तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप
प्रिय मित्रों, हम सब विभिन्न धर्म, मज़हब, पूजन शैली व मतों के अनुनायी हैं और यही हमारी विशेषता है। विश्व में ‘भारत की अनेकता में एकता’ से श्रेष्ठ मिसाल कहीं उपलब्ध नहीं है। किंतु जब भारत पर कोई खतरा मंडराता है तो हमारे वैयक्तिक धर्म ‘राष्ट्र धर्म’ में परिणित हो जाते हैं। आज तो सिर्फ़ भारत ही नहीं, पूरा विश्व और संपूर्ण मानवता ही दाँव पर लगी है और इसलिये हम सबकी ज़िम्मेदारियाँ और भी बढ़ जाती हैं और आज हम हिंदू, मुसलमान, सिख, पारसी एवं ईसाई से पहले ‘मनुष्य’ हैं। विश्व संकट के समय हमारे क्षुद्र निजी झगड़े न केवल अशोभनीय व अक्षम्य हैं वरन् पूरी मानवता के लिये घातक भी हैं। इसी भावभूमि पर इस गीत की रचना हुई है। यदि मेरा यह अकिंचन प्रयास कोरोना के विरुद्ध हमारे सामूहिक युद्ध में किसी भटके हुये को कोई दिशा दिखा सका तो स्वयं को धन्य समझूंगा।