लखनऊ। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के तट पर बसा उत्तर प्रदेश का इलाहाबाद जिला अब प्रयागराज के नाम से जाना जाएगा। मंगलवार को हुई यूपी कैबिनेट की बैठक में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। लंबे समय से संत और स्थानीय लोग इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने की मांग कर रहे थे। अगले साल तीर्थराज प्रयाग में कुंभ मेले का आयोजन होने वाला है जिसमें दुनियाभर से करोड़ों लोगों के आने की संभावना है। राज्य सरकार की इसकी तैयारी पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है।इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि संतों और अन्य गणमान्य लोगों ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किए जाने का प्रस्ताव रखा है। सरकार ने पहले ही प्रयागराज मेला प्राधिकरण का गठन करने की सिद्धांत रूप में मंजूरी दे दी थी। मुख्यमंत्री ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किए जाने को समर्थन देते हुए कहा कि जहां दो नदियों का संगम होता है, उसे प्रयाग कहा जाता है। उत्तराखंड में भी ऐसे कर्णप्रयाग और रुद्रप्रयाग स्थित है। हिमालय से निकलने वाली देवतुल्य दो नदियों का संगम इलाहाबाद में होता है और यह तीर्थों का राजा है। ऐसे में इलाहाबाद का नाम प्रयाग राज किया जाना उचित ही होगा।इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किए जाने के प्रस्ताव पर अंतिम मुहर मंगलवार को कैबिनेट बैठक में लगा दी गई। अब कुंभ से पहले ही इलाहाबाद का नाम पूरी तरह से प्रयागराज कर दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने इसकी जानकारी दी।हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, ब्रह्मांड के निर्माता ब्रह्मा ने इसकी रचना से पहले यज्ञ करने के लिए धरती पर प्रयाग को चुना और इसे सभी तीर्थों में सबसे ऊपर, यानी तीर्थराज बताया। कुछ मान्यताओं के मुताबिक ब्रह्मा ने संसार की रचना के बाद पहला बलिदान यहीं दिया था, इस कारण इसका नाम प्रयाग पड़ा। संस्कृत में प्रयाग का एक मतलब बलिदान की जगह भी है। मुगल बादशाह अकबर के राज इतिहासकार और अकबरनामा के रचयिता अबुल फज्ल बिन मुबारक ने लिखा है कि 1583 में अकबर ने प्रयाग में एक बड़ा शहर बसाया और संगम की अहमियत को समझते हुए इसे अल्लाह का शहर, इल्लाहाबास नाम दे दिया। उन्होंने यहां इलाहाबाद फोर्ट का निर्माण कराया, जिसे उनका सबसे बड़ा किला माना जाता है। जब भारत पर अंग्रेज राज करने लगे तो रोमन लिपी में इसे अलाहाबाद लिखा जाने लगा। नाम बदलने जाने के दौरान यह शहर धार्मिक रूप से हमेशा ही बेहद संपन्न रहा है। वर्धन साम्राज्य के राजा हर्षवर्धन के राज में 644 सीई में भारत आए चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने अपने यात्रा विवरण में पो-लो-ये-किया नाम के शहर का जिक्र किया है, जिसे इलाहाबाद माना जाता है। उन्होंने दो नदियों के संगम वाले शहर में राजा शिलादित्य (राजा हर्ष) द्वारा कराए एक स्नान का जिक्र किया है, जिसे प्रयाग के कुंभ मेले का सबसे पुराना और ऐतिहासिक दस्तावेज माना जाता है। हालांकि, इसे लेकर कुछ साफ तरीके से नहीं कहा गया है क्योंकि उन्होंने जिस स्नान का जिक्र किया है वह हर 5 साल में एक बार होता था, जबकि कुंभ हर 12 साल में एक बार होता है।
Related posts
-
काकोरी ट्रेन एक्शन के सौवें वर्ष पर दस्तावेजों की लगी प्रदर्शनी
क्रांतिगाथा ———————— – काकोरी एक्शन और भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के सही इतिहास और विरासत से कराया... -
कुरआन मजीद पर यह लिखकर अशफाक ने चूमा था फांसी का फंदा
डॉ. शाह आलम राना, एडीटर-ICN HINDI लखनऊ : अशफाक उल्ला खां एक ऐसे क्रांतिवीर जो वतन... -
बलिदान दिवस पर सपा जिलाध्यक्ष तनवीर खां ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि
शाहजहांपुर। बलिदान दिवस पर सपा जिला अध्यक्ष एवं पूर्व चेयरमैन तनवीर खान ने टाउन हॉल स्थित...