दिल्ली-एनसीआर की हवा 2024 तक सांस लेने लायक नहीं बन पाएगी

नई दिल्ली। नैशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) के बावजूद 2024 तक दिल्ली-एनसीआर के कई शहरों की हवा सांस लेने लायक नहीं हो पाएगी। इस प्रोग्राम का मकसद 2024 तक प्रदूषण के स्तर में 30 पर्सेंट की कमी करना है। इसे लेकर ग्रीनपीस ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट एयरपोक्लिपस जारी की है। इसमें दावा किया गया है कि अगर 2024 तक दिल्ली के प्रदूषण में 30 पर्सेंट कमी कर भी ली जाए तो भी यह राष्ट्रीय मानकों से तीन गुना ज्यादा होगी।इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 139 प्रदूषित शहरों को इन्वाइरनमेंट मिनिस्ट्री के एनसीएपी में शामिल ही नहीं किया गया है। बहरहाल, अगर बात दिल्ली-एनसीआर की करें तो 30 पर्सेंट प्रदूषण कम करने के बावजूद 2024 तक तय मानकों के अनुरूप हवा यहां के लोगों को नहीं मिल सकेगी। इस रिपोर्ट में ग्रीनपीस ने दावा किया है कि दिल्ली में 2017 के दौरान पीएम-10 का सालाना औसत 240 रहा था। अगर इसमें 30 पर्सेंट कमी आए तो भी यह सालाना 168 स्तर पर पहुंचेगा जबकि पीएम-10 का सालाना स्तर 60 एमजीसीएम है।गुरुग्राम में 2017 को पीएम-10 का सालाना स्तर 285 रहा था। अगर इसमें 30 पर्सेंट की कमी की जाए तो यह 2024 तक 200 एमजीसीएम तक पहुंचेगा। गाजियाबाद में भी 2017 में पीएम-10 का सालाना स्तर 281 रहा था। अगर इसमें 30 पर्सेंट की कटौती हुई तो यह 196 एमजीसीएम तक पहुंच सकेगा। इसी तरह नोएडा में 2017 को पीएम-10 का सालाना स्तर 216 रहा था। इसमें 30 पर्सेंट की कमी कर 2024 तक इसे 151 एमजीसीएम तक पहुंचाया जा सकता।

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