बाबूराव विष्णु पराड़कर जी पत्रकारिता के आदर्श स्तम्भ

संदीप कुमार सिंह • मीडिया विमर्श राजनैतिक मुद्दों पर बहुत ही सगजता से सरल भाषा में लेख लिखने में माहिर पत्रकारों की फेहरिस्त में पराड़कर जी का नाम सबसे उपर आता है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिंदी पत्रकारिता को जनजागरण के रुप में इस्तेमाल करने वाले पत्रकार के रुप में भी पराड़कर जी का नाम शुमार हैं। सम्पादकाचार्य पण्डित बाबूराव विष्णु पराड़कर भारत, भारतीय और भारतीयता के  उन्नायक थे। राष्ट्र की मुक्ति और समाज की सर्वांगीण उन्नति के लिए इन्होंने 50 वर्षो तक प्रचंड साधना की। राष्ट्रीय जागरण, राष्ट्रभाषा की गौरव…

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मशाल बनाम कुल्हाड़ी

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  आखिर एक समाज में पत्रकारिता की क्या भूमिका होनी चाहिए? क्या मात्र तथ्य को तथ्य रूप में प्रस्तुत से और सत्य को सत्य कहने से पत्रकारिता की भूमिका का निर्वहन हो जाता है अथवा पत्रकारिता इससे भी आगे की चीज है? ‘समाज कैसे यात्रा करता है?’ प्रश्न रोचक था लेकिन अत्यंत गंभीर भी। जब यह प्रश्न मेरे सामने आया था तो कुछ देर तक तो मैं मात्र प्रश्न को समझने और उसकी तह में जाने की कोशिश करता रहा और कुछ पलों के…

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राष्ट्र प्रेम और इस्लामी मान्यताएं

डा. मोहम्मद अलीम, संपादक, आईसीएन ग्रुप नई दिल्ली: भारत दुनिया का अकेला ऐसा देश है जहां हिंदू और मुसलमान एक साथ बहुतायत की संख्या में सारे दुखों और सुखों के साथ सदियों से रहते आए हैं। भिन्नताएं भी रही हैं। खान-पान, संस्कृति एवं रीति रिवाज के मामले में। मगर एक साझी संस्कृति भी इसी के मेल से विकसित हुई जिसे हम हिंदुस्तान की साझी संस्कृति या विरासत के नाम से जानते हैं। जिसमें हमारे खान-पान, भाषा, पहनावा, रीति रिवाज, धार्मिक पद्धतियां अलग होते हुए भी कहीं न कहीं एक जगह…

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आई.सी.एन.का ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक व आर्थिक उत्थान का यज्ञ प्रारंभ

लखनऊ : रोटी से साहित्य की गंध और साहित्य से रोटी की खुशबू, यही एक सुसंस्कृत, सुगठित व संतुलित समाज की पहली पहचान हेै। आई.सी.एन. मात्र एक वैचारिक क्रांति ही नहीं है बल्कि यह वह सामाजिक प्रयोगशाला है जहाँ सामाज के सर्वांगीण विकास के संदर्भ में अद्भुत परिणामों की अनंत संभावनाएं उपस्थित हैं। सकारात्मक व ज़िम्मेदार पत्रकारिता में वैश्विक स्तर पर अपने आप में एकमात्र अनूठी पहचान रखने वाली आई.सी.एन. यह भी मानती है कि अच्छे से अच्छा विचार भी मात्र शब्दों से रचा सम्मोहन मात्र है जब तक वह…

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