एथनॉल स्टॉक खत्म होने से बढ़ सकता है प्रदूषण

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में पेट्रोल में मिलाने के लिए जो एथनॉल स्टॉक है, वह कुछ दिनों में खत्म हो जाएगा। राज्य सरकार ऑयल कंपनियों को ब्लेंडिंग के लिए एथनॉल का स्टॉक नहीं रखने दे रही हैं। एथनॉल नहीं होने से बुरी तरह प्रदूषित दिल्ली में एमिशन लेवल और बढ़ जाएगा। इस साल पड़ोसी राज्यों में खेतों में पराली जलाए जाने के अलावा इंडस्ट्री और गाडिय़ों से निकलने वाले धुएं से दिल्ली कई दिनों तक धुंध से घिरी रही थी।पेट्रोल में एथनॉल इसलिए मिलाया जाता है ताकि वायु प्रदूषण में कुछ कमी लाई जा सके। सरकारी ऑयल कंपनियां दिल्ली में पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथनॉल मिलाती हैं। पेट्रोल में कितना एथनॉल मिलाया जाना है, यह उसकी उपलब्धता पर निर्भर करता है। वायु प्रदूषण में कमी लाने और ऑयल इंपोर्ट पर निर्भरता घटाने के लिए ऑयल रिटेलर्स के लिए पेट्रोल में एथनॉल मिलाना जरूरी बनाया गया है। दिल्ली में एथनॉल स्टोर करने के लिए ऑयल कंपनियों को राज्य सरकार की इजाजत लेनी होती है।पब्लिक सेक्टर की ऑयल कंपनियों ने ऑयल मिनिस्ट्री को बताया कि एथनॉल ब्लेंडिंग के लिए दिल्ली सरकार की तरफ से स्टोरेज की तय सालाना लिमिट इसी हफ्ते खत्म होने वाली है। ऑयल कंपनियों को स्टॉक लिमिट बढ़ाए जाने की परमिशन दिल्ली सरकार से अब तक नहीं मिल पाई है। ऑयल मिनिस्ट्री ने हाल ही में दिल्ली सरकार से कहा था कि अगर वह एथनॉल की स्टोरेज लिमिट बढ़ाने को लेकर कंपनियों की नहीं मानती तो ऑयल कंपनियां दिल्ली में बिना ब्लेंडिंग वाला पेट्रोल बेचने पर मजबूर हो जाएंगी।ऑयल मिनिस्ट्री ने यह भी कहा है कि एथनॉल ब्लेंडिंग बिना पेट्रोल बेचने पर गाडिय़ों से होने वाला प्रदूषण का स्तर बढ़ जाएगा और उससे दिल्ली की हवा और खराब हो जाएगी। इस बारे में कमेंट के लिए दिल्ली सरकार को भेजी गई ईमेल का जवाब खबर लिखे जाने तक नहीं मिल पाया था। ऑयल मिनिस्ट्री ने दिल्ली सरकार से संशोधित इंडस्ट्रीज एक्ट 1951 लागू करने का भी अनुरोध किया है। इससे एथनॉल स्टोरिंग के लिए लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं रह जाएगी। एथनॉल का उत्पादन और उसकी खपत करने वाले कई राज्यों में यह कानून पहले से लागू है।

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