विश्व उच्च रक्तचाप दिवस पर विशेष: हल्के में ना लें उच्च रक्तचाप को -सतर्क रहें, नियंत्रित रखें और स्वस्थ जीवन जियें ।

डॉ अनुरूद्ध वर्मा एम डी(होम्यो ) वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक, सीनियर एसोसिएट एडीटर-ICN ग्रुप

विश्व उच्च रक्तचाप दिवस प्रतिवर्ष 17 मई को मनाया जाता है। उच्च रक्तचाप की समस्या की गंभीरता का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि दुनिया मे लगभग 1 अरब 30 करोड़  लोग इससे प्रभावित हैं वंही पर देश में लगभग 30 करोड़ से अधिक लोग इससे पीड़ित हैं । साइलेंट किलर के नाम से प्रसिद्ध  यह रोग दुनिया में अकाल मृत्यु का प्रमुख कारण है । उच्च रक्तचाप की समस्या की गंभीरता को देखते हुये इस वर्ष पूरे विश्व में इसके प्रति आम जनता में जागरूकता उत्त्पन करने एवँ शिक्षित करने के लिए जो विषय रखा गया है वह है: अपना रक्तचाप नियमित नापें, नियंत्रित  रखें और  लंबा जीवन जियें । ऐसा देखा गया है कि लोग नियमित रूप से रक्तचाप नापने के प्रति गंभीर नहीं हैं ।

भागदौड़, आपा- धापी, पश्चिमी एवँ आधुनिक जीवन शैली, चिंता, आरामतलब जिंदगी, तला -भुना भोजन मसालेदार भोजन उच्च रक्तचाप के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है। वैसे तो 95 %  लोगों में इसके निश्चित कारणों का पता नहीं होता है । उच्च रक्तचाप की समस्या से 40 से 60 वर्ष आयु वर्ग के लोग ज्यादा प्रभावित होतें हैं तथा पुरुषों एवं  महिलाओं में यह लगभग बराबर होता है।

आज 2020 में जब पूरा विश्व  पूरी दुनिया कोविड 19 के भय के कारण तनाव, दबाव एवं चिंता में है  विश्व उच्च रक्तचाप दिवस मनाने का महत्त्व  और अधिक बढ़ जाता है क्योंकि उच्च रक्तचाप को बढ़ाने में मानसिक तनाव एवँ दबाव बड़ी भूमिका निभाता है और उच्च रक्तचाप से अनेक हृदय रोगों के होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है और हृदय रोगियों में कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है इसलिये रक्तचाप को नियंत्रित कर हृदय रोगों से बचना जरूरी है ।

क्या है रक्तचाप एवँ उच्च रक्तचाप : ह्रदय द्वारा धमनियों में रक्त प्रवाह के दबाव एवम धमनियों में रक्त प्रवाह के प्रति प्रतिरोध को रक्तचाप कहा जाता है। सामान्य रूप से रक्तचाप जहां सिस्टोलिक 110-120 एम एम/एच जी एवम डायास्टोलिक 70-80 एम एम एम/एच जी के मध्य होता है और जब सिस्टोलिक रक्तचाप 140 और डायास्टोलिक 90 से अधिक होता है तब इसे उच्चरक्तचाप के रूप में परिभाषित किया जाता है ।

उच्च रक्तचाप को बढ़ाने वाले प्रमुख कारक : उच्च रक्तचाप को बढ़ाने के लिए जो मुख्य कारक जिम्मेदार हैं उसमें मोटापा, अधिक शराब का सेवन, आलसी जीवन, तनाव, चिंता1,ज्यादा नमक और वसा युक्त भोजन, धूम्रपान, तम्बाकू, फ़ास्ट फ़ूड और अनुवांशिक कारक प्रमुख हैं ।

क्या होते हैं उच्चरक्तचाप के लक्षण : उच्च रक्तचाप में ज्यादातर मरीजों में किसी विशेष प्रकार के लक्षण प्रदर्शित नहीं होते हैं परंतु थकान, सुस्ती, हृदय का तेज धड़कना, साँस फूलना, अनियमित नींद, नाक से खून आना, धुंधला दिखना, ज्यादा पसीना आना, सिर के पिछले हिस्से में दर्द और सुबह जागने पर बढ़ना, चिड़चिड़ापन, अधिक गुस्सा आदि के लक्षण हो सकते हैं ।

उच्चरक्तचाप से होने वाली जटिलताएं: यदि लंबे समय तक उच्चरक्तचाप बना रहे और उसका विधिवत उपचार ना किया जाए तो स्ट्रोक, हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर, किडनी का फेल होना, रेटिनोपैथी जैसी गंभीर समस्याएँ हो सकती हैं इसलिए समय रहते उपचार कराना आवश्यक है।

कैसे बचें उच्च रक्तचाप से: उच्च रक्तचाप से बचने के लिए जीवन शैली में परिवर्तन आवश्यक है ।वजन को नियंत्रित करें, तनाव एवम मानसिक दबाव से जितना संभव हो बचने की कोशिश करें, भोजन में नमक की मात्रा कम रखें, सेंधा नमक का प्रयोग करें, ज्यादा घी, तेल, वसा युक्त भोजन, फ़ास्ट फ़ूड का प्रयोग ना करें । सिगरेट ,बीड़ी, शराब का प्रयोग एवं अन्य नशीली चीजो का प्रयोग बिल्कुल ना करें। ताजी एवँ हरी सब्जियां, फल, आदि का सेवन करें। नियमित रूप से सुबह टहलने जाएँ। योग, प्राणायाम, व्यायाम एवम ध्यान करें ।

उच्च रक्तचाप का होम्योपेथिक उवचार :  होम्योपैथी में उच्च रक्तचाप के रोगी का उपचार उसके लक्षणों के आधार पर चयनित औषधि के द्वारा सफलता पूर्वक किया जा सकता है । उच्च रक्तचाप के उपचार में प्रयुक्त होने वाली औषधियों में रॉवल्फ़िया, एलियम सटाईवम, बेराइटा म्योर, नेट्रम म्योर,लैकेसिस, लाइकोपोडियम, नक्स वोमिका, एड्रेनेलिन, ऐमिल नाइट्रेट, ग्लोनिन, वेरेटरम वी का प्रयोग  चिकित्सक की सलाह पर किया जा सकता है।

Related posts