कोरोना के बाद भारत की संभावनाएं : 3

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप

देश में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है कोरोना महामारी के खत्म होने के बाद की जिंदगी बहुत अलग होगी ।फिर चाहे वह सामाजिक और आर्थिक जीवन हो या राजनीतिक। कुछ भी पहले जैसा नहीं रहेगा। सरकार और कंपनियों की नीति में बदलाव होगा, घरों के खर्चो  के नियम भी बदलेंगे।दुनिया भर के वित्तीय बाजारों पर कोरोना वायरस का असर पड़ा है, इसने अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब कर दी है।

आनंद राय जी हमारे लिटिगेशन विभाग के सदस्य हैं और अत्यंत उत्साही व्यक्ति है्ं। उनकी दृष्टि में प्रकृति व भौतिकता का श्रेष्ठ सम्मिश्रण ही हमारा सुरक्षित भविष्य है। उन्हें भी सुनना हम सबको बहुत प्रेरणादायक लगता है। वे कहते हैं – 

हमें उम्मीद ही नहीं वरन पूरी सकारात्मकता के साथ पूर्ण विश्वास रखना चाहिए की आज हम, हमारा देश व समूचा विश्व जिस भयानक महामारी के दौर से गुजर रहा है, उससे हम सब बहुत जल्दी ही छुटकारा पा लेंगे और हम सबकी इस काली रात के बाद एक नया चमकता सूरज हम सबके अन्दर एक नया जोश, उमंग, उत्साह, निर्मल अंतर्मन व ढेर सारी नयी संभावनाओं के साथ उदित होगा। नए सवेरे के साथ ही हमें एक नए जन्म की प्राप्ति होगी जो ईश्वर द्वारा हमें अपनी भयानक भूलें सुधारने के लिए अवसर के रूप में दिया जायेगा। यदि हम इस अवसर का लाभ उठा सकें तो जीवन के हर क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं जिसके लिए सर्वप्रथम तो हमें स्वयम से वार्तालाप करने की आवश्यकता होगी क्योंकि जब हम स्वयम सुधरे हुए होंगे तभी तो इसका प्रभाव स्वयम, परिवार, समाज, देश एवं विश्व पर पड़ेगा क्योंकि किसी को सुधारने का तो सोचना व्यर्थ है बल्कि स्वयम का आदर्श प्रस्तुत करना ही उचित है। 

इस भयानक त्रासदी के गुजर जाने के उपरांत सम्भावनाओं की दृष्टि से देखें तो सर्वप्रथम इसका प्रभाव पारिवारिक व सामाजिक स्तर पर पड़ना चाहिए क्योंकि इधर जो हम स्वतंत्र कैद भरी ज़िंदगी जीने के लिए मजबूर हैं उसकी वजह से हमें अपने पारिवारिक व सामाजिक रिश्तों का मूल्य समझ में आ जाना चाहिए। हमें इस बात का पूर्ण अहसास करना चाहिये कि ज़िंदगी अकेले जी सकना आसान नहीं है। उसे अपनों व संबंधों का सहारा भी चाहिए। हो सकता है कि हमें साझा परिवार का महत्व भी समझ में आ जाये जिसके फायदे हमेशा ही अधिक हैं और वे हमारा मनोबल दुःख व सुख के प्रत्येक पल में कभी गिरने नहीं देते हैं और हमें मजबूती प्रदान करते हैं।

संभावनाओं की कड़ी में दूसरी बड़ी सम्भावना यह है की हमारा ध्यान पर्यावरण व प्रकृति में फैले हुए अपार प्रदूषण की ओर आकृष्ट हो सके क्योंकि जैसा आजकल हम सभी बहुत स्पष्ट रूप से देख रहे हैं की हमारी प्रकृति आजकल कितनी उज्जवल वा निर्मल हो गयी है जिसकी मुख्य वजह यह है की हम मनुष्यों द्वारा प्रकृति के साथ जिस तरह आप्राकृतिक रूप से पेश आया जा रहा था, वे सारे कार्य आजकल ठप पड़े हैं। किन्तु मेरे विचार यह नहीं है कि हम विकास के पहिये को ही रोक दें बल्कि विकास के समानांतर जो विनाश की संभावनाएं हैं, हम उनको समाप्त करते चलें। इससे विकास के साथ हम स्वच्छ, निर्मल व प्रदूषण रहित पर्यावरण में स्वयं भी जी सकेंगे व आने वाली पीढ़ियों के लिए भी हम स्वच्छ, निर्मल, सुंदर  व प्राकृतिक वातावरण का निर्माण कर सकेंगे। इस विषय पर वैश्विक स्तर पर हमें विचार करने होंगे तथा सभी को मिलजुल कर इस धरा को, जो हमारी जननी है, बचने के लिए महत्वपूर्ण कार्य जल्दी से जल्दी करने होंगे।

