सरकारी सब्सिडी न लेने वाले हटवा सकेंगे आधार डाटा

नई दिल्ली। सरकारी छूट का फायदा नहीं लेने वाले देश के नागरिकों को जल्द ही आधार नंबर लौटाने यानी सरेंडर करने का अधिकार मिल सकता है। भारतीय विशिष्ट पहचान पत्र प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने आधार अधिनियम में संशोधन के लिए कैबिनेट नोट तैयार कर लिया है। सर्वोच्च अदालत ने फैसले में 18 साल से कम उम्र के अवयस्कों और बच्चों को आधार प्रणाली से निकालने का अधिकार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में टेलीकॉम कंपनियों समेत निजी क्षेत्र द्वारा आधार के प्रयोग पर रोक लगा दी थी। दूरसंचार कंपनियां इसके लिए विकल्प तैयार कर चुकी हैं, जबकि अन्य द्वारा भी इसका प्रयोग अब नहीं किया जा रहा है। ऐसे में सरकारी छूट नहीं ले रहे नागरिकों के लिए आधार नंबर रखना अनिवार्य नहीं होगा। इसी के मद्देनजर कानून मंत्रालय ने प्राधिकरण को आधार लौटाने का अधिकार सिर्फ बच्चों को नहीं, बल्कि सभी को मुहैया कराने की राय दी। प्राधिकरण ने मंत्रालय की राय पर कैबिनेट नोट तैयार कर लिया है। माना जा रहा है कि कैबिनेट नोट सभी मंत्रालयों को भेज दिया गया है। अगर कैबिनेट नागरिकों को आधार लौटाने की मंजूरी प्रदान कर देता है, तो कोई भी व्यक्ति यूआईडीएआई के सर्वर में सुरक्षित बायोमेट्रिक समेत अपना पूरा डाटा आधार से हटा सकेगा। यूआईडीएआई के एक अधिकारी के मुताबिक कैबिनेट द्वारा आधार लौटाने की व्यवस्था की मंजूरी मिलने के बाद अगर कोई आधार वापसी करेगा, तो वह सरकार से कोई सब्सिडी नहीं ले सकेगा। अगर भविष्य में वह सब्सिडी लेना चाहेगा, तो उसे फिर आधार में पंजीकरण कराना होगा। इसके बाद ही वह सरकार द्वारा किसी भी सेवा में मुहैया कराई जा रही छूट का अधिकारी होगा। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने तो अवयस्कों और बच्चों के लिए आधार लौटाने की व्यवस्था करने को कहा था, लेकिन कानून मंत्रालय का स्पष्ट मत है कि यह अधिकार अवयस्कों को ही नहीं, वयस्कों को भी मिले। अब आगे कैबिनेट तय करेगी कि इस पर क्या निर्णय लेना है,यह फैसला सिर्फ उन लोगों को लाभ पहुंचाएगा, जिनके पास पैन कार्ड नहीं है, क्योंकि अदालत ने आधार के साथ पैन के संबंध को बरकरार रखा है। उल्लेखनीय है कि 12 मार्च, 2018 तक 37.50 करोड़ से अधिक पैन जारी किए गए हैं। इनमें से लोगों को जारी किए गए पैन कार्ड की संख्या 36.54 करोड़ से अधिक है। इनमें से 16.84 करोड़ पैन आधार से जुड़े हुए हैं। गौरतलब है कि यूआईडीएआई के रिकॉर्ड के मुताबिक देश में 1.22 अरब लोगों को आधार जारी कर दिया गया है और करीब 1.30 करोड़ का आधार बनना अभी बाकी है।

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