Sleepy Eyes From Lockdown…. #निद्राएक्सपिरियेंसस्यशार्टपुराणम्वाचयामि

आकृति विज्ञा ‘अर्पण’, असिस्टेंट ब्यूरो चीफ-ICN U.P. घर एकदम साहित्यिक आनंद का श्रवणीय अखाड़ा हो गया है। रेगुलरिटी और अरेगुलरिटी (बोले तो इररेगुलरिटी ) की खतरनाक मिक्सिंग फिरकी ले रही है। एक तो ये खगोलशास्त्र उफ्फ! विदेशों की रात और यहां की सुबह,यहां की सुबह विदेशों की रात। ऊपर से आजकल पनपी मेरी निशा जागरण साधना।कभी दिन में सो लेती हूँ तो रात को अपनी ही वैचारिकी के लिये पहरा देना पड़ता है।जू मैप पर टुकुर टुकुर करती आँखे कभी भी झपक जाती हैं । सुबह मुझे जगाने के लिये…

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स्पेनिश फ्लू (महामारी): जब लग गए थे लाशों के ढेर

मोहम्मद सलीम खान, सीनियर सब एडिटर-आईसीएन ग्रुप सहसवान/बदायूं: इस समय भारत ही नहीं बल्कि दुनिया केअधिकतर देश कोरोना नामक भयंकर दानव रूपी महामारी से बड़ी वीरता के साथ मुकाबला कर रहे हैं। कोरोना का नाम आते ही एक आम आदमी के सामने खौफ तारी हो जाता है। इस भयंकर बीमारी ने देश ही नहीं बल्कि दुनिया के अधिकतर देशों की आर्थिक व्यवस्था को भी धरातल पर लाकर रख दिया है।इस महामारी के कारण एक और जहां लोगों का जानी नुकसान हो रहा है वहीं दूसरी ओर लोगों के सामने आजीविका का…

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तपिश से मेरी वक़्फ़े कश्मकश हर तारे बिस्तर है

By: Suhail Kakorvi ज़मीने ग़ालिब तपिश से मेरी वक़्फ़े कश्मकश हर तारे बिस्तर है मेरा सर रंजे बालीं है मेरा तन बारे बिस्तर है मेरी ग़ज़ल बहोत रंगीन है महका हुआ गुलज़ारे बिस्तर है मेरे पहलू में जो है वो तजल्ली बारे बिस्तर है Very colorful looks that garden like bedding One who is in my embrace is light scattering हमारी करवटें,और आंसुओं से उस को तर करना हमें बर्दाश्त कर लेता है ये इसारे बिस्तर है Make it wet change sides I in love desperation Bedding yet tolerates me,…

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प्रार्थना -2

तरुण प्रकाश, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप प्रार्थना शब्द के साथ जो मानसिक चित्र उभरता है, वह बड़ा ही पवित्र, निश्छल व शांत है- कहीं दूर वादियों में चाँदी की घंटियों की जल तरंग- पहाड़ों की चोटियों पर तैरता सुवासित धूम्र और प्रकृति की अधमुँदी आँखों में तैरता संतोष की पराकाष्ठा तक पहुँचा एक जादू । कितना पवित्र – कितना अलौकिक – कितना दिव्य । प्रार्थना व्यक्ति और परमात्मा के बीच संपर्क सेतु है। शायद इसी विचार स्तर पर मुझसे यह शे’र जन्मा है “जिस्म मेरा सफर पे है बाहर, मेरे अंदर…

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कोरोना त्रासदी में घर वापसी

सत्येन्द्र कुमार सिंह, संपादक-ICN U.P. यूँ तो पूरा विश्व इस वक्त कोरोनो महामारी से ग्रस्त है और लगभग हर जगह त्राहिमाम वाली स्थिति है किन्तु इन सब के बीच में घर वापसी का एक नया दौर और नई परिभाषा भी सामने आई है.देश भर से पलायन किये हुए मज़दूर बन्धु इस वक्त येन केन प्रकारेन अपने गृह प्रदेश व जिले में वापस जा रहे हैं. इसका वृहद् असर तो कोरोना की समाप्ति के बाद ही मिलेगा किन्तु इसका असर भविष्य में देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ना अवश्यंभावी है.जहाँ भी सम्भव हुआ…

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