एस-400 डील: अमेरिका को साधने डिप्लोमैटिक कैंपेन शुरू करेगा भारत

नई दिल्ली। रूस के साथ एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की डील पर भारत की मुहर लगने के बाद अब भारत की तैयारी अमेरिका को साधने की है। भारत महत्वपूर्ण डिप्लोमैटिक-मिलिटरी कैंपेन कर अमेरिका से इस डील में छूट दिए जाने की मांग करेगा। बता दें कि लंबे समय के इंतजार के बाद भारत और रूस की द्विपक्षीय बातचीत में इस डील पर मुहर लगी है। भारत ने रूस के साथ एस-400 के अलावा 7 समझौते और किए हैं।भारत के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि भारत ने ट्रंप प्रशासन को इस बात के लिए आश्वस्त किया है कि वह हथियार के सिस्टम की ऑपरेशनल गोपनीयता से कभी समझौता नहीं करेगा। सूत्र ने बताया, भारत ने अमेरिका से यह भी कहा है कि वह तकनीकी तौर पर मजबूती बनाए रखेगा और किसी भी देश की गोपनीय जानकारी किसी तीसरे देश को नहीं देगा। हम दो देशों के बीच हुए समझौतों के साथ इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट का सम्मान करते हैं।सिक्यॉरिटी पर बनी कैबिनेट कमिटी द्वारा 26 सितंबर को एस-400 डील को लेकर सहमति मिलने के बाद भारत के अधिकारियों द्वारा कई बार अमेरिका का दौरा किया गया और उसे इस डील के लिए राजी करने का प्रयास भी किया गया। 22-23 अगस्त को एक उच्च स्तरीय टैक्निकल टीम के टॉप ऑफिसरों ने भारतीय वायु सेना के डेप्युटी चीफ एयर मार्शल आर नांबियार (अब ईस्टर्न एयर कमांड चीफ) के नेतृत्व में अमेरिका का दौरा किया था। इसके बाद सितंबर के मध्य में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अमेरिका का दौरा किया था। =सूत्रों का कहना है कि भारत मजबूती से अमेरिका तक अपनी बात पहुंचाने में कामयाब रहा है। साथ भारत ने अमेरिका को यह भी बताया कि एस-400 डील भारतीय सीमाओं की सुरक्षा के लिए कितनी जरूरी है। लेकिन उन्होंने यह बात भी स्वीकार की है कि इस डील में भारत को अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट मिलेगी या नहीं इस पर अंतिम फैसला राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ही लेंगे। ट्रंप के निर्देश पर रूसी हथियार या ईरान से तेल खरीदने पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया है। बताया जा रहा है कि एस-400 सिस्टम एयरक्राफ्ट और रेडार जैसे प्लैटफॉर्म के डेटा रेकॉर्ड करने में सक्षम है। बता दें कि भारत अमेरिका के एफ-35 को खरीदने में रूचि दिखा चुका है, लेकिन भारत अमेरिका के साथ पहले कई तरह के महत्वपूर्ण हथियार खरीदने की डील कर चुका है। इनमें से कुछ पर भारत और अमेरिका के 2+2 डायलॉग के दौरान मुहर लगी थी। अमेरिका के रक्षा मंत्री जिम मैटिस और विदेश माइक पॉम्पियो जो 2+2 डायलॉग के दौरान भारत में थे, ने भी इस प्रतिबंध से भारत को छूट दिए जाने की वकालत की थी। पिछले महीने ही अमेरिका ने चीन पर रूस से एस-400 और सुखोई-35 खरीदने पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे।

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