नई दिल्ली। भारत ने चांद पर दोबारा जाने की मुहिम तेज़ कर दी है. इसरो इसके लिए 9 जुलाई से 16 जुलाई के बीच चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण करेगा, जिसकी 6 सितंबर तक चांद पर पहुंचने की उम्मीद है. चंद्रयान-2 में तीन मॉड्यूल हैं- ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर. ऑर्बिटर मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में चारों तरफ चक्कर लगाएगा, लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और रोवर मॉड्यूल चंद्रमा के सतह पर घूम-घूमकर आंकड़े कलेक्ट करेगा.चांद की कक्षा में चंद्रयान-2 के पहुंचने के बाद लैंडर निकलकर चांद की धरती पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. भारत ने इससे पहले जो चंद्रयान मिशन भेजा था, उसमें रोवर और लैंडर नहीं थे पर इस बार इनको भी मिशन का हिस्सा बनाया गया है. इसरो ने चंद्रयान-2 को पहले 2017 में और फिर 2018 में लॉन्च करने की कोशिश की थी लेकिन यह संभव नहीं हो पाया.इसरो का कहना है कि लैंडर को दक्षिणी ध्रुव पर उतारा जाएगा. इसके लिए अभी तक दो जगहों को चुना गया है जिनमें से एक जगह को फाइनल किया जाएगा. दक्षिणी ध्रुव को चुनने के पीछे की वजह यहां की जमीन काफी मुलायम होना है जिसके कारण लैंड रोवर को मूव करने में कोई दिक्कत नहीं होगी. बता दें कि रोवर में छह पहिए हैं और इसका वजन 20 किलो है.पिछली बार चंद्रयान-1 को 2008 में लॉन्च किया गया था पर ईंधन की कमी के कारण यह 29 अगस्त 2009 को खत्म हो गया था. इसी समस्या से बचने के लिए इस बार चंद्रयान-2 को इसरो ने सोलर पावर के उपकरणों से लैस किया है.
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