किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक को सोवियत संघ का स्विट्जरलैंड कहा जाता था और इसकी वजह इसकी ख़ूबसूरत वादियां हैं.बिश्केक एक प्राचीन शहर है लेकिन इसे एक समृद्ध शहर नहीं कहा जा सकता है.हाल ही में, राष्ट्रपति सोरोनबाय शारिपोविच जीनबेकोव ने 30 मई, 2019 को नई दिल्ली में प्रधान मंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के लिए बृहस्पतिवार को किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक पहुंचे.पीएम मोदी का विमान ओमान, ईरान और कई मध्य एशियाई देशों से होते हुए किर्गिज गणराज्य की राजधानी पहुंचा.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दौरान पर जाने से पहले बुधवार को कहा कि किर्गिज गणराज्य में हो रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की शिखर बैठक में वैश्विक सुरक्षा स्थिति और आर्थिक सहयोग पर मुख्य जोर रहेगा. भारत ने दो साल पहले एससीओ का पूर्ण सदस्य बनने के बाद इसके विभिन्न वार्ता तंत्रों में सक्रियता से भाग लिया है.” मोदी ने कहा कि भारत ने किर्गिज गणराज्य की अध्यक्षता को पूरा सहयोग दिया है.विदेश मंत्रालय ने पिछले हफ्ते कहा था कि एससीओ सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष इमरान खान के बीच कोई द्विपक्षीय बैठक होने की योजना नहीं है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में आयोजित एससीओ सम्मेलन से इतर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की।लेकिन ये मोदी की पहली बिश्केक यात्रा नहीं है. इससे पहले वह 2015 में भी एक बार बिश्केक का दौरा कर चुके हैं.दिल्ली से मात्र तीन घंटे की हवाई यात्रा की दूरी पर स्थित बिश्केक शहर का भारत से एक ख़ास नाता है.बिश्केक में आज भी लोग रूसी भाषा बोलते हैं लेकिन अंग्रेज़ी भाषा धीरे-धीरे अपनी जगह बनाने लगी है.बिश्केक के साथ भारतीय संबंध सोवियत संघ के दिनों से चले आ रहे हैं.