राव पहले पुलिस अधिकारी थे जिन्होंने ओडिशा में 1996 में एक रेप केस में जांच के लिए पहली बार डीएनए फिंगर प्रिंट का प्रयोग किया, जिसकी वजह से अपराधी को सात साल की सज़ा हुई.
मंगलवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति ने उन्हें सीबीआई के डायरेक्टर पद पर नियुक्त किया. यह फैसला उस वक्त आया, जब सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना अपने ही विभाग द्वारा अपने ही खिलाफ दायर एफआईआर के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट चले गए. बाद में कोर्ट ने आदेश दिया कि अस्थाना के खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. मीट कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े घूस मामले में अपने खिलाफ दायर एफआईआर को लेकर सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना ने मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट में अपील दायर की थी. कोर्ट ने सुनवाई करने के बाद कहा कि अगली सुनवाई तक अस्थाना के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. एम नागेश्वर राव 1986 बैच के उड़ीसा कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं. वह इससे पहले सीबीआई में ज्वाइंट डायरेक्टर के पद पर तैनात थे.सीबीआई के निदेशक बनने के पहले वह दक्षिणी ज़ोन के ज्वाइंट डायरेक्टर थे. उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में उन्होंने शारदा चिट फंड स्कैम की जांच भी की. 2008 में सीआरपीएफ, ईस्टर्न सेक्टर के आईजी के पद पर रहते हुए उन्होंने कोलकाता के लालगढ़ में नक्सलवादियों के खिलाफ व्यक्तिगत स्तर पर ऑपरेशन की अगुवाई की थी. सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन को बनाने में भी इन्होंने बड़ी भूमिका अदा की. 2008 में ही आईजी सीआरपीएफ के रूप में काम करते हुए इन्होंने कंधमाल जिले में दंगों को नियंत्रित करने में भी बड़ी भूमिका निभाई.सूत्रों ने बताया कि ऐसी सूचना है कि सीबीआई मुख्यालय सील कर दिया गया है. वहां न तो सीबीआई कर्मियों और न ही बाहरी लोगों को जाने की इजाजत दी जा रही है, क्योंकि अधिकारियों की एक टीम इमारत में है.