कोच्चि। सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर चल रहे विवाद के बीच केरल सरकार ने कहा है कि सबरीमाला मंदिर धर्मनिरपेक्ष है और सभी के लिए यहां के दरवाजे खुले हैं। बीजेपी की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सबरीमाला मंदिर में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर बैन की मांग की गई है। इस याचिका पर हाई कोर्ट ने केरल सरकार से पक्ष मांगा था। सोमवार को केरल सरकार की तरफ से कहा गया है कि सबरीमाला मंदिर धर्म निरपेक्ष है और यह सभी धर्मों के लिए खुला है।सरकार की तरफ से दायर किए गए शपथपत्र में कहा गया है, यह ऐतिहासिक सत्य है कि सबरीमाला मंदिर धर्मनिरपेक्ष है। मंदिर में किसी भी श्रद्धालु का धर्म या जाति के आधार पर प्रवेश प्रतिबंधित नहीं है। शपथपत्र में लिखा है, यह सच है कि सन्नीधनम में वावर नादा सबरीमाला के साथ सह-अस्तित्व में थे। अति प्राचीन काल से मुसलमान वावर नादा और सबरीमाला मंदिर दोनों जगह प्रार्थना करने आते थे।इसमें यह भी कहा गया है कि अयप्पा के पुजारी जाति और धर्म से अलग हटकर सबरीमाला मंदिर से पहले इरुमेली की वावर पल्ली (मस्जिद) में प्रार्थना करते थे। यह भी सच है कि पेटता थुलाल जो सबरीमाला मंदिर के श्रद्धालुओं का एक धार्मिक हिस्सा है वह वावर पल्ली से ही शुरू होता था। इस शपथपत्र में हरीवरासनम का जिक्र है। रात में जब पवित्र स्थान बंद होता था तो केजे यसुदास लोरी गाते थे। यसुदास एक क्रिस्चन थे और अयप्पा के भक्त थे। यह भी कहा जाता है कि मंदिर की वार्षिक पहाड़ी पवित्र यात्रा में कई मुसलमान और क्रिस्चन भी शामिल होते थे।यह भी सच है कि सबरीमाला मंदिर वास्तव में आदिवासियों का पूजा स्थल हुआ करता था। हालांकि कई लोग इसे बुद्ध का स्थान भी बताते हैं। अपने अगले बयान में सरकार ने इस बात से इनकार किया है कि वह त्रावनकोर देवास्वम बोर्ड (टीडीबी) में दखल दे रही है। सरकार ने कहा कि वह टीडीबी के कामों में कोई हस्तक्षेप नहीं कर रही है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करवाने के लिए और भक्तों की सुरक्षा के लिए पुलिस से कहा गया है। केरल सरकार की ओर से केवी सोहन ने यह शपथपत्र कोर्ट में दायर किया है। इसमें यह भी कहा गया है कि मुख्यमंत्री की तरफ से मंदिर प्रशासन को कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं। सिर्फ पुलिस विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि वह मंदिर में भक्तों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
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