इस दीपावली २०१८ में लिखी हुयी मेरी नवीन कविता

डॉ अमेय त्रिपाठी  “वो बचपन वाले दिए ,फिरसे आज जलाते हैं फिर से इंद्रधनुष सी खुशियां ,इस दिवाली लाते हैं फिरसे अपने अंदर वो नवदीप जलाते हैं फिर से सपनो की कोई कच्ची सेज सजाते हैं. स्वप्नलोक के राजकुमार से अपने को बन जाने दे सारी बातें भूलकर,खुशियों को अंदर आने दे. आज पुरानी यादों के फिर से दिए जलाते हैं फिर से इंद्रधनुष सी खुशियां ,इस दिवाली लाते हैं जीवन के सारी गांठों को आज यहीं उतार दे. अपने अबोध अबाध से मन को आज हास्य से तार दे…

Read More

दीपोत्सव की अनंत शुभकामनाओं के साथ

सुरेश ठाकुर बरेली: सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिवाली पर पटाख़ा फोड़ने की समय सीमा निर्धारित किए जाने को लेकर आम जनमानस में रोष और अवमानना का भाव है | हमें लगता है न्यायालय का ये क़दम हमारी ख़ुशियों पर ताला लगाने जैसा है | हमें ये भी लगता है कि हमारे त्योहारों को लेकर यक़ीनन कोई गहरी साजिश चल रही है |किंतु यदि हम थोड़ा सा विचार करें तो पायेंगे कि न्यायालय का ये क़दम हमारे लिए Restriction नहीं बल्कि Prescription है | पर्यावरण की शुद्धता को मिल रही जिन चुनौतियों…

Read More