तीन प्रश्न-तीन उत्तर

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप
प्रश्नोत्तर – 3
अक्सर उठती है मन के अंदर यह पीड़ा,
क्या कभी समय के नियम समझ भी आयेंगे।
हर बार करेगा काल अंत मे जय हमको,
या हममें भी कुछ कालजयी कहलायेंगे।। (1)
क्या चाल‌ समय की निश्चित है, निर्धारित है,
जो छूट गया, वह क्यों इतिहास कहाता है।
क्या वर्तमान है धरती, पाँवों के नीचे,
अक्सर क्यों आने वाला भी दिख जाता है।। (2)
जाने भविष्य, फिर यह अतीत, फिर वर्तमान
के मध्य कौन सी डोर सदा सेि ‌जीवित है।
है छिपा हुआ किस दुनिया में आखिर भविष्य,
जो बीत गया इतिहास कहाँ पर संचित है।। (3)
परिणाम और कारण में कैसी दुरभि संधि,
हर कारण का परिणाम उपस्थित रहता है।
अहसास, समय से उपजा कैसे ये खगोल,
यह शून्य भला क्या समझाता, क्या कहता है।। (4)
ये सूरज, चंदा, ये तारे, ये धरा, क्षितिज,
दे रहे गवाही आखिर किसके होने की।
आखिर स्थितियां कैसे बनती हैं जग में,
जो ज़िम्मेदार हमारे हँसने रोने की।। (5)
है यहाँ देह का मतलब क्या, कैसा शरीर,
क्या बुद्धि, ह्रदय, मस्तिष्क, सभी है नाशवान।
मन की सत्ता से जादू किसका जुड़ा हुआ,
क्यों शून्य सृष्टि में उड़ता यह शाश्वत विमान।। (6)
हैं प्रश्न हज़ारों लेकिन उत्तर नहीं कहीं,
यह बुद्धि भटकती रह जाती है जीवन भर।
हम सपने में हैं या हम सपना देख रहे,
बस घूम रहे हम, कैसा है यह महा भँवर।। (7)
अस्तित्व अगर है मिला हमें तो निश्चित ही,
होगा कोई उद्देश्य, अर्थ उसका होगा।
बिन कारण तिनका तक जब उड़ता नहीं यहाँ,
तो इस जीवन का हेतु भला किसका होगा।।(8)
क्या काल खेलता खेल हमारी मिट्टी से,
जो रचता है क्यों वो कुम्हार परदे में है।
है शिल्पकार अदृश्य, शिल्प भौतिक लेकिन,
यह विश्व किसे नतमस्तक है, सजदे में है।।(9)
आखिर देता है प्राणसुधा क्योंकर कोई,
क्या श्रृद्धा से संबंध निहित विश्वासों का।
आखिर है कौन सँभाले खाते दुनिया में,
हर एक व्यक्ति की आती-जाती साँसों का।। (10)
इस तरह प्रश्न था एक उठाया जीवन ने,
क्या ध्वंस सृजन के नियमों से संरक्षित है?
वे कौन, समय की धूल नहीं जिनपर जमती?
हैं कौन यहाँ जो काल परे भी जीवित है ? (11)
जीवन ने ही इसका उत्तर दे दिया हमें,
सारी दुनिया को काल चक्र ने मारा है।
लेकिन फिर भी कुछ है जो बाहर है इसके,
यह काल चक्र भी जिनके आगे हारा है ।। (12)
है कालजयी सत्कर्मों की ही ख्याति सदा,
ये समय चक्र के हर प्रभाव से बाहर हैं।
ये कृष्ण, मोहम्मद, जीसस, नानक, राम, बुद्ध,
मर कर भी जीवित हैं, दुनिया में घर घर हैं।।(13)
गाँधी, कलाम, टैगोर जिये मानवता हित
कर उनका कोई भी संहार नहीं सकता।
यह समय स्वयं में कितना ही बलशाली हो,
ये चाहे जितना, उनको मार नहीं सकता।।(14)

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