सुहैल काकोरवी, लिटरेरी एडिटर-ICN ग्रुप
कहते है लोग जां का निगह्बां है फासला
आज़ार जारिया है तो दरमाँ है फासला
All say that protector of life is distance
Amidst continuous affliction remedy is distance
घुटती हुई दिलों में तमन्नाये वस्ल है
क़ुरबत गराँ हुई है तो अरज़ां है फासला
Suffocate within the desire of union
Costly turned nearness and cheaper became distance
सूने पड़े हैं सारे मुक़ामात बंदगी
बिलकुल नया ये फ़ितनाये दौरां है फासला
All places of worship now are desolate
Absolutely strange is this terror of time-the distance
ले जाए अपने साथ हलाकत का हर सबब
रुखसत के वास्ते जो खिरामाँ है फासला
Must carry along all causes of death, it released
Looks it is moving to depart the distance
अब तक हुआ न था ये मआनी का उसके ढंग
अब जो हुआ है इस्पे तो हैरां है फासला
Manifests new meaning of its new look not known before
And what happened now amazed even distance itself
खोती है क़द्र सच है मुलाक़ात रोज़ की
आमिल है हम हिदायते खूबां है फासला
The daily meeting causes loss to one’s dignity
I follow as it is the direction if elegant creatures
वो जिस तरह बनाता है उसका कमाल है
उसकी अदाए नाज़ का उनवां है फासला
The way she creates that is her knack
It is the pretext of her sweet gesture the distance
है जुस्तुजू तवील तो मंज़िल है वाह्मा
राही के इंतिशार का सामां है फासला
The struggle is long when the goal is but uncertain
Cause it has become of the confusion of wayfarer the distance
ये चाल है जो उसने तक़द्दुस की आड़ ली
कहने लगा तहफ़्फ़ुज़े ईमां है फासला
It is her trick that she brings chastity as an excuse
And says that in the distance lies the safety of faith
हम दोनोँ है सुहैल जुदा रूह मुज़्तरिब
ज़ालिम हमारे हाल पे ख़नदां है फासला
Parted we are and perplexed is soul
And the cruel distance there laughs upon our sad plight
निगह्बां=रक्षक ,आज़ारे जारिया =निरंतर रोग, दरमाँ=उपचार ,क़ुरबत गराँ =महंगी समीपता ,अरज़ां =सस्ता ,मुक़ामात बंदगी=पूजा स्थल ,फ़ितनाये दौरां=समकालीन आतंक ,हलाकत =मृत्यु ,सबब =कारण ,रुखसत =विदाई ,खीरामां=चलने की क्रिया ,अदाए नाज़=सुन्दर कृत ,उनवां =शीर्षक ,जुस्तुजू तवील=दीर्ध परिश्रम ,वाह्मा =संशय ,इंतिशार=सम्भ्रम ,तक़द्दुस=पवित्रता ,तहफ़्फ़ुज़े ईमां =धर्म की सुरक्षा,रूह मुज़्तरिब=आत्मा की पीड़ा , ख़नदां=हंसने की दशा ,हंसना
विशेष:- ‘सुहैल काकोरवी’ उर्दू, अंग्रेजी, हिंदी व फारसी के साहित्य का एक ऐसा नाम हैं जो स्वयं भी “साहित्य” ही है. उन्होंने जितना भी लिखा वो साहित्य की सर्वशेष्ठ वर्ग में आता है और यही कारण है की समय समय पर ‘लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड’ एवं ‘इंडियन बुक्स ऑफ़ रिकॉर्ड’ जैसी संस्थाओं ने उनकी अनेक पुस्तकों को कीर्तिमानो की मान्यता दी है. श्री सुहैल काकोरवी आई.सी.एन. नेशनल (साहित्य) के सम्मानीय एडिटर हैं. उनकी इस रचना को प्रकाशित करते हुए आई.सी.एन. को अत्यंत गर्व का अनुभव हो रहा है.