आसियान ने भारत के साथ नवंबर में औपचारिक सम्मेलन करने से किया इंकार

नई दिल्ली। जब भारत ने गणतंत्र दिवस पर आसियान के 10 नेताओं को न्योता दिया था तो इसे अंदाजा नहीं था कि आसियान नवंबर में भारत के साथ दूसरा सम्मेलन आयोजित करने से इनकार कर देगा। यह तब जाकर पता चला जब चीन, जापान और अन्य साझीदारों के साथ नवंबर में बैठक करने जा रहे आसियान की तरफ से बताया गया कि भारत के साथ सम्मेलन हर साल की तरह औपचारिक नहीं होगा।आसियान के नियमों के मुताबिक, क्षेत्रीय ग्रुप बाहरी साझेदारों के साथ साल में दो बैठक नहीं करता। आसियान के 10 राष्ट्राध्यक्ष गणतंत्र दिवस पर भारत में थे और जनवरी में सम्मेलन हुआ था, तो फिर नवंबर में भारत के साथ कोई औपचारिक बैठक नहीं होगी। इसका मतलब है कि भारत ईस्ट एशिया सम्मिट का हिस्सा होगा, लेकिन भारत के साथ औपचारिक बैठक नहीं होगी।जब यह बात भारत को पता चली, तो इसने अपनी नाखुशी जाहिर की। विदेश मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने आसियान नेतृत्व को संदेश भिजवाया कि अगर भारत के साथ सम्मेलन नहीं होगा तो पीएम मोदी सिंगापुर नहीं जाएंगे। यह देखना भी अजीब होता अगर भारत नवंबर में खुद को सिंगापुर सम्मेलन से दूर रखता, विशेषकर तब जब अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी इस सम्मेलन से दूर रहने वाले हैं। इस कूटनीतिक शोरशराबे का नतीजा था कि अब पीएम मोदी नवंबर 11-15 के बीच सिंगापुर में आसियान नेताओं के साथ अनौपचारिक ब्रेकफास्ट मीटिंग करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, आसियान के मौजूदा अध्यक्ष होने के नाते सिंगापुर इस नियम को लागू करने और क्षेत्र के बाहर सम्मेलन कराने पर प्रतिबंध के पक्ष में है। चूंकि क्षेत्र में सिंगापुर भारत का महत्वपूर्ण साझीदार है, तो यह गंभीर समस्या बन गई है। आसियान सचिवालय को समस्या से अवगत कराया गया है, ताकि अधिकारी हल निकालें जो राजनीति से प्रेरित न हो। भारतीय अधिकारियों – सचिव (पूर्व) प्रीति सरन, आसियान में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सुरेश रेड्डी और सिंगापुर में भारत के राजदूत जावेद अशरफ के साथ मिलकर समाधान निकाला गया। मोदी अब अनौपचारिक ब्रेकफास्ट मीटिंग में आसियान नेताओं से मिलेंगे।

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