वाल्मीकि रामायण पर आधारित उर्दू नाटक हिंद के राम के निर्देशक, मुश्ताक काक के साथ एक इंटरएक्टिव सत्र

नई दिल्ली। उर्दू लेखक डॉ. मोहम्मद अलीम की लिखे वाल्मीकि रामायण पर आधारित उर्दू नाटक “हिंद के राम” की मंचीय प्रस्तुति निकट भविष्य में होने जा रही है। इस विषय में जानकारी देने एवं नाटक में हिस्सा लेने के इच्छुक नाट्यकर्मियो के साथ नाटक के निर्देशक श्री मुश्ताक काक (संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित), लेखक डॉ. मोहम्मद अलीम और निर्माता अतुल गंगवार ने एक लाइव सेशन में बातचीत की। गौरतलब है अभी कोरोना काल में सारी गतिविधियां ऑनलाइन हो रही हैं। इस प्रस्तुति को अदबी कॉकटेल के बैनर में किया…

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बाल गीत : ओ मेरी सहेलियां नन्हीं नन्हीं चिड़ियां  …

केवल कुमार, एंटरटेनमेंट एडिटर-ICN  “घर पर रहें – घर पर सुनें” रोज़ नए गाने बाल गीत – ओ मेरी सहेलियां नन्हीं नन्हीं चिड़ियां  … बाल स्वर – मनस्वी तिवारी (मुंबई)                           आवृत्ति चक्रवर्ती (गुड़गांव)                           मान्या तिवारी (मुंबई) संगीतकार – केवल कुमार गीतकार – अशोक हमराही म्युज़िक अरेजमेंट – के के सिंह (गीत सुनने के लिए इस लिंक को छूएं) https://youtu.be/Uq4BXX6jcXw बाल गीत : कोरोना जैसी…

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फोटो

अमिताभ दीक्षित, एडिटर-ICN U.P.  कहानी  अपनी गाड़ी वर्कशाप में देने के बाद, मैं चौराहे की ओर बस स्टडैण्ड की तरफ निकल गया। शायद इस गरज से कि बस या टैक्सी कुछ भी मिल जाये तो घर चला जाय। इस चिलचिलाती धूप में पैदल जाने से तो बेहतर ही होगा।    किस्मत अच्छी थी सामने ही एक घर की तरफ जाने वाली बस खड़ी दिख गई। मैं बेझिझक उसमें चढ़ गया। बस बिल्कुल खाली थी। शायद दो या चार सवारियाँ | मैं आगे से तीसरी सीट पर बाई तरफ बैठ गया।…

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बॉलीवुड की यहूदी परियां : एक नज़राना (श्रद्धांजलि)-सबिता देवी (Iris Maude Gasper)

एज़ाज़ क़मर, डिप्टी एडिटर-ICN (The Jewish Fairies of Bollywood : A Tribute) नई दिल्ली। बॉलीवुड मे यहूदी अभिनेत्रियो के आगमन से पहले पुरुष कलाकार महिलाओ की भूमिका भी अदा किया करते थे,क्योकि संभ्रांत/सम्मानित परिवारो की महिलाये फिल्मो मे काम (अभिनय) करना दुष्कर्म (पाप) समझती थी,बल्कि सिर्फ राजा-नवाब के दरबार मे नाचने-गाने वाली नर्तकी-गायिका ही फिल्मो मे काम करने का ज़ोख़िम लेती थी।फिर बॉलीवुड से जुड़े परिवारो की महिलाये अपने परिवार के पुरुष सदस्यो की सहायता के नाम पर फिल्मो मे अभिनय करने लगी,किंतु क्रांति तब आई जब कामकाजी महिलाये अधिक धन…

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ग़ज़ल

सुहैल काकोरवी, लिटरेरी एडिटर-ICN ग्रुप अजीब अजीब हालात में हमारी शाइरी होती है। एक अच्छे ख़याल का तकाज़ा एक शेर होता है लेकिन अगर शेर बन गया तो उसके अहतराम में हम पूरी ग़ज़ल कहते फरमाइशी शाइरी की लातादाद मिसालें हमारे स्टॉक में हैं तौसीफ अरशद वली दावर रज़ा जैसे नौजवानों की फरमाइशें इससे कुछ पहले शेख असद आमिर मुस्तफ़वी ने न जाने कितनी ग़ज़लें कहलाईं बड़ों में संजय शौक़ अशर अलीग तरुण प्रकाश जी का नाम भी इसी फेहरिस्त में आता वो फेहरिस्त जिसके प्रथम स्थान पर खानकाहे काज़मिया…

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हिंदी विश्‍वविद्यालय की बोधिसत्त्व बाबा साहेब ई-ज्ञान श्रृंखला में डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री जी का उद्बोधन

डॉ. रिन्जु राय, एसोसिएट एडिटर-ICN भारतीय सांस्‍कृतिक चेतना में कश्‍मीर’ विषय पर दिया व्याख्यान , @vcomgahv के माध्‍यम से फेसबुक लाइव स्‍ट्रीमिंग व यूट्यूब पर हुआ प्रसारण. जम्‍मू-कश्मीर सांस्‍कृतिक चेतना का गर्भगृह है – डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वर्धा, 25 जुलाई 2020: महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय वर्धा में बोधिसत्त्व बाबा साहेब ई-ज्ञान श्रृंखला के अंतर्गत आयोजित व्याख्यान श्रृंखला के सातवें व्याख्यान में गुरुवार, 23 जुलाई को हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्‍वविद्यालय के कुलपति डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री जी ने ‘भारतीय सांस्‍कृतिक चेतना में कश्‍मीर’ विषय पर दिए व्याख्यान में कहा…

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गीत-गीता : 13

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) द्वितीय अध्याय (सांख्य योग) (छंद 50-56)   श्रीकृष्ण : ( श्लोक 11-53)   जो भी तेरे बैरी हैं, अपशब्द तुझे बोलेंगे। पीड़ा के द्वार हज़ारों, वे नित तुझमें खोलेंगे।।(50)   यदि युद्ध तुझे लीलेगा, तो स्वर्ग तुझे निश्चित है। यदि विजय तुझे मिल पाई, धन धान्य राज्य समुचित है।। (51)   जय और पराजय दोनों, समभाव सहित स्वीकारे। तू लाभ-हानि, दुख-सुख को, तज कर आयुध निज धारे।।(52)   हे पार्थ! बुद्धि क्या केवल, है ज्ञान योग की दासी।…

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उर्दू शायरी में ‘धूप’: 2

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  धूप का ख़याल आते ही ज़ह्न में रोशनी और तपन भर जाती है। धूप रोशनी भी है और ज़िंदगी भी। धूप अगर जीवन के चमकदार पक्ष की वकालत करती है तो वह जीवन के जलते हुये सफ़र की साक्षी भी है।   धूप के अनेकों रंग हैं और वैज्ञानिक तथ्य तो यह है कि जब सारे रंग एक साथ मिल जाते हैं तो ‘धूप’ बन जाती है। उर्दू शायरी में इस बहुआयामी धूप को तरह-तरह से परिभाषित करने की कोशिशें हुई हैं लेकिन…

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