंपोर्ट को कम करने की बात उठी क्यों है, समझ से परे है।आईबीजेए के नैशनल सेक्रटरी सुरेंद्र मेहता कहते हैं, लगता नहीं है कि सरकार गोल्ड पर किसी तरह की कोई बंदिश लगाएगी, क्योंकि ऐसी स्थितियों में गोल्ड पर प्रीमियम तो बढ़ता ही है, साथ ही चंद लोग फायदा लेते हैं। यह सरकार ऐसे कामों को कभी बढ़ावा नहीं देगी। हां, 20-25 पर्सेंट जो गोल्ड की फिजिकल डिमांड निवेश को लेकर है, उसको गोल्ड बॉन्ड की तरफ शिफ्ट करने के लिए कुछ 2-3 पर्सेंट इंसेटिव दे सकती है। अगर सरकार ऐसा करती है तो 60-70,000 करोड़ गोल्ड का इंपोर्ट कम हो जाएगा। दूसरी तरफ, उम्मीदमल त्रिलोकचंद जवेरी के प्रमुख कुमार जैन कहते हैं, टैक्स अधिक होने से गोल्ड को लेकर उपभोक्ता की पसंद पर रोक नहीं लगेगी, लेकिन इससे गोल्ड का बेनामी व्यापार बढ़ सकता है। इंपोर्ट ड्यूटी में इजाफा होने पर गोल्ड से जुड़ी ट्रांजैक्शंस कैश में शिफ्ट हो सकती हैं। इसकी तस्करी में वृद्धि होती है। ऐसे में सरकार ऐसे तरीकों को बिल्कुल खारिज करेगी।
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