जभी मुमकिन है हम दोनों का रोशन नाम हो जाए
मोहब्बत में बराबर से जो वो बदनाम हो जाए
only then is possible the glory of our name in love
If she equally shares the infamy the censure creates
तुम्हारा लुत्फ़ हम कब चाहते हैं आम हो जाए
मगर इतना तो हो थोड़ा हमारा काम हो जाए
I do not want that become public thy grace
But at least I expect some out of that
हकीकत यार के जज़्बों के खुल जाना यक़ीनी है
कि जिस लम्हा पसन्दीदाह हमें दुश्नाम हो जाए
It becomes certain that her emotions will appear clear,
To me, if I start relishing her harsh words for me
अमल की राह में ये सोच कर पैदा करो तेज़ी
“न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाए ”
Upon the path of put in thy practice rapidness
None knows the time arrives the evening of life[death]
इनायत मुझपे करते हो ग़लत उम्मीद है तुमको
कि इससे मेरी वहशत मायेले आराम हो जाए
Thou become mild and kind to me with baseless hope
That might my delirium have an inclination towards peace
उधर पहलूए साक़ी में तमाशा ही तमाशा है
ताज्जुब क्या इधर हमको अगर सरसाम हो जाए
Show continuous show goes on in the arms of barmaid
No surprise seeing all if I start suffering frenzy
सुहैल ऐसा अगर हो राजे गुलशन हाँ पे खुल जाएँ
अगर इस सैर में हमराह गुल अंदाम हो जाये
Possible that it may impart secrets of the garden upon me
Only then if in my stroll flower like beloved accompanies
लुत्फ़=प्यार ,आम =सार्वजनिक ,दुश्नाम =गाली ,अमल =कर्म ,वहशत मायेले आराम=आकुलता को आराम आना ,सरसाम =उन्माद ,गुल अंदाम =कोमल पग वाला