म्यूजियम में चाँद

अमिताभ दीक्षित,एडिटर-ICN उत्तर प्रदेश  “कहते हैं पिछली सदी का चांद  इस सदी जैसा नहीं था” एक बोला “नहीं बिल्कुल ऐसा ही था”  दूसरे ने पहले की बात काटी “तुम्हें कैसे मालूम है”  पहले ने पूछा “मैंने म्यूजियम में देखा था”  दूसरे ने बताया “वहां चांद कहां से आया”  पहले ने पूछा “यह मुझे क्या पता”  दूसरा बोला “तुमने किस म्यूजियम में देखा था”  पहले ने फिर सवाल किया “सरकारी म्यूजियम में” दूसरे ने अपनी जानकारी  जाहिर की “चलो वही चलते हैं चलोगे “ पहले ने चलने की तैयारी करते हुए कहा दोनों चल दिए म्यूजियम पहुंचने पर पता चला कि वह चांद…

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भारतीय लोकतंत्र एवं जिम्मेदार पत्रकारिता

मोहम्मद सलीम खान, सीनियर सब एडिटर-आईसीएन ग्रुप सहसवान/बदायूं: भारतीय गणतंत्र के चार स्तंभ है व्यवस्थापिका कार्यपालिका न्यायपालिका और चौथा स्तंभ पत्रकारिता (जर्नलिज्म) जिसको हम मीडिया के नाम से जानते हैं। आज मैं अपने इस लेख में पत्रकारिता के विषय में अपने सम्मानित पाठकों से कुछ बातें  साझा करना चाहूंगा। बदलते हुए माहौल और भागदौड़ की जिंदगी में पत्रकारिता बहुत ही जिम्मेदारी व जोखिम भरा कार्य है। इस समय देश कोरोना जैसी भयानक बीमारी का मुकाबला बड़ी वीरता से कर रहा है एक और जहां  हमारे अजीम मुल्क हिंदुस्तान के नागरिक अपने…

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*कोरोना वायरस के दौर मे पैगंबर हज़रत मुहम्मद साहब (ﷺ) द्वारा दी गई शिक्षाओ की व्यवहारिकता और उपयोगिता से लाभान्वित होती मानवता*

एजाज़ क़मर आज हम 21 वीं शताब्दी मे “कोरोना महामारी” से बचाव के लिये ‘सोशल डिस्टेंसिंग” (Social Distancing), “मरीज़ो के लिये अलग स्थान” (Quarantine), नक़ाब (Mask) और स्वच्छता (Sanitation) की शिक्षा का सुबह-शाम प्रचार कर रहे है,जबकि इस्लाम ने 7 वीं शताब्दी मे ही इसकी शिक्षा दे दी थी। इस्लाम को मुसलमानो के दो तबको (वर्गो) ने बहुत ज़्यादा नुकसान पहुंचाया है, जितना नुकसान इस्लाम के दुश्मनो ने (खास करके यहूदियो ने) भी नही पहुंचाया है, पहला वर्ग लिबरल का है जो हमेशा मौका तलाशते रहते है, कि कब इस्लाम को…

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समय भाषाओं की मरम्मत का : 2

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप हमें एक दूसरे से जोड़ने का जो सबसे प्रभावशाली माध्यम है, वह संवाद के रूप में हमारी भाषा ही है। तनिक सोचिये तो, यदि दुनिया में कोई भी भाषा न होती तो क्या होता? अब हम यदि उर्दू भाषा की बात करें तो यह सही है कि उर्दू में अरबी, फ़ारसी व हिंदी भाषा के अनेक मौलिक शब्द इस भाषा के शब्दकोष में उपस्थित हैं किंतु अलग-अलग भाषाओं के उन शब्दों को लिखने के लिये उन्हीं भाषा के विशिष्ट वर्ण अर्थात अक्षर का प्रयोग…

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कोरोना के बाद भारत की संभावनाएं : 1

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप समय ने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन ऐसा भी आयेगा जब अचानक ही उसकी रफ़्तार थम जायेगी और एक-दूसरे से आगे निकलने की अंधाधुंध होड़ में लिप्त यह सारा विश्व ठीक उसी तरह फ्रीज हो जायेगा जैसे बार्बी की कहानियों में दुष्ट जादूगर पूरे राज्य को फ्रीज कर दिया करता था।  निश्चित ही, आज हम सब एक अकल्पनीय समय से गुज़र रहे हैं। विश्व के सबसे शक्तिशाली व विकसित देश भी ‘कोरोना’ संक्रमण से नित्य-प्रति युद्ध हार रहे हैं और उनके बड़े-बड़े…

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