मनी सिरीज–(1)

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप

प्रथम भुगतान स्वयं को

नमस्कार मित्र !

अच्छा हुआ, आप मुझे इस मार्ग पर मिल गए । आपसे मिलकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। यात्रा लम्बी है किन्तु मुझे लगता है कि जब दो व्यक्ति मित्रों की तरह किसी यात्रा पर निकलते हैं तो कोई भी यात्रा लम्बी नहीं होती। जीवन की हर यात्रा हमें यह सिखाती है कि जीवन क्या है । यदि आपकी अनुमति होगी तो हम जीवन की लम्बी यात्रा में थोड़ी दूर तक साथ-साथ चलेंगे और मैं आपसे वायदा करता हूँ कि भविष्य के जिस दोराहे पर हम बिछुड़ेंगे, वहां तक की यात्रा में ही मैं आपको जीवन के वे रहस्य समझाने का प्रयास करूँगा, जो शायद आप पर कभी भी उद्घाटित नहीं हुए और जिनके ज्ञान की अनुपस्थित ने आपकी सफलता को मात्र एक ऐसा सपना बना कर रख दिया जिसका इस जीवन में पूरा होना लगभग असंभव है। आपके अधरों पर खिलती मुस्कान और आँखों में जागे मित्रता के भाव ने मुझमें अपूर्व उत्साह भर दिया है । कृपया मेरी मित्रता भी स्वीकार कीजिये । 

मुझे अपना बचपन याद है और यह भी याद है कि प्रारम्भ से ही मैं एक जुनूनी व्यक्ति रहा हूँ।  मुझे हर वह मार्ग आकर्षित करता रहा है जिस पर कम लोग चले हैं। शायद इसी को अपने सुविधा क्षेत्र से बाहर आना कहते हैं। सुविधा के दायरे से बाहर आने में लागों को प्रायः भय भी लगता है और असुरक्षा भी महसूस होती है।  यह कार्य आसान नहीं होता है क्योंकि हम अपने कृत्रिम सुविधा में इतने व्यस्त और समायोजित हो जाते हैं कि उसमें प्रत्येक परिवर्तन हमें भयभीत करता है।

मित्र ! क्या कभी आपने यह सोचा है कि हम अपने बचपन से ही वयस्क होने तक और कभी-कभी अपनी एक तिहाई आयु तक दिन-रात मेहनत करके स्कूलों, विद्यालयों और महाविद्यालयों में जो शिक्षा और प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं –उसका उद्देश्य क्या है ? नि:सन्देह, उसके उद्देश्य हमारी समझ और बुद्धि का विकास, सामाजिकता की वृद्धि आदि-इत्यादि भी है किन्तु इससे शायद कोई भी इंकार नहीं कर सकता कि इसका सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य हमारे अन्दर  अपनी आजीविका कमाने की योग्यता उत्पन्न करना ही है । मैं आपसे एक प्रश्न और पूछना चाहता हूँ – हम अपनी आजीविका कैसे कमाते हैं ? आपने बिलकुल सही उत्तर दिया है – हम धन अर्जित कर अपनी आजीविका कमाते हैं । इसका अर्थ तो यही निकलता है मित्र कि हमारी सारी अर्जित योग्यताएं जीवन में हमारे लिए धन अर्जित कर सफल होने का साधन हैं । लेकिन हमारे पास मात्र अपने-अपने विषय का ही ज्ञान है, ‘धन’ का कोई ज्ञान नहीं है । क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि हमारा आज तक का ज्ञान मात्र रास्तों की समझ का ही ज्ञान था न कि मंजिल की समझ का । इसीलिए हम अपने-अपने रास्ते तो सुगमता से काट लेते हैं लेकिन हमारी मंजिल हमें सदैव उलझा देती है और हम सफलता को देख तक नहीं पाते । यदि दुनिया के लाखों-अरबों व्यक्तियों की तरह आपकी भी मंजिल ‘धन’ है और आप ढेर सारा पवित्र धन अर्जित कर सफल बनना कहते हैं तो आपको स्वीकार करना पड़ेगा कि ‘धन’ अपने आप में एक विषय है, एक विज्ञानं है जिसकी शिक्षा दुनिया की कोई पाठशाला या यूनिवर्सिटी नहीं देती ।

मैंने जीवन में अनुभव किया कि धन अपने आप में एक सम्पूर्ण विषय है, एक स्वयं सिद्ध विज्ञानं है जिसे कभी भी लिपिबद्ध नहीं किया गया और इस एक कारण ने सारी दुनिया को सत्तानबे प्रतिशत और तीन प्रतिशत के दो समूहों में बाँट दिया । सत्तानबे प्रतिशत लोगों के समूह में हताशा, निराशा, कुंठा, अवसाद, अपवित्रता, शिथिलता आदि से ग्रस्त जीवन से हारे हुए असफल लोग हैं और तीन प्रतिशत लोगों के समूह में उत्साह, आनंद, ऊर्जा और पवित्रता से भरे हुए जीवन के हर क्षेत्र में सफल लोग हैं । ये तीन प्रतिशत सफल लोग भी एकाएक सफल नहीं हो गए बल्कि उन्होंने अपनी मानसिक क्षमताएं इस स्तर तक विकसित की कि जीवन उनके लिए धन के विज्ञानं का एक-एक पड़ाव, एक-एक रहस्य खोलता गया और वे धन के विज्ञानं के श्रेष्ठ विद्यार्थी बने और उन्होंने जीवन के विश्व विद्यालय से धन के विज्ञान विषय में विशेष योग्यताएं अर्जित की ।

मैं आज एक सहयात्री के रूप में उसी धन के विज्ञान के कुछ रहस्यों को आपके सामने उजागर करने का प्रयास करूँगा और मेरा पूरा विश्वास है कि यदि आपने इन रहस्यों को पूरे मन से समझने का प्रयास किया और अपने जीवन में उतारने का निश्चय किया तो इस यात्रा के प्रारंभ में आप चाहे जिस प्रकार के व्यक्ति हो, यात्रा के अंत तक निश्चित रूप से आप सोने की दमदमाती ऊर्जा से परिपूर्ण होंगे ।

 

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