ओशो जैसी हस्ती का किरदार निभाना आसान नही था : विवेक मिश्रा

सिमरिया मध्य प्रदेश के रहने वाले विवेक मिश्रा , पिता श्री रोहिणी नंद कुमार मिश्रा । विवेक बताते हैं सातवीं कक्षा में जब वह पिताजी की डर से है पढ़ाई करते करते चोरी चोरी टीवी देख रहे थे तब उन्होंने कमबख्त इश्क फिल्म देखी तब से उन्हें एक अंदर से आवाज आई कि उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में अपना करियर बनाना है रास्ता तय करना आसान नहीं था । एक छोटे गांव केे रहने वाले विवेक बताते हैं कि 11वीं कक्षा में जब वह अपने इसी मकसद के साथ जब भोपाल…

Read More

नयी फ़िल्म सुस्वागतम् ख़ुशामदीद के साथ पुलकित सम्राट करेंगे सोशल बांडिंग प्रमोट

बिट्टु बॉस, फ़ुकरे, फ़ुकरे रिटर्न और पागलपंथी में अपने हास्य किरदारों निभानेवाले अभिनेता पुलकित सम्राट अपनी कामिक़  टायमिंग और हास्य किरदारों के लिए दर्शकों के बीच लोकप्रिय है न्यू जेनरेशन  एक्टर्स में पुलकित युवा दर्शकों के साथ ही फ़ैमिली आडियंस में भी काफ़ी पसंद किए जाते है । क़ोरोना की वैश्विक महामारी के चलते लाँक डाउन के बीच पुलकित सम्राट की नयी फ़िल्म की सुस्वागतम् ख़ुशामदीद का एनाउनसमेंट बालीवुड और उनके चाहनेवालो के लिए एक राहत देनेवाली खबर हैं  फ़िल्म सुस्वागतम् ख़ुशामदीद एक पूरी तरह से कामेडी फ़िल्म है लेकिन…

Read More

गीत: कैसे बीतेंगे इंतिज़ार के दिन …

केवल कुमार, एंटरटेनमेंट एडिटर-ICN   “घर पर रहें – घर पर सुनें” हर रोज़ नए गाने नमस्कार  Unlock 1 शुरू हो गया है, अब घरों में रहने की बाध्यता भले ही न हो, लेकिन सतर्कता अब और भी ज़रूरी है; यह संक्रमण काल है, ऐसे में अपनी हिफ़ाज़त हमें खुद करनी है। बेहतर होगा जब बहुत ज़रूरी हो तभी घर से निकलें, वो भी बचाव के सभी नियमों का पालन करते हुए… हम आपके लिए रोज़ नए गाने पेश करते रहेंगे, आप *घर में रहें – सुरक्षित रहें गीत – कैसे…

Read More

गीत: आंखों में जब से जाग रहे हैं सपने कल के

केवल कुमार, एंटरटेनमेंट एडिटर-ICN   “घर पर रहें – घर पर सुनें” हर रोज़ नए गाने गीत – आंखों में जब से जाग रहे हैं सपने कल के गायिका– पुष्पा बनर्जी (वाराणसी) की बोर्ड – शुभंकर चटर्जी गिटार – विश्वजीत चटर्जी संगीतकार- केवल कुमार गीतकार – अशोक हमराही https://youtu.be/AXRyKQc5T-U गायिका पुष्पा बनर्जी आकाशवाणी वाराणसी तथा दूरदर्शन की कलाकार हैं. इन्होने गायन में संगीत प्रभाकर किया है. इनके गुरु ठुमरी सम्राट पंडित महादेव प्रसाद मिश्र थे. पुष्पा बनर्जी देश के विभिन्न राज्यों में अनेक कार्यक्रम दे चुकी हैं.  वह कई भाषाओं में…