मेरे विचार में यदि हम विज्ञान व टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अपना परचम लहरा कर एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में तीनों लोकों अर्थात जल, थल व वायु में अपना आधिपत्य जमा कर सृष्टि व धरती को विनाश के मुँह में धकेलना चाहते हैं तो यह सर्वथा अनुचित है बल्कि हमें वैश्विक स्तर पर एक-दूसरे के प्रति मैत्रीपूर्ण व्यवहार करते हुये अपने-अपने आणुविक व परमाणु हथियारों को नष्ट कर देना चाहिए और समस्त मानव जाती व प्राणियों के जीवन व धरती को बचाए सफल प्रयास किया जाना चाहिए क्योंकि मानव जाती के बिना विकास की कोई भी सम्भावना व्यर्थ व अर्थहीन है।”

हथियारों को नष्ट कर प्रकृति का संरक्षण निश्चित ही एक श्रेष्ठ विचार है किंतु मनुष्य सदैव अपनी कमियों के साथ ही जीवन जीता है और हथियारों के प्रति उसका लगाव इसमें एक बड़ी बाधा है। फिर भी, यदि इस लिप्सा पर कुछ रोक लग सके तो यह भी कम बड़ी बात नहीं होगी।

हमारे निबंधन विभाग के फील्ड के सदस्य अजय सिंह का ध्यान इस लॉक डाउन में हमारे घरों की गृहिणियों की ओर आकृष्ट हुआ। वे कहते हैं कि आज तक जीवन की भागादौड़ी में एक परिवार में हाउस वाइफ की भूमिका पर विचार करने का अवसर ही नहीं मिला। आज जब कोरोना ने हमारी रफ़्तार रोकी तो समझ में आया कि हमारे देश में परिवार में एक गृहिणी का क्या रोल है। वे अपनी सारी ज़िम्मेदारियाँ बिना किसी स्वार्थ अथवा शिकायत के पूरी करती हैं और बदले में कभी कुछ नहीं चाहती। लॉकडाउन ने हमें उनकी त्याग व निष्ठा का जो स्वरूप दिखाया, वह अतुलनीय है। अजय सिंह को विश्वास है कि नये भारत में परिवार में हाउस वाइफ का कद व इज़्ज़त, दोनों ही बढ़ेंगे।

आपने अत्यंत सार्थक विवेचन किया है अजय जी। यदि ऐसा हो सके तो शायद “यत्र नारियस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता” की अद्भुत सूक्ति का सही उदाहरण उपस्थित हो सकेगा।

हमारे डाटा संरक्षण व अभिलेख मेंटिनेंस विभाग की वसुधा सोनकर के पास अपने कार्य की दक्षता के अतिरिक्त एक विशिष्ट आर्थिक दृष्टि भी है जिसके द्वारा वे कोरोना के बाद के भारत को कुछ इस तरह से देखती हैं – 

कुछ ही हफ़्तों में कोरोना वायरस के चलते दुनिया भर में शेयरों की वैल्यू लगभग एक तिहाई घट गई है। भारतीय शेयर बाज़ार का हल भी बेहाल है। निवेशक इस बात से कुछ संतोष कर रहे हैं की दूसरे बाज़ारों में भारतीय बाज़ार से कहीं ज्यादा गिरावट रही h वायरस के असर ने दुनिया भर को डरा दिया है। इससे पहले की हम यह देखें कि निवेशकों को क्या करना चाहिए, आइये यह समझते हैं कि इस वक्त उथल पुथल की वजह क्या हैं।

पूरे विश्व में शेयर मार्किट लड़खड़ा गयी है< संयुक्त राज्य अमेरिका में औसतन शेयरों के मूल्य में 27.95 % की गिरावट दर्ज की गयी है वहीं यू.के. में 29.72 %, जर्मनी में 33.63 %, जापान में 26.85 % की गिरावट दर्ज की गयी है और भारत में यह गिरावट मात्र 17.74 % ही है तो यह कहा जा सकता है की हम अभी भी बेहतर स्थिति में हैं।

निश्चित रूप से कोरोना के इस संकट का पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर बड़ा ही प्रतिकूल असर पड़ेगा । अर्ग्नैज़ेशन फॉर इकोनोमी को-आपरेशन फॉर डेवलपमेंट (आई. सी. डी.) ने वर्ष 2020 के लिए जी.डी.पी ग्रोथ का अनुमान कोरोना के कारण घटा कर आधा कर दिया है और निश्चित रूप से यह बीमारी भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी असर डालेगी।

