लम्हे यश चोपड़ा की रोमांटिक फिल्मों में सबसे मार्मिक फिल्मों में से एक थीं। हालांकि यह फिल्म सफल नही हो पाई थी लेकिन 1991 में आई फ़िल्म की चर्चा हमेशा होती हैं। हनी ईरानी द्वारा लिखी इस फ़िल्म की कहानी प्रेम के नए अध्याय को गढ़ती हैं। श्री देवी ,अनिल कपूर,अनुपम खेर और वहीदा रहमान जैसे दिग्गज कलाकार इस फ़िल्म में थे। इसकी कहानी में नायक जिसे चाहता है उसे नही पा पाता और उसकी मौत के बाद नायिका के बच्ची की जिम्मेदारी उस पर आ जाती हैं लेकिन वो…
Read MoreDay: June 17, 2020
गीत: उड़ गई निंदिया हमार सखी री परदेसिया के मारे …
केवल कुमार, एंटरटेनमेंट एडिटर-ICN “घर पर रहें – घर पर सुनें” हर रोज़ नए गाने गीत– उड़ गई निंदिया हमार सखी री परदेसिया के मारे … गायिका- तान्या भारद्वाज (बाराबंकी) म्यूज़िक अरेंजर और साउंड एडीटर – डी नाथ शर्मा संगीतकार – केवल कुमार गीतकार- अशोक हमराही https://youtu.be/63ZyngH9Gxg बचपन से ही प्रतिभाशाली तान्या भारद्वाज अपने जन्म स्थान गोरखपुर के भव्य दुर्गा पूजा से लेकर अन्य स्थानीय कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुति देती रही हैं, तत्पश्चात बाराबंकी में देवा,महादेवा आदि मोहत्सवों में अपने गायन व नृत्य (कथक) से उपस्थिति दर्ज़ कराती रही हैं…
Read Moreअमीर खुसरो : भारतीय सांस्कृतिक पुरुष
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप यदि मध्यकालीन भारत को एक व्यक्ति के रूप में परखने की पहेली सुलझाने की शर्त हो तो इस शर्त को केवल एक ही उत्तर देकर जीता जा सकता है और वह है – खुद पहेलियों के बादशाह अमीर खुसरो। अमीर खुसरो न केवल आज इतिहास के अंश हैं बल्कि वे अपने आप में संपूर्ण भूगोल, साहित्य, संगीत, संस्कृति व इतिहास भी हैं और तेजी से भागते हुये समय और बदलते हुये परिवेश के मध्य अपने स्थान पर मजबूती से ठहरा एक कालखण्ड…
Read Moreग़ज़ल: हम तो महफूज़ अपने घर में हैं, फ़िक्र उनकी है जो सफ़र में हैं …
केवल कुमार, एंटरटेनमेंट एडिटर-ICN “घर पर रहें – घर पर सुनें” हर रोज़ नए गाने ग़ज़ल – हम तो महफूज़ अपने घर में हैं, फ़िक्र उनकी है जो सफ़र में हैं … गायिका– मिथिलेश तिवारी (गोरखपुर) म्यूज़िक अरेंजर – के के सिंह संगीतकार – केवल कुमार गीतकार – अशोक हमराही https://youtu.be/pJe_zc3Of2w गायिका मिथिलेश तिवारी आकाशवाणी व दूरदर्शन की अनुमोदित कलाकार हैं. उन्होंने दर्शनशास्त्र और संगीत गायन में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की है। मिथिलेश तिवार भजन, गीत , ग़ज़ल, लोक गीत सभी कुछ गाती हैं। अनेक संगीत रूपकों में उन्होंने…
Read Moreघर टूट गया
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप कहानी और अब आगे उस रात घर में कोई नहीं सोया। पिताजी रात भर उठ-उठ कर टहलते रहे। माँ की आँखों से उस रात आँसू नहीं, खून बहा था। अनु की आँखें पथरा गईं थीं जिनमें सपने कभी नहीं उगते और मेरी आँखों से बस धधकता हुआ धुआँ निकलता रहा। मैं बार-बार पिताजी के अपमान का बदला लेने आर-पार की लड़ाई के लिये घर से जाना चाहता था लेकिन माँ और पिताजी ने अपना वास्ता देकर मुझे रोक लिया। वे बोले कि वे…
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