आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर 2000 से अधिक प्रवासी गरीब मजदूरों का सहारा बना प्रशान्त फाउंडेशन ट्रस्ट

देश मे कोरोना नॉवेल वायरस कोविड-19 के कारण पूरे देश मे लॉक डाउन हो जाने के वजह से लाखों परिवार सड़क पर आ गए हैं काम न मिलने की वजह से रोज कमाने-खाने वाले दिहाड़ी मजदूरों के परिवार भुखमरी के शिकार हैं ऐसी परिस्थितियों में देश प्रदेश के साथ साथ जनपद में भी ऐसे ही गरीब परिवारों की मदद करने के लिए प्रशान्त फाउंडेशन ट्रस्ट इटावा आगे आया है ट्रस्ट ने लोगो को बुनियादी जरूरत के सामानों और खाद्य सामग्री के पैकेट और दवाई , मास्क , सेनिटाइजर, साबुन इत्यादि…

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“इंद्रियो पर नियंत्रण करने का अभ्यास” अथवा “इंद्रियो पर विजय पाने का अस्त्र” है “रोज़ा”

एज़ाज़ क़मर, एसोसिएट एडिटर-ICN नई दिल्ली: रोज़ा’ अथवा ‘व्रत’ और ‘उपवास’ का इतिहास पुरानी सभ्यताओ के इतिहास के समान ही पुराना है, क्योकि मानवीय सभ्यता के विकास के बाद स्वास्थ्य और धार्मिक कारणो से व्रत और उपवास की परंपरा शुरू हो गई थी,धार्मिक उत्प्रेरक तत्वो मे प्राचीन परंपराओ और आध्यात्मिकता का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। आम धारणा यह है, कि व्रत, उपवास और रोज़ा एक ही शब्द के पर्यायवाची है,किंतु वास्तव मे ऐसा नही है,क्योकि व्रत और उपवास दोनो अलग-अलग “अम्ल” (कर्म) है और इन दोनो का ‘सामूहिक कर्म’ (अम्ल)…

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ग्रहों की स्थिति एवं व्यक्ति के जीवन पर उनका प्रभाव

डॉ भावेश दवे, ज्योतिषाचार्य, ICN आज हम अपने पाठकों को विभिन्न ग्रहों और उनके प्रभाव के बारे में जानकारी देते हैं। हिन्दू ज्योतिष शास्त्र में किसी व्यक्ति के जन्म के समय 9 ग्रहों की स्थिति के आधार पर उस व्यक्ति की कुंडली या उसके भाग्य का मूल्यांकन किया जाता है। अजमेर: सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु या बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु व केतु; वहीं वेस्टर्न ऑस्ट्रोलॉजि में 12 ग्रहों की स्थिति के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है, 3 अतिरिक्त ग्रह प्लूटो, नेपच्यून और हर्षल भी सम्मिलित हो जाते हैं। इन…

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भाषा बनाम संस्कृति और संस्कार

डॉ. संजय श्रीवास्तव  मैं आप सभी से सिर्फ एक ही बात पूछना चाहता हूँ कि क्या भाषा किसी संस्कृति के निर्माण करने में सहायक होती है ? मेरा मानना है कि वैसे तो एक संस्कृति के निर्माण में कई कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है किन्तु किसी भी संस्कृति को दर्शाने में सबसे ज्यादा महत्त्व विचारों और भाषा का होता है | हमारे संस्कार हमारे विचारों का एक आइना होते हैं जो ये दर्शाते हैं कि जो भी विचार हमारे मन मस्तिष्क में चल रहे होते हैं वो हमारे क्रिया कलापों…

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समय का गीत: 9

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप मैं समय के सिंधु तट पर आ खड़ा हूँ, पढ़ रहा हूँ रेत पर, मिटते मिटाते लेख, जो बाँचे समय ने।   स्वर लहर मोज़ार्ट की, वह नृत्य माइकल जैक्सन का। तान बिसिमिल्लाह की‌ थी‌ दिव्य, सुर मेंहदी हसन‌ का।। वो रफ़ी, आशा, लता के गीत का जादू निराला। हर ह्रदय में भर दिया जगजीत के स्वर ने उजाला।।    आज डाविंची, पिकासो, तूलिका से झांकते है। और रवि वर्मा, मदन नागर, कला को आँकते हैं।। शिल्प माइकल एंजलो‌ का आज भी‌ खुद…

