अमिताभ दीक्षित, सीनियर एसोसिएट एडिटर, ICN ग्रुप यह महानगर एक दीवार है खंडहरों की जिसके उस पार डूब जाता है सूरज हर रोज़ गहरे काले स्याह अँधेरे चट्टानों की मानिंद खड़े हो जाते हैं आँखों में हर रोज़ बस्तियां न खुद से बात करती हैं न खामोशी से धुआं भरे कसैले जुबां के जायके इंतज़ार करते हैं निवालों का कोई कुछ नहीं कहता मगर डरता है सन्नाटों से ……और धमाकों से अब भी उसूलों के लिए लड़ी जा रही जंग में कोई उसूल बचा नहीं रह गया चीखें ………………..नहीं सिसकियाँ…
Read MoreMonth: June 2019
क्या हिंदी राष्ट्र भाषा है ?
सत्येन्द्र कुमार सिंह, एडीटर-ICN 26 जनवरी 1950 को भारत का अपना संविधान बना तब यह माना गया कि धीरे-धीरे हिंदी अंग्रेजी का स्थान ले लेगी और अंग्रेजी पर हिन्दी का प्रभुत्व होगा किन्तु कानून के अनेक मूल भावनाओं की तरह यह भी अपना उचित स्थान नहीं प्राप्त कर सका है| ये प्रश्न बड़ा अटपटा लग सकता है कि देश की सबसे ज्यादा बोले जानी वाली भाषा हिंदी (४१%-जनगणना २००१) भारत की राष्ट्रभाषा तो है ही नहीं| जी हाँ, यह सच है| गुजरात उच्च न्यायालय ने सन २०१० में यह स्वीकारते हुए कि…
Read Moreगुड पेरेंटिंग: आज और भविष्य की ज़रूरत
डॉ. प्रांजल अग्रवाल, एसोसिएट एडिटर-ICN लखनऊ। भौतिकता के इस दौर में, मकान हो या मोटर कार, क्रेडिट कार्ड हो या विदेश यात्रा, सभी भौतिक वस्तुओं तक लगभग सभी की पहुँच होती जा रही है | देखा- देखी के इस दौर में, किसी ज़रूरतमंद की मदद करने से बेहतर, लोग शादी-पार्टी में अथवा गोल्ड लाउन्ज में सिनेमा देखने में अत्यधिक खर्च करना बेहतर समझते हैं | दिखावे का माहोल ऐसा बन पड़ा है की शहर में बड़े मकान से ले कर मोटर कार तक, या फिर मोबाइल फ़ोन से ले कर घड़ी/पर्स…
Read Moreभाषा बनाम संस्कृति और संस्कार
डॉ. संजय श्रीवास्तव, एसोसिएट एडिटर ICN मैं आप सभी से सिर्फ एक ही बात पूछना चाहता हूँ कि क्या भाषा किसी संस्कृति के निर्माण करने में सहायक होती है ? मेरा मानना है कि वैसे तो एक संस्कृति के निर्माण में कई कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है किन्तु किसी भी संस्कृति को दर्शाने में सबसे ज्यादा महत्त्व विचारों और भाषा का होता है | हमारे संस्कार हमारे विचारों का एक आइना होते हैं जो ये दर्शाते हैं कि जो भी विचार हमारे मन मस्तिष्क में चल रहे होते हैं वो…
Read Moreसमय और हम
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप कल का बीता हुआ जीवन पराजित जीवन है। यदि हमने बीते कल में कोई उपलब्धि प्राप्त भी कर ली है तो आज का जीवन उसमें कुछ और जोड़ सकता है। हम वर्तमान की खिड़की से भविष्य के नए रास्ते निकाल सकते हैं। मैं और मेरी बेटी प्रतिदिन के प्रारंभ में एक दूसरे से कहते हैं “हैप्पी बर्थडे।” यदि कोई तीसरा व्यक्ति (मेरे परिवार के अतिरिक्त) इस वार्तालाप को सुनता है तो प्रायः चौंक पड़ता है – कभी कभी उपहास के भाव भी उभरते हैं…
Read Moreलोन पॉलिसी, कितनी राजनीतिक, कितनी व्यवहारिक
सुरेश ठाकुर एक किसान की समृद्धि का अर्थ है उसके परिवार की, गाँव की, बैंक की तथा पूरे देश की अर्थव्यवस्था की समृद्धि | बरेली: आँख मूँद कर लोन बँटवाते जाना और समय समय पर उसे माफ़ करते रहना सरकारी नीति का एक स्थाई हिस्सा बन गया है | कम से कम किसानों के सन्दर्भ में तो ये अक्षरशः सत्य है | खैरात की तरह बाँटे जाने वाला लोन उनकी कृषि को कितनी वृद्धि दे पा रहा है उन्हें आर्थिक रुप से कितना आत्मनिर्भर बना पा रहा है इसके संज्ञान और सही…
Read Moreजालली में अवैध शराब और नशे ने लील ली एक जान!
