नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा फ्रांस से खरीदे जा रहे राफेल विमान की कीमत से संबंधित जानकारियां मांगे जाने के कुछ घंटे बाद ही सरकार से जुड़े एक टॉप सॉर्स ने बताया कि सरकार इस मामले में ऐफिडेविट दाखिल करके ऐसा करने में असमर्थता जताएगी। सूत्र ने बताया कि अटर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच के सामने कहा कि यहां तक कि फुली-लोडेड राफेल जेट की कीमतों के बारे में संसद तक को नहीं बताया गया है।इस पर बेंच ने अटर्नी जनरल से कहा कि यदि यह विवरण इतना ‘विशेष’ है और इसे न्यायालय के साथ भी साझा नहीं किया जा सकता है तो केंद्र को ऐसा कहते हुए हलफनामा दाखिल करना चाहिए। बेंच ने वेणुगोपाल से अपनी मौखिक टिप्पणी में कहा, ‘यदि कीमतें विशेष हैं और आप हमारे साथ इन्हें साझा नहीं कर रहे हैं तो ऐसा कहते हुए हलफनामा दायर कीजिए।ज् बेंच ने यह भी कहा कि गोपनीय और रणनीतिक महत्व वाली जानकारियों को बताने की जरूरत नहीं है।आपको बता दें कि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट राफेल डील से संबंधित चार याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। इसमें से एक ऐडवोकेट प्रशांत भूषण, पूर्व मंत्री अरुण शौरी व यशवंत सिन्हा की याचिका भी है। इसमें तीनों कोर्ट की मॉनिटरिंग में सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 नवंबर की तारीख तय की है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सुनवाई करते हुए बुधवार को स्पष्ट किया कि इस समय वह विवरण जिसे सरकार ‘सामरिक और गोपनीय’ समझती है उसे न्यायालय के समक्ष पेश करे और इसे याचिकाकर्ताओं के वकीलों को नहीं दिया जा सकता है। न्यायालय ने अपने आदेश में इस तथ्य को नोट किया कि उसके 10 अक्टूबर के निर्देश के अनुरूप सरकार ने सीलबंद लिफाफे में एक नोट में 36 राफेल जेट लड़ाकू विमान खरीदने के निर्णय की प्रक्रिया के कदमों का विवरण दिया है। गौरतलब है कि राफेल डील को लेकर कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमलावर है। वहीं, दूसरी ओर बीजेपी का कहना है कि इस डील से संबंधित जानकारियां सार्वजनिक होने से दुश्मन देश फायदा उठा सकते हैं।
राफेल की कीमत से जुड़ी जानकारियां सुप्रीम कोर्ट को नहीं देगी केंद्र सरकार
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