प्रो. प्रदीप कुमार माथुर नई दिल्ली। किसी देश और उसके देशवासियो के चरित्र की सही परीक्षा संकट की घडी में ही होती है। अच्छे समय में तो सब कुछ ही अच्छा लगता है। आज जब विश्व के तमाम अन्य राष्ट्रों के साथ हमारा देश भी गंभीर संकट के समय से गुजर रहा है तो यह प्रश्न स्वाभाविक ही है कि क्या हम इस संकट का सामना चारित्रिक दृढ़ता, धैर्य, ईमानदारी, निस्वार्थ भाव, त्याग और सेवा की भावना से कर रहे है अथवा नही? यह भी जानना आवश्यक है कि क्या…
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