सबरीमाला विवाद: बसों का संचालन ठप, महिला पत्रकार बीच रास्ते से वापस लौटी

तिरुवनंतपुरम। सबरीमाला मंदिर के कपाट तो खुल गए लेकिन महिलाओं के प्रवेश को लेकर विवाद जारी है। गुरुवार को केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) ने बसों का संचालन रोक दिया गया है। दरअसल बुधवार को निलक्कल के पास लाका में प्रदर्शनकारियों ने एक केएसआरटीसी की बस में तोड़-फोड़ की थी। वहीं मंदिर में प्रवेश की कोशिश कर रही महिला पत्रकार को भीड़ ने आगे नहीं बढऩे दिया। इसके बाद उन्हें वापस लौटने को मजबूर होना पड़ा।दूसरी ओर सबरीमाला संरक्षण समिति ने 12 घंटे का राज्यव्यापी बंद बुलाया है जिसे बीजेपी, अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद और अन्य संगठन भी समर्थन दे रहे हैं। उधर निलक्कल, पंपा, एल्वाकुलम, सन्निधनम में धारा 144 लागू कर दी गई है जहां इस इलाके में एकसाथ चार से ज्यादा लोग जमा नहीं हो सकते हैं।प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने दोनों पत्रकारों को लौटने पर मजबूर कर दिया। सुहासिनी प्रदर्शनकारियों से यह कहती रहीं कि वह यहां पूजा करने नहीं बल्कि अपने काम के सिलसिले में आई हैं। पुलिस ने बताया, सुहासिनी जब मराकोट्टम पहुंचीं तो आगे लोगों की भीड़ देखकर वापस लौटने का फैसला किया। उन्हें मंदिर के अंदर जाने की अनुमति दे चुकी थी। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया, भक्तों का यह बहुत बड़ा प्रदर्शन था। प्रदर्शनकारी रास्ते में बैठे थे और नारे लगा रहे थे। उसके पास कोई और रास्ता नहीं था और उसे मजबूरन लौटना पड़ा।हालांकि तिरुवनंतपुरम रेंज के आईजीपी का कहना है, सुहासिनी को वापस जाने के लिए मजबूर नहीं किया था वह खुद वापस गई थीं। हम मंदिर जाने वाले सभी भक्तों को सुरक्षा देंगे। यह हमारी ड्यूटी है कि सभी तीर्थयात्रियों को सुरक्षा दी जाए। हम और अधिक पुलिसबल तैनात करेंगे और मंदिर मार्ग को सुरक्षा देंगे। सबरीमाला मंदिर के मुख्य पुजारी कंदरारू राजीवरू ने कहा, यह खतरनाक स्थिति है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ज्यादातर भक्त बेकाबू हो गए हैं। मेरी विनती है कि सबरीमाला मंदिर की व्यवस्था और रिवाजों को बनाए रखें। मैं हिंसा से सहमत नहीं हूं। हिंसा भक्तों द्वारा नहीं बल्कि अन्य लोगों द्वारा की गई है। सुप्रीम कोर्ट के 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत देने वाले आदेश का विरोध कर रहे कुछ संगठनों और पुलिस के बीच बुधवार को झड़पे हुईं। 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से मंदिर का दरवाजा पहली बार बुधवार शाम 5 बजे खोला गया था। इस वक्त श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए जा रहे हैं। इनमें महिलाएं भी हैं लेकिन 50 साल से अधिक उम्र वाली।

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