भारत-रूस के बीच होंगे 7 अरब डॉलर के करार

नई दिल्ली। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे का आज दूसरा दिन है। शुक्रवार को पीएम मोदी और पुतिन के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद कई अहम समझौतों पर मुहर लग सकती है। सूत्रों के मुताबिक दोनों देशों के बीच तकरीबन 7 अरब डॉलर के रक्षा समझौतों पर फैसला हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक 5.2 अरब डॉलर की लागत वाली एस-400 एयर डिफेंस डील के तहत 5 रेजिमेंट्स के लिए करार होगा। इस डील को शीर्ष स्तर से मंजूरी मिल चुकी है और मोदी-पुतिन के बीच बैठक के दौरान इस पर हस्ताक्षर होंगे। इस मिसाइल सिस्टम के 2020 तक डिलिवर होने की संभावना है। भारतीय वायुसेना के बेड़े में एस-400 मिसाइलों के जुडऩे के बाद उसे खासी मजबूती मिलेगी और पाकिस्तानी वायुसेना की मारक क्षमता को इससे आसानी से साधा जा सकेगा। शुक्रवार को होने वाले कॉन्ट्रैक्ट्स में से एक अहम करार नेवी के लिए 4 नए वॉरशिप तैयार करने का होगा। इस पर 2.2 अरब डॉलर की लागत आएगी। अडवांस तलवार क्लास युद्धक जहाजों का नेवी को लंबे वक्त से इंतजार हैं। इनमें से दो को गोवा शिपयार्ड में तैयार किया जाएगा, जबकि दो को रूस के यांतर शिपयार्ड में बनाया जाएगा। इन वॉरशिप्स की अधिक कीमत की वजह यह है कि इस डील में टेक्नॉलजी ट्रांसफर और शिपयार्ड में नई फैसिलिटीज डिवेलप करने की बात भी शामिल है।भारत में रूसी राइफल एके-103 की भारत में मैन्युफैक्चरिंग को लेकर भी करार होगा। इसमें भारत के ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड की साझेदारी होगी। सूत्रों के मुताबिक इस डील में भी टेक्नॉलजी ट्रांसफर और स्वदेशी चीजों को शामिल करने को लेकर सहमति बन चुकी है। भारत और रूस के बीच कई अहम समझौते इसलिए भी नहीं हो पाएंगे क्योंकि रक्षा मंत्रालय के पास इनके लिए फंड की भी कमी है। इनमें 1.1 अरब डॉलर के नए मीडियम लिफ्ट हेलिकॉप्टर्स के लिए करार भी शामिल है। दोनों देशों के बीच 2015 से ही 48 एमआई-17 वी5 चॉपर्स को लेकर बातचीत चलती रही है। फंड की कमी के अलावा इन डील्स के तहत रूस को दी जाने वाली पेमेंट्स में भी भारत को समस्या होगी। इसकी वजह अमेरिकी प्रतिबंध हैं। अमेरिकी प्रतिबंध उन बैंकों पर लागू होते हैं, जो पैसों का ट्रांसफर करते हैं। ऐसे में दोनों देश एक वैकल्पिक रास्ते की खोज में हैं। सूत्रों के मुताबिक अमेरिकी चुनौती से निपटने के लिए दोनों देश संस्थानिक मेकेनिज्म डिवेलप करने की कोशिश में हैं। इन उपायों में मिलिट्री साजोसामान की खरीद के लिए एक विशेष बैंक ही स्थापित करने की भी तैयारी है। इसके अलावा रूस को उसकी करंसी रूबल में ही मनी ट्रांसफर करने पर भी विचार चल रहा है।

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