अमरेश कुमार सिंह, असिस्टेंट एडीटर, आई० सी०एन० ग्रुप
लखनऊ। 01 दिसंबर 2018 की संध्या प्रतिष्ठा देश की साहित्यिक राजधानी लखनऊ के लिए यादगार रही। प्रतिष्ठा फिल्म्स ऐंड मीडिया परिवार के प्रथम रेस्टोलिट अलीगंज, लखनऊ स्थित ‘फ्रेंडलीज़ रेस्टोरेंट ऐंड बैंक्वेट’ में गीतों, ग़ज़लों व कविताओं से भरपूर ‘काव्य संध्या’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध साहित्यकार डा० सुरेंद्र विक्रम ने की।
कार्यक्रम का प्रारंभ अमिताभ दीक्षित की कविताओं से हुआ।अमिताभ दीक्षित एक फिल्म मेकर व पखावज वादन में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार हैं। अमिताभ दीक्षित की दर्शन व संस्कृति की चाशनी से सराबोर कविताओं ने प्रारंभ से ही कार्यक्रम को एक विशेष ऊँचाई प्रदान कर दी।
यह कार्यक्रम तब और विशेष हो गया जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाले देश के मशहूर ग़ज़लकार एवं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हिंदी के प्रोफेसर शंभू नाथ तिवारी ने अपनी ग़जलों से महफिल में चार चांद लगा दिये :
“बंद पिंजरे के परिंदों को पता क्या होगा,
आसमाँ के लिए कितनी उड़ान बाकी है।
हारकर बीच में मंजिल के बैठने वालों,
अभी तो और सख्त इम्तहान बाकी है।।”
अपने शब्दों से श्रोताओं के दिल पर राज करने वाले अखिलेश श्रीवास्तव ‘चमन’ ने भी अपनी धारदार ग़ज़लों से श्रोताओं का दिल जीत लिया :
“लोकतंत्र का कितना सुंदर ताना-बाना बुना गया।
जिसकी थैली सबसे भारी, उसको मुखिया चुना गया।”
प्रतिष्ठा ग्रुप केवल चेयरमैन व प्रसिद्ध साहित्यकार तरुण प्रकाश के गीत-ग़ज़लों ने सबका मन मोह लिया :
“जा रहे हो, पर सुनो!
फिर लौट आना,
मैं प्रतीक्षारत रहूँगा ज़िन्दगी भर।”
प्रतिष्ठा ग्रुप के वाइस चेयरमैन सत्येन्द्र कुमार सिंह की धारदार छंदमुक्त कविताओं ने जम कर तालियाँ बटोरीं –
“चलो, एक बात तो पुख्ता हुई
कि माँ की ममता का कोई इतवार नहीं होता।”
महिला कवियत्री विनीता मिश्रा ने जहां अपने शब्दों का जादू बिखेरा वहीं युवा कवि अंकित पांडे एवं पृथ्वी एडु कॉम के संस्थापक अमित शर्मा की कविताओं ने अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज की ।
आई०सी०एन ग्रुप के एडीटर इन चीफ डॉ शाह अयाज़ सिद्दीकी ने आई०सी०एन० डिजिटल मीडिया की स्थापना और अपने संघर्ष को अपने शब्दों में बयां किया और इस तथ्य की पुरज़ोर वकालत की कि एक जीवित समाज की संस्कृति उसके साहित्य से परिलक्षित होती है और वही समाज विकास करता है जिसका साहित्य प्रखर, अद्यतन व संवेदनशील होता और यह तभी होगा जब सामाजिक सेवा में रत साहित्यकारों को समाज वह सम्मान व प्रतिष्ठा दे जिसका वे अधिकारी हैं।
प्रतिष्ठा ग्रुप के फाउंडर पार्टनर, रोबोटिक इंजीनियर व प्रसिद्ध लेखक अमरेश कुमार सिंह ने अपनी कविताओं के माध्यम से ही अपने संघर्षों को सबके सामने रखा। रियाज़ अहमद ने अपनी काव्यमय लघुकथा ‘पड़ोसन’ का पाठ कर सबका दिल जीत लिया।
मंच का संचालन कर रहे हैं राष्ट्रीय स्तर के व्यंगकार अखिल आनंद ने हमेशा की तरह अपनी गुदगुदाती हुई कविताओं को एक अत्यंत गंभीर अंत देकर कार्यक्रम को एक नयी ऊर्जा प्रदान की।
अंत में काव्य संध्या के अध्यक्ष डा० सुरेन्द्र विक्रम ने कार्यक्रम को अत्यंत सफल कार्यक्रम की संज्ञा देते हुये अपनी ग़ज़लों से कार्यक्रम को शीर्ष पर पहुंचा दिया :
“तुम्हारी कल की मजबूरी, सुनो प्रिय, मैं समझता हूँ।
हुई अनजान में दूरी, सुनो प्रिय, मैं समझता हूँ।”
कार्यक्रम में अनेक श्रोताओं के साथ रामस्वरूप इंजीनियरिंग कालेज के पब्लिक रिलेशन अधिकारी व मीडियाकर्मी प्रवीन श्रीवास्तव व ‘फ़्रेंडलीज़’ के संस्थापक विशेष श्रीवास्तव एवं कृति विशेष ने भी इस मौके का जमकर लुफ्त उठाया।