प्यारे दोस्तों…..

आकृति विज्ञा ‘अर्पण’,असिस्टेंट ब्यूरो चीफ-ICN U.P. 
घड़ी बार बार कह रही दो बजने को हैं और मन कह रहा कुछ और तारे गिन लो।तारे आसमान में हैं और देखो तो आँखों में उग आते हैं और जब ये आँखों में उग आते हैं तो असल में एक ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जहाँ मैं बहुत ही धनी होती हूँ।कितना सुखद है न कि कोई विचार ही न आये और विचार न आने के सिलसिले के बीच कुछ बातों के फूल महकने लगते हैं और बातें भी कैसी?  सब तुम्हारी बातें।
असल में तुम दोस्तों ने इतने खतरनाक और व्यापक रूप से ‘अनकंडीशनल ‘ शब्द का अर्थ समझाया है कि पूछो मत …….बेफिक्र होना क्या होता है यह बस तुम्ही लोग समझा सके और समझाने से ज्यादा प्रोसेसिंग का मसला है यह।
मुझे पता है मैं जो लिख रही हूँ यह एकदम उलजलूल है बिल्कुल बे हाथ पैर का लेकिन तुम सब हर चीज़ में हाथ पैर लगा सकते हो ,सच में यकीन मान हाथ में पैर और पैर में हाथ भी।
सड़क पर परछाई का ऐंगल नापने से लेकर इक्जामिनेशन हाल में सुनसान कापियों पर मनगढ़ंत डायग्राम चेपने तक की कला तुम्ही सब तो सिखाते हो न।
मतलब दिमाग खराब हो तो तुम सब राष्ट्रपति बना देते हो और इधर उधर हो तो गजबे टेंशनियाते हो तुम सब।
तुम लोगों के ख़ूबसूरत साथ ने जिद के साथ वल्यूज को गले लगाना सिखाया ,तुम सबने मुझे बिगाड़ रखा है और सुधारोगे भी तुम्ही सब।
तुममें से कुछ जो अब शरीर नहीं रहे हवाओं में बट चुके हैं  उनके होने के एहसास कभी खालीपन नहीं लाता वल्कि एक अनकहा सा भराव महसूस कराता है जिसका सारा श्रेय तुममे उन चालू प्राणियों को जाता है जो मन की भाषा भांप कर मामला बदल देते हैं।
जीवन का क्या?
हरदम नयी शक्लों में ढलवाने को ठानी रहती है लेकिन तुम सब उसके तमाम मंसूबों पर गोला पार देते हो।बहुत बार दिनोंदिन हो जाते हैं न बातचीत के फिर भी एहसास में इतना नयापन जैसे कि कभी लगा ही नहीं कि कितने दिन हुये । बिल्कुल ही कल ही बात हुयी ऐसा लगता है।
मिलो तब तो ब्रेक अप पार्टी जैसी घटनायें घटें ऐसे वाक्य बिल्कुल श्लोक हैं यार।
मिलो पार्टी हो ही जाय बस समय थोड़ा फेवर में आ जाये ताकि अपना अपना फ्लेवर भी बना रहे।इस बार जो हुआ खुद हुआ ,दिमाग बान्हे रख के लिखे हैं ,झेलो न झेलो ,कोई आदेश या सुझाव नहीं है लेकिन अब तो पढ़ ही चुके हो ,सो जाये दो अब।
कहना तो नहीं चाहिए फिर भी एक थैंक यू टाइप का कुछ  अनटोल्ड लेवल पर फील कर लेना और मेरी मुस्कुराहट भी तुम सब पर उग आये तो और अच्छा।
जानते हो न मन रूंधा है इसीलिये चुप रहो और बस कुछ देर चुप ही रहो।
बाकि बातें मिलने पर ……….
        बस यूं ही ….बूझ लो अजुवे फ्रेंडशिप डे है।
तुम सबकी
अर्पण
(आकृति विज्ञा ‘अर्पण’)
जून 28 -2020
2am

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