होली का त्योहार दो दिन तक चलता है पहले दिन छोटी होली मनाई जाती है और दूसरे रंग वाली होली. रंग वाली होली को दुल्हंदी के रूप में भी जाना जाता है.होली उपमहाद्वीप के सबसे पुराने त्योहारों में से एक है; देश के हर क्षेत्र में इस त्योहार का अपना अलग रंग देखने को मिलता है.
देश के ज्यादातर हिस्सों में होली का पर्व एक दूसरे को रंग लगाकर और पानी में भिगोकर खेला जाता है. इतना ही नहीं खुशी के इस पर्व के दौरान स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद भी लेते हैं. ब्रज और उत्तर प्रदेश जैसे हिस्सों में लठमार होली की परंपरा बहुत लोकप्रिय है, जिसमें महिलाएं हाथों में लाठी या डंडे लेकर पुरूषों का पीछा करती हैं. इसके बाद सब एकत्रित होकर लोकगीत और स्वादिष्ट व्यंजनों का मजा लेते हैं. बंगाल और उड़ीसा में होली के समारोह का अलग ही नजारा देखने को मिलता है, यहां लोग लोकगीतों पर नृत्य प्रस्तुत करने के साथ झूलों (डोल जात्रा) पर खेलते हैं. वहीं दक्षिण भारत में, लोग हिंदू पौराणिक कथाओं के देवता कामदेव को प्रसाद चढ़ाते है.अन्य त्योहार की तरह होली पर भी ढेर सारे पकवान बनाएं जाते हैं जिनमें से गुजिया मुख्य है, खोए और गुड़ से इसकी फीलिंग तैयार करके इसमें भरने के बाद इसे फ्राई किया जाता है. मालपुआ भी एक और बेहतरीन डिजर्ट है जिसे होली के मौके पर लोग खाना पसंद करते हैं. उत्तर भारत में होली के मौके पर लोग चाट जैसे आइटम बनाना पसंद करते हैं, जिनमें दही भल्ला,चाट पापड़ी और गोल गप्पे जैसे चीज़े शामिल हैं. वही पेय पदार्थो की बात करें तो होली पर दूध और ड्राई फ्रूट्स से तैयार की गई ठंडाई बनाएं जाने का चलन है जो आपको सारा दिन हाइड्रेटेड रखती है. इसके अलावा चटपटी मसालेदार कांजी भी होली पर खूब चाव से पी जाती है, यह पेय पदार्थ राजस्थान और गुजरात में भी काफी हिट है.