मौजूदा पाबंदियों से ट्रेवलिंग एवं खपत आदि गतिविधियों पर असर पड़ेगा। उत्पादन पर सप्लाई चेन में आने वाली बाधाओं के कारण प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा एवं उत्पादन क्षमता प्रभावित होगी और बाज़ार में पूंजी की कमी साफ तौर पर देखी जा सकेगी। 

दुनिया में फैली कोरोना वायरस की महामारी न केवल लोगों की जान का नुकसान कर रही है बल्कि इसका असर कई अन्य क्षेत्रों पर भी हो रहा है। दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं इस वायरस के कारण चरमरा गयी हैं और कला सोना कहे जाने वाले काछे तेल का दम 23 डालर प्रति बैरल तक आ गया है। अमेरिका व रुस समेत खाड़ी के कई देश इस कोशिश में लगे हैं कि तेल के दम कैसे बढ़ाये जायें और अब आखिरकार यह फार्मूला निकला है कि की इसका उत्पादन कम कर दिया जाये ताकि मांग बढ़ने पर तेल के दाम ऊपर तेल के दाम को ऊपर उठाने में मदद मिलेगी।

बाज़ार का ध्यान इस पर ही लगा रहेगा कि कोरोना वायरस का संक्रमण और बढ़ता है या फिर कुछ धीमा पड़ता है। भारत तथा पूरे विश्व में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या में वृद्धि का असर भी बाज़ार पर जारी रहने का अनुमान है। 

फ़िलहाल, हम आसानी से यह कह सकते हैं कि आज हम सदी के सबसे अनिश्चित समय में हैं और बाज़ार की आगे की गति आने वाले समय में अमरीका, यूरोप और भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार की स्थिति पर पूरी तरह निर्भर है।

यह कहने की जरूरत नहीं है की वैश्विक संकेत और कोरोना वायरस के मोर्चे पर होने वाली गतिविधियों से आने वाले समय में बाज़ार की चल तय होगी।”         

हमारी फ़र्म के जनरल मैनेजर कपिल श्रीवास्तव अत्यंत विचारवान व कर्मठ व्यक्ति हैं और वैश्विक परिस्थितियों पर उनके आंकलन अद्भुत होते हैं। उनके शब्दों में –

देश में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है कोरोना महामारी के खत्म होने के बाद की जिंदगी बहुत अलग होगी ।फिर चाहे वह सामाजिक और आर्थिक जीवन हो या राजनीतिक। कुछ भी पहले जैसा नहीं रहेगा। सरकार और कंपनियों की नीति में बदलाव होगा, घरों के खर्चो  के नियम भी बदलेंगे।

दुनिया भर के वित्तीय बाजारों पर कोरोना वायरस का असर पड़ा है, इसने अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब कर दी है। बाजार में चौतरफा गिरावट आई है, बाजारों में तेजी से गिरावट के साथ दिमाग में कई चीजें चलने लगती हैं। लालच हावी होने लगता है, हम यह पता लगाने की कोशिश में जुट जाते हैं कि कौन सा सेक्टर आगे चलकर अत्यधिक रिटर्न दे सकता है। दुनिया के अधिकांश हिस्सों में महामारी का असर है लिहाजा पोर्टफोलियो का जो हिस्सा विदेशी एसेट (इक्विटी बांड) में लगाया गया है शायद उसका तत्काल फायदा ना दिखे। इस मंदी से निपटने के लिए तमाम देश अलग-अलग तरह के उपाय करेंगे उनकी क्षमताएं भी अलग-अलग हैं, इसलिए ग्लोबली डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो से मदद मिलेगी।

इस महामारी से भारत के प्रत्येक सेक्टर पर असर पड़ा है, आवागमन बंद है, खपत हो नहीं रही है, मैन्युफैक्चरिंग पर कार्य नहीं हो रहा है।

पर्यटन उद्योग पूरी तरह से आगे लंबे समय तक प्रभावित रहेगा इससे जुड़ी सभी संस्थाओं को आर्थिक मुकाबला करना पड़ेगा। यह उद्योग बेरोजगारी को बढ़ावा भी देगा।

देश के बैंक व पोस्ट ऑफिस विभागों ने अपनी ब्याज दरें कम कर दी हैं, इसका मुख्यतः असर उन वरिष्ठ नागरिकों पर पड़ेगा जो बैंक के ब्याज पर जिंदगी यापन करते हैं। 

छोटी बचत स्कीमों की ब्याज दरों में बड़ी कमी की गई है, इससे लोगों का छोटी बचत स्कीमों में पैसा लगाने का रुझान कम होगा।

