गीत-गीता : 3

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) (छंद 15-21) संजय : (श्लोक 12-27) फिर युधिष्ठिर ने बजाया शंख अपना अनंतविजयम। शंखध्वनि का नाद स्वर से हो रहा रण बीच संगम।। तब नकुल ने शंख अपना भी बजाया है गरज कर। और फिर सहदेव मणिपुष्पक बजाते हैं निरंतर।।(15)   श्रेष्ठ काशीराज, सात्यिक, द्रुपद, वीर विराट डोले। वीर अभिमन्यु, शिखंडी, धृष्टद्युम्न के शंख बोले।। द्रोपदी के पुत्र पाँचों, शंख के मु़ँह खोलते हैं। इस महास्वर से डरे, कुरु वक्ष सारे डोलते हैं।।(16)   पार्थ ने ले शस्त्र…

Read More