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स्वस्थ विश्लेषण जरूरी है

आकृति विज्ञा ‘अर्पण’, असिस्टेंट ब्यूरो चीफ-ICN U.P. एक माँ ने सड़क पर बच्चा जना है कुछ लोग इस पर करेंगे सियासत…. कुछ लोग होंगे इतने निष्ठुर कि कह पड़ेंगे कि क्या जरूरत थी सड़क पर चलने की… बहुत जरूरी है पीड़ित को महसूसना उतारकर पूर्वाग्रह के चोले…. आपका समर्थन तंत्र हेतु ऐसा भी न हो कि न गिना सकें कमियां…… वहीं विरोध भी ऐसा न हो कि नजर न आये अच्छाइयां… हर घटनाओं में शामिल होते हैं कुछ स्वार्थी लोग लेकिन भुगतते हैं निस्वार्थ लोग….. पीड़ा तब बढ़ जाती है…

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गीत–ये लम्हे क्यों उदास हैं ….

घर पर रहें – घर पर सुनें” हर रोज़ नए गाने गीत –  ये लम्हे क्यों उदास हैं …. पार्श्व गायिका – मधुश्री (मुंबई) संगीतकार – केवल कुमार गीतकार – अशोक हमराही https://youtu.be/tmkL1XR0vsE सुप्रसिद्ध पार्श्व गायिका मधुश्री का वास्तविक नाम सुजाता भट्टाचार्य है, लेकिन संगीत जगत उन्हें ‘मधुश्री’ के नाम से जानता है। प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने अपने पिता अमरेन्द्रनाथ और माता पार्बती भट्टाचार्य से प्राप्त की। बाद में उन्होंने बिष्णुपुर घराने के संगीताचार्य पंडित अमिय रंजन बंधोपाध्याय से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा हासिल की तथा ठुमरी और ख्याल गायन में…

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ग़ज़ल–घर में रहकर ख़ुद से मिलना अच्छा लगता है ….

*”घर पर रहें – घर पर सुनें”* हर रोज़ नए गाने *ग़ज़ल* –  घर में रहकर ख़ुद से मिलना अच्छा लगता है …. *गायक* – पद्मश्री अनूप जलोटा (मुंबई) *संगीतकार* – केवल कुमार गीतकार* – अशोक हमराही https://youtu.be/MNQhhcLCAR0 पद्मश्री अनूप जलोटा सुप्रसिद्ध गायक होने के साथ – साथ संगीतकार, फ़िल्म निर्माता और अभिनेता भी हैं। भक्ति संगीत में उनकी लोकप्रियता के कारण उन्हें ‘भजन सम्राट’ कहा जाता है। गीत और भजन के अलावा  ग़ज़ल गायकी में भी उन्हें ख़ास मुक़ाम हासिल है। वर्ष 2012 के लिए उन्हें कला-भारतीय शास्त्रीय संगीत-गायन…

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एसजेवीएन के कर्मचारियों द्वारा सीएम रिलीफ फंड/एचपी कोविड सॉलिडेरिटी रिस्पांस फंडमें अपने एक दिन का वेतन ,44.5 लाख रुपए का अंशदान

चन्द्रकान्त पाराशर (वरिष्ठ एसोसिएट एडिटर) ICN शिमला : कोविड-19 एक संक्रामक रोग है जिसमें पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है। भारत में यह महामारी अति गंभीर स्वास्थ्य एवं आर्थिक चुनौतियां पेश कर रही है और दिनों दिन इस के मामलों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री नंदलाल शर्मा ने बताया कि एक जिम्मेदार कारपोरेट निकाय के रूप में तथा कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई की गंभीरता को समझते हुएएसजेवीएन कर्मचारियों ने सीएम रिलीफ फंड/एचपी कोविड-19सॉलिडेरिटी रिस्पांस फंड में स्वेच्छा से अपने एक दिन का वेतनजो44,50,000/- रुपए (चौवालिस लाख पचास…

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सेल्फी : मनोरंजन या मनोरोग ?

डॉ. संजय श्रीवास्तव  क्या आप सभी जानते है की एक ख़ास सर्वेक्षण के अनुसार अवसाद के बाद दुस्साहसिक सेल्फी लेना युवाओं में होने वाली मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण निकल कर सामने आया है | यूँ तो आप सभी जानते ही हैं की तस्वीरें खिचवाने का या अपनी तस्वीरे बनवाने का प्रचलन सदियों से चला आ रहा है उसके पीछे का मनोविज्ञान यही है की हर व्यक्ति खूबसूरत दिखना चाहता है और वह अपनी खूबसूरत तस्वीर को देख कर गौरान्वित अनुभव करता है ,प्रसन्न होता है वक़्त बदलता गया…

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