कोरोना से पैदा हुए हालात में क्रूड आयल की मांग घटी है। ऐसे में उत्पादन बढ़ाना क्रूड आयल मार्केट के लिए अच्छा नहीं रहेगा। तेल आयात करने वाले भारत जैसे देशों के लिए फायदे की बात भी है। कोरोना महामारी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला नकारात्मक असर कुछ हद तक क्रूड आयल की नरमी के कारण घट जाएगा। 

फार्मा सेक्टर में अभी आकर्षक दिख रहा है, जिस तरह फार्मा सेक्टर को करोना के कहर के कारण फायदा होगा उसी तरह कई अन्य सेक्टर भी हैं जिन्हें क्रूड आयल में गिरावट से सीधा लाभ मिलेगा।

एविएशन को क्रूड आयल क्रेश से फायदा हो सकता है, लेकिन इसका असर कोरोना वायरस के कारण आवागमन में आ रही बाधाओं के चलते नगण्य हो जाएगा हो जाएगा।

मार्केट में उतार चढ़ाव हो रहा है निवेशक फायदा उठाने के लिए विभिन्न सेक्टरों के बीच शिफ्टिंग पर भी विचार करेंगे, कमजोर संभावना वाले क्षेत्रों से निकलकर बेहतर भविष्य वाले क्षेत्रों पर ध्यान देंगे।

कोरोना वायरस के कारण रियल एस्टेट की सुस्ती अब और खराब हो सकती है, आने वाले कुछ महीनों में नए प्रोजेक्टस् की लांचिंग, बिक्री और कीमतों में गिरावट आएगी।

करोना वायरस के बढ़ते प्रकोप से पूरी अर्थव्यवस्था के साथ रियल एस्टेट पर भी बुरा असर पड़ना तय है , जिसके कारण प्रोजेक्टस् में और देरी, नई लॉन्चिंग प्लान, डिलेड पेमेंट और डिफॉल्ट के मामले बढे़गे। 

आम उपभोक्ता की जेब टाइट होने से घर खरीदने या प्रॉपर्टी में निवेश के फैसले टलेंगे। कोविड-19 के चलते अर्थव्यवस्था एक तेज ढलान पर आ गई है, इससे रियल स्टेट में अगले कुछ महीनों के लिए पूँजी का प्रवाह रुक जाएगा या मौजूदा स्तर से बद्तर होगा । इस वायरस ने अर्थव्यवस्था के लिए अभूतपूर्व संकट पैदा कर दिया है, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर में भी डेवलपर्स से लेकर एंड यूजर्स तक की माली हालत खराब होने वाली है। आने वाले कई महीनों तक सेक्टर में पूंजी का संकट और स्लोडाउन बना रह सकता है।

आने वाला समय अर्थ के क्षेत्र में निश्चित रूप से बहुत कठिन होगा। देश के नागरिकों को बड़े ही धैर्य के साथ और इस कठिन वक्त के साथ मुकाबला करना होगा और साथ ही साथ कुछ ऐसे क्षेत्र उत्पन्न करने होंगे तथा ऐसी योजनाएं बनानी होंगी जो कि आर्थिक संकट से मुकाबला करने के लिए कारगर सिद्ध हो। सरकार के साथ-साथ आम नागरिक को भी उस में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी।”

कपिल जी, निश्चित रूप से आपकी बातें अत्यंत सारगर्भित हैं। आपकी आर्थिक विवेचना एक नये भारत की आर्थिक तस्वीर प्रस्तुत करता है।

इसमें कोई संशय नहीं है कि वर्तमान में हम समस्याओं की अबूझ भूलभुलैया में फँसे हुये हैं। कोरोना से हम एक ऐसा युद्ध लड़ रहे हैं जहाँ हम शत्रु की वास्तविक शक्ति का ही आंकलन नहीं कर पा रहे हैं और हम पूरी तरह बचाव की मुद्रा में हैं। हमें यह भी नहीं पता है कि भविष्य का द्वार हमें किस छोर पर निकालेगा किंतु हम यह भी जानते हैं कि हर समस्या एक अवसर भी है। यदि हमसब मिलकर कोरोना को हराने में सफल हो जाते हैं तो निश्चित रूप से यह हमारी भविष्य की यात्रा का एक महत्त्वपूर्ण ‘टर्निंग प्वाइंट’ सिद्ध होगा जहाँ से सब कुछ आश्चर्यजनक रूप से परिवर्तित हो सकता है। आज का समय हमें सिखाता है कि हमें ‘वर्स्ट’ के लिये तैयार रहना चाहिए किंतु हमें ‘बेस्ट’ के लिये आशान्वित भी रहना होगा। हमें देर लग सकती है पर कोरोना पर हमारी जीत सुनिश्चित है।

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