तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप मैं समय के सिंधु तट पर आ खड़ा हूँ, पढ़ रहा हूँ रेत पर, मिटते मिटाते लेख, जो बाँचे समय ने। काल ने देखे हज़ारों युद्ध यूँ तो रक्तरंजित। जंग ऐसी भी छिड़ी जिसमें हुआ यह विश्व खंडित।। वैश्विक था युद्ध पहला, उम्र बावन माह की थी। लड़ रहा था विश्व सारा, ऋतु भयानक दाह की थी।। दूसरा भी युद्ध वैश्विक था, भयानक वो समर था। कौन था दुनिया में जो इसके असर से बेअसर था।। दो शहर जापान के बलि…
Read MoreDay: May 14, 2020
चिरायता के फायदे और नुकसान
By: Dr. Ripudaman Singh, Associate Editor-ICN & Dr.Hemant Kumar, Asstt. Editor-ICN स्विर्टिया चिरेटा (Swertia Chirata) को भारत में चिरायता के रूप में जाना जाता है। स्विर्टिया चिरेटा इसका वैज्ञानिक नाम है। यह एक वार्षिक जड़ी बूटी है जो भारत भर में मिलती है और इसकी ऊंचाई 1.5 मीटर तक होती है। संस्कृत में इस जड़ी-बूटी को भूनिम्ब या किराततिक्त कहा जाता है। इस प्राचीन जड़ी बूटी को नेपाली नीम के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह नेपाल के जंगलों में एक आम पेड़ है। इस पौधे के बारे में सबसे पहले 1839 में यूरोप…
Read Moreपुलिस और जनता
मोहम्मद सलीम खान, सीनियर सब एडिटर-आईसीएन ग्रुप साठ के दशक में हिंदी सिनेमा की सबसे कामयाब फिल्म मुग़ले आजम बनी थी। फिल्म में मुख्य भूमिका अकबर ए आजम, शहजादा सलीम, व अनारकली की थी। फिल्म के अंत में मुगल शहंशाह अकबर अनारकली से मुखातिब होकर कहते हैं “अनारकली बखुदा हम मोहब्बत के दुश्मन नहीं लेकिन अपने उसूलों के गुलाम हैं। एक गुलाम की बेबसी पर गौर करोगी तो शायद तुम हमें माफ कर सको।” सहसवान/बदायूं: फिल्म की बेशुमार कामयाबी की गंभीर, सख्त, तेज तर्रार व तमाम जमाने की बुराई अपने…
Read Moreयूरीन रोकना कैसे बन सकता है जानलेवा जानें
डॉ. नौशीन अली, ब्यूरो चीफ-ICN मध्य प्रदेश भोपाल|आज कल किसी न किसी को यूरिन यानि पेशाब सम्बन्धी समस्या होती है वो ये कहने से शर्माता है कैसे कहे पर सबसे पहले हमें खुद ही इस समस्या को पनपने से पहले रोकना होगाकिडनी हमारे शरीर में फिल्ट्रेशन का काम करती है तो जब फ़िल्टर होगा तो वो पास यूरेटर को करेगी यूरेटर एक पाइप है जिसका ऊपर का हिस्सा किडनी और नीचे का हिस्सा ब्लैडर से जुड़ा होता है अब ये पाइप जिसमे टॉक्सिन्स (विषैले पदार्थ है उसने ब्लैडर को पास…
Read Moreअल्लाह का इस्लाम और मुल्लाह का इस्लाम के बीच मे रस्साकशी
एज़ाज़ क़मर “मुल्लाह-वर्ग” ने बहुत चालाकी से खेल खेला और जो हदीस उनके पक्ष मे थी,उसको ‘सच्चा’ (सही) और उसके लेखक को वफादार मुसलमान बताया और जो हदीस उनके पक्ष मे नही थी,उसको ‘ग़लत’ (मौदू) और उसके लेखक को मुनाफिक (गद्दार) मुसलमान बताया। हदीस मे जोड़-तोड़ एवं कुरान की सुविधानुसार व्याख्या से असंभव काम को इन्होने कैसे संभव कर दिखाया, इसको निम्नलिखित उदाहरणो के अध्ययन और विश्लेषण से समझा जा सकता है :- (1) “अमरूहुम शूरा बै-नहुम” [(“….Amruhum Shura Baynahum…..”) (Quran 42:38)] के अर्थ को “राजनैतिक परामर्श” के बजाय ‘समाजिक…
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