साल भर बाद डॉलर रिजर्व बढ़ाने में जुटा आरबीआई

मुंबई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया फिर से डॉलर रिजर्व बढ़ाने में जुट गया है। पिछले 11 महीनों से डॉलर रिजर्व में लगातार कमी आने के बाद नवंबर के पहले दो हफ्तों में उसने यह पहल शुरू की है। आरबीआई को रुपये को सपॉर्ट देने के लिए डॉलर की जरूरत पड़ती है। उसे डॉलर रिजर्व बढ़ाने में विदेशी निवेश फिर से शुरू होने से भी मदद मिली है।माना जा रहा है कि आरबीआई ने नवंबर के पहले हफ्ते में 50 करोड़ डॉलर खरीदे हैं, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने यह अनुमान लगाया है। रिजर्व बैंक आगे भी डॉलर की खरीद जारी रख सकता है। इस साल अक्टूबर तक के 11 महीनों में वह स्पॉट और फ्यूचर्स मार्केट में डॉलर बेच रहा था क्योंकि डॉलर के मुकाबले रुपया 74.48 के रिकॉर्ड लो लेवल तक चला गया था। इस बारे में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की सीनियर इकनॉमिस्ट अनुभूति सहाय ने बताया, कच्चे तेल के दाम में कमी, विदेशी निवेश में रिवाइवल और रुपये में रिकवरी के बीच शायद आरबीआई ने नवंबर के पहले हफ्ते में डॉलर की खरीदारी की है। क्या यह ट्रेंड आगे भी बना रहेगा? अनुभूति के मुताबिक, यह तेल की कीमत और विदेशी निवेश पर निर्भर करता है। नवंबर के पहले हफ्ते में रुपये में रिकवरी हुई और यह इमर्जिंग मार्केट्स की टॉप तीन बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली करंसी में शामिल रहा। भारतीय करंसी में गुरुवार को 1 पर्सेंट की मजबूती आई और यह डॉलर के मुकाबले 70.70 पर रहा, जो इसका तीन महीने का पीक लेवल है। कच्चे तेल के दाम में गिरावट आने के बाद भारत को लेकर विदेशी निवेशकों का रुख बदला है। भारत बड़े पैमाने पर तेल का आयात करता है। तेल की कीमत कम होने से उसे इसके आयात पर कम डॉलर खर्च करने पड़ेंगे। इस बारे में कोटक सिक्यॉरिटीज के करंसी ऐनालिस्ट अनिंद्य बनर्जी ने बताया, ‘रुपये में गिरावट रोकने के चलते पहले आरबीआई डॉलर बेच रहा था। इससे उसके विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई थी। उन्होंने कहा कि आज रुपये में मजबूती आ रही है। इसलिए डॉलर रिजर्व बढ़ाने का रिजर्व बैंक का कदम अच्छा है। उन्होंने कहा कि जब तक रुपये में मजबूती बनी रहेगी, आरबीआई डॉलर की खरीदारी जारी रख सकता है।

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