Read More

गीत: नैना बहायें नीर तुम बिन कल न परे …

केवल कुमार, एंटरटेनमेंट एडिटर-ICN   “घर पर रहें – घर पर सुनें” हर रोज़ नए गाने गीत –  नैना बहायें नीर तुम बिन कल न परे … मिश्र राग : ताल  कहरवा* गायिका – देबारति चक्रवर्ती (कोलकाता) तबला – अर्घ्यजीत चक्रवर्ती (Arghyajit  Chakraborty) संगीतकार – केवल कुमार गीतकार – अशोक हमराही https://youtu.be/3hR0zfB2obQ बांग्ला और हिंदी की सुप्रसिद्ध गायिका देबारति चक्रवर्ती को संगीत विरासत में मिला। उनके पिता अजीत कुमार चक्रवर्ती जाने माने तबला वादक रहे हैं। संगीत की प्रारंभिक शिक्षा उन्हें अपने पिता से ही मिली। उन्होंने कथक नृत्य का प्रशिक्षण…

Read More

मन उतना ही गीत तृप्ति के गायेगा

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप तन जितना तृष्णा-तृष्णा चिल्लायेगा ।  मन उतना ही गीत तृप्ति के गायेगा ।। नाखूनों से देह खुरच कर जीवन भर,  काल निरंतर मूक कहानी लिखता है । बाल सुलभ, यौवन मय और बुढ़ापे के, हर स्तर पर चित्र नया ही दिखता है ।।     तन की चादर झीनी होती जाएगी , मन लेकिन हर बार युवा रह जायेगा । तन का क्या आना, क्या जाना, मिथ्या है,  मन का ही यौवन तन पर आ मिलता है ।  मन के रोने से ही  आँखें…

Read More

नकारात्मक बनाम सकारात्मक

सुहैल काकोरवी, लिटरेरी एडिटर-ICN ग्रुप (इस कविता का आधार मरीज़ों की निगेटिव रिपोर्ट आना है और निगेटिव बस यहीं सफल है) मोहब्बत करने वालों के लिए ये आम है लोगों किसी की इक “नहीं” तो रोज़ उसका काम  लोगों अज़ीयत देना और बर्बाद करना हुस्न की आदत कि इसको क्या किया जाए यही तो उनकी है फितरत सदा इंकार से ही हिज्र का हंगाम होता है इसी से कल्बे आशिक़ का बुरा अंजाम होता है कि है इंकार आतिश जो सुकूने दिल जलाती है ये है तूफ़ान जिसमें हर मसर्रत…

Read More

कैंसर

अखिलेश कुमार श्रीवास्तव ‘चमन’, सेवानिवृत्त अधिकारी एवं लिटरेरी एडिटर-ICN हिंदी कहानी और अब आगे जैसे-जैसे समय बीतता गया बंटी और नूरी जी, जान से एक-दूसरे पर न्यौछावर होते चले गए। जितनी भी देर स्कूल में रहते उन दोनों का उठना-बैठना, खाना-पीना, खेलना- कूदना, सब कुछ साथ ही होता था। लेकिन स्कूल से बाहर निकलते ही वे दोनों एक-दूसरे के लिए बिल्कुल अजनवी बन जाते थे। मम्मियों के द्वारा लगायी गयी पाबन्दियों का असर यह हुआ कि वे दोनों बच्चे अब बड़ी सफाई से झूठ बोलना सीख गए। नूरी की मम्मी…

Read More

ज़ुल्म की परछाइयां

अमिताभ दीक्षित, एडिटर-ICN U.P. हर तरफ हैं जुल्म की परछाइयां। घेर लेती हैं हमें रुसवाइयाँ ।। क्यों न बदलेगा लिबास-ए-जुस्तजू। पूछती हैं गौर से तनहाइयाँ।। पाँव में ले के हिनाई आरजू। बेसबब क्यों फिर रही अंगड़ाइयाँ।। रोज माथे की लकीरों से जिरह। उम्र को आवाज़ दें रानाइयाँ।। डूबने वाले को क्या क्या चाहिये। पूछती हैं रिन्द की गहराइयाँ।।

Read More