By: Amit Pandey, Associate Editor-ICN Uttarakhand प्रशासन को कोई खबर ही नही! स्थानीयों के अनुसार कभी कोई छापेमारी नहीं हुई! घटना जालली की है ये रानीखेत के पास एक कस्बा है और नाम की एक उपतहसील भी है क्योंकि वहाँ सिर्फ एक लिपिक महोदय ही तैनात है। आजकल दिल्ली से रिटायर गाड़ियों ( फिटनेस फेल गाड़ियां) को यहां लाकर चलाने का प्रचलन बहुत बढ़ गया है। फिटनेस फेल गाड़ियाँ दिल्ली से सस्ते में लाकर चलाई जातौ है क्योंकि अभी अभी सड़कें गाँव मे जाने लगी है और गांववासी भी सुविधा…
Read Moreमोलदोवा में राजनीतिक संकट से नाटो चिंतित
ब्रुसेल्स। उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) पूर्वी यूरोपीय देश मोलदोवा में मौजूदा राजनीतिक संकट से चिंतित है और पार्टियों के बीच शांति एवं संयम से बातचीत का आह्वान किया। नाटो के प्रवक्ता ओना लुंगस्कु ने रविवार को यह जानकारी दी। नाटो की ओर से जारी बयान में कहा गया, नाटो मोलदोवा गणराज्य में राजनीतिक संकट से चिंतित है और इसपर नजर रखे हुए है। हम देश में सभी राजनीतिक ताकतों से शांति एवं संयम बरतने और बातचीत के जरिए उनके मतभेदों को हल करने का आह्वान किया है।प्रवक्ता ने जोर…
Read Moreकमजोर विपक्ष
कांग्रेस में केंद्रीय नेतृत्व को लेकर जारी ऊहापोह के बीच राज्यों में पार्टी का अंतर्कलह और तेज हुआ है। जाहिर है इसके मूल में आम चुनाव में कांग्रेस की करारी पराजय और केंद्रीय नेतृत्व में भरोसा कम होना है। तेलंगाना में कांग्रेस के बारह विधायकों का पार्टी छोड़कर तेलंगाना राष्ट्र समिति में शामिल होना इसका ताजा उदाहरण है। कांग्रेस शासित राज्यों में जारी उठापटक के बीच तेलंगाना में कांग्रेस के 18 विधायकों में से बारह का अलग होना बड़ी राजनीतिक घटना है। विधायकों को सत्ताधारी दल के सदस्यों के रूप…
Read Moreकभी लबालब भरे रहने वाले तालाबों का अस्तित्व खतरे में
पाली,हरदोई: जून हर मौसम में जल से लबालब रहने वाले बहुउपयोगी परंपरा गत तालाब भू जल री-चार्ज के अलावा युवाओं में तैराकी का जून्नू होता था।विकास खण्ड भरखनी की 90 ग्राम पंचायतों मे छोटे बड़े क़रीब 300 परंपरा व गैर परंपरागत तालाबो की संख्या है जिनके रख रखाव और सौंदर्यीकरण पर लाखों करोड़ों खर्च करने के बाद भी तालाबों की दुर्दशा है।जल संरक्षण और निरंतर घट रहे वनीय क्षेत्रफल से मौसम आई आयी ,विषमता से सब भयावह संकेत दे रहे है।ल को देख कर रहतौरा निवासी सेवानिवृत्ति अध्यापक विजय शंकर…
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