एज़ाज़ क़मर, डिप्टी एडिटर-ICN नई दिल्ली: पिछले तीन दशको से हर 11 जुलाई को जनसंख्या दिवस के अवसर पर समाचार पत्रो मे बड़े-बड़े विज्ञापन और लेख छपते है,फिर दोपहर से कार्यक्रम शुरू हो जाते है जिसमे बुद्धिजीवी तथा समाज के सम्मानित व्यक्ति जमकर भाषण-बाजी करते है और चाय-नाश्ता या भोजन करने के बाद सब अपने-अपने घर जाकर सो जाते है।इन लोगो का दायित्व था कि घर जाकर अपने परिवृत के मनुष्यो को जनसंख्या नियंत्रण विषय पर शिक्षित तथा प्रशिक्षित करते,लेकिन यह बुद्धिजीवी जनसंख्या नियंत्रण विचार को एक आंदोलन का रूप…
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