वॉशिंगटन। पत्रकार जमाल खाशोगी के लापता होने के बाद से सऊदी अरब की किरकिरी हो रही है।अब वहां होनेवाले समिट में भी अमेरिका और यूके ने जाने से इनकार करके सऊदी अरब की टेंशन और बढ़ा दी हैं। इससे तिममिलाए सऊदी ने आरोपों को नकारते हुए धमकी दी है कि अगर उनपर कार्रवाई हुई तो वे जवाब बड़ी कार्रवाई से देंगे।दरअसल, खुद को आधुनिक दिखाने के एजेंडा पर काम कर रहे सऊदी ने वहां फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनिशटिव नाम से बड़े निवेश सम्मेलन का आयोजन किया है, लेकिन बड़े देशों और नामों के हटने से इसकी रौनक में कमी आना तय लग रहा है। पत्रकार के गायब होने के बाद कई बड़े मीडिया हाउस भी कार्यक्रम का बहिष्कार कर रहे हैं। यह पूरा मामला सऊदी के जमाल खाशोगी से जुड़ा है जो वॉशिंगटन पोस्ट के लिए लिखते हैं। वह अरब के शाही परिवार के आलोचक रहे हैं। वह क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की नीतियों के खिलाफ खुलकर लिखते हैं। दो अक्टूबर को वह इस्तांबुल में सऊदी दूतावास गए थे और उसके बाद से ही लापता हो गए। वहां वह अपनी शादी के लिए जरूरी कागजात लेने पहुंचे थे। तुर्की के जांचकर्ताओं को शक है कि दूतावास के भीतर ही उनकी हत्या कर शव को वहीं ठिकाने लगा दिया गया। हालांकि, सऊदी अरब ने इन आरोपों को खारिज किया है। मामले पर रविवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सऊदी को चेतावनी देते हुए कहा था अगर खाशोगी के लापता होने में सऊदी का हाथ हुआ तो उन्हें सजा के लिए तैयार रहना होगा। इसके बाद सऊदी की स्टॉक मार्केट ने भी गोता लगा लिया था। मामले को बढ़ता देख सऊदी ने भी रविवार शाम को बयान जारी किया। मिल रही धमकियों और लग रहे आरोपों पर सऊदी की सरकारी प्रेस एजेंसी ने कहा, हम पूरी दृढ़ता के साथ हमें दबाने की कोशिशों का विरोध करते हैं। चाहे वह आर्थिक प्रतिबंध लगाने की बात हो, राजनीतिक प्रेशर बनाने की या फिर झूठे आरोप लगाने की। बयान में यह भी कहा गया कि अगर हमारे खिलाफ ऐक्शन लिया गया, तो हम जवाब उससे बड़े ऐक्शन से देंगे। उन्होंने चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि ग्लोबल मार्केट में सऊदी मार्केट का भी बड़ा रोल है।यूरोप के बड़े अर्थतंत्र ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी का रवैया भी कुछ-कुछ अमेरिका ऐसा ही है। रविवार को तीनों देशों ने साझा बयना जारी कर कहा कि वह मामले को लेकर काफी गंभीर हैं। तीनों देशों ने उच्च दर्जे की जांच की मांग उठाई है, जिससे सच सामने आए। सभी ने गहन जांच की रिपोर्ट मुहैया करवाने को कहा है। दूसरी तरफ तुर्की खुले तौर पर सऊदी पर पत्रकार की हत्या का आरोप लगा रहा है। वहां की प्रेस एजेंसी ने दावा किया है कि उनके पास मामले से संबंधित अहम ऑडियो और विडियो है। हालांकि, सऊदी इन आरोपों को अबतक नकारता रहा है। 23 अक्टूबर से सऊदी अरब में फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनिशिएटिव होना था। इसे दावोस इन डेजर्ट कहा जा रहा है। खाशोगी का मामला उछलने के बाद कई मीडिया हाउसेज, कंपनियों और जाने-जाने लोगों ने इसमें जाने से इनकार कर दिया है। वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम, ऊबर के सीईओ दारा खुशरोशाही, वियाकॉम के सीईओ बॉब बकिश इसमें शामिल नहीं होंगे। जेपी मोर्गन के सीईओ जेम्स डाइमन और फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड ने भी रियाद जाना कैंसल कर दिया है। वहीं मीडिया में इकनॉमिस्ट, एल ए टाइम्स, सीएनएन, न्यूयॉर्क टाइम्स, ब्लूमबर्ग, फाइनैंशल टाइम्स, सीएनबीसी आदि इसका बहिष्कार करेंगे।
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