ग़ज़ल

सुहैल काकोरवी, लिटरेरी एडिटर-ICN ग्रुप
अजीब अजीब हालात में हमारी शाइरी होती है। एक अच्छे ख़याल का तकाज़ा एक शेर होता है लेकिन अगर शेर बन गया तो उसके अहतराम में हम पूरी ग़ज़ल कहते फरमाइशी शाइरी की लातादाद मिसालें हमारे स्टॉक में हैं तौसीफ अरशद वली दावर रज़ा जैसे नौजवानों की फरमाइशें इससे कुछ पहले शेख असद आमिर मुस्तफ़वी ने न जाने कितनी ग़ज़लें कहलाईं बड़ों में संजय शौक़ अशर अलीग तरुण प्रकाश जी का नाम भी इसी फेहरिस्त में आता वो फेहरिस्त जिसके प्रथम स्थान पर खानकाहे काज़मिया के सज्जादानशीन मेरे आक़ा ज़ादे शाह ऐनुल हैदर क़लन्दर  ज़िया मियाँ हैं जिन्होंने मुझसे वो कुछ कहला लिया जो मेरी समझ के मुताबिक़ नामुमकिन था खैर उसमें हैरत क्या।दुनियाए रूहानियत में आइये सब रोशन हो जाएगा ये बात यक़ीनी नहीं है की सुबूर को कब कौन शेर पसंद आ जाए और मेरे व्हाट्सअप पर आ और वो शेर मुझसे उसी ज़मीन में मेरी ग़ज़ल मांगता हुआ आता है ये भी उसी डिमांड की पूर्ति है सुबूर की ख्वाहिश रद्द होने के लिए होती ही नहीं ऐसी ग़ज़लों का एक अलग मजमुआ है  जिसकी ग़ज़लें अपने चाहने वालों से मेरे जज़्बों के मधुर सम्बन्ध की गवाही हैं।
ये ग़ज़ल क़य्यूम ताहिर के इस शेर की ज़मीन पर है जो सुबूर ने पसंद करके मुझे भेजा ;
मेरे पोर पोर पे तितलियाँ कई रंग छोड़ के जा चुकीं
तेरे ज़िक्र का कोई फूल था मेरे रतजगों में खिला हुआ
ग़ज़ल
मुझे ज़ख्म उसने दिए भी हैं वही पूछता है कि क्या हुआ
जो तू उसके जाल में फँस गया मेरे दिल ये तेरा बुरा हुआ
She inflicted a wound into me and what happened asks she
O! My heart thou art entangled in her net is bad an irony
वो न जाने कौन सा कैफ था कि जो तैरता था वजूद पर
कि वहां खिले हुए फूल थे कि वो नींद से था उठा हुआ
Unknown might have been joy which flows upon her being
So flowers bloom thereupon and nw she is awakening
मेरी ज़िन्दगी के बचे थे दिन ये क़ज़ाओ क़द्र का खेल है
यही इक खिलिश थी बहोत मुझे कि निशाना उसका खता हुआ
Some days might have remained of my life-A play of fate’s irony
Yet pricks me as I am sore at her missing the target unfortunately
वो जो इक ख़याले हसीन था उसे जी न पाया था मेरा दिल
वो अजीब शोख ख्याल था वो पलक झपकते हवा हुआ
I could not live with that, could not enjoy that idea lovely
It was strange,with a bat of eye disappeared playfully
ये अजीब चीज़ है बेखुदी कि जो सच है इसमें कहीं है गुम
कहीं दिल में उसके नहीं था वो जो ज़बां से उसकी अदा हुआ
Insensibility is often unfamiliar,conceals within it truth
It was never in her heart what she uttered- demands Ruth
तेरे इज़्तिराब की साअतें तो ह्या की भी हैं मुसीबतें
तेरी आरज़ू है छुपी हुई  हुआ मेरा मुद्दआ खुला हुआ
Thou art exasperated thou art as well shy prematurely
Because thy desires are hidden mine candid absolutely
फ़कशफंना अनका ग़ताअका है फरोज़े दीद की इंतिहा
कि ये शान से है कहा गया है फलक ज़मीं से मिला हुआ
God in Quran imparted that removed He veils from heedless One and His eyes shine brightly
The sky is now integrated with earth the Saying contains refulgent glory
मुझे क्या पता था बताऊंगा मैं बहकना अपनी निगाह का
जिसे सुन के वो हुआ मेहरबां वो सुहैल मुझसे खफा हुआ
I was innocent altogether while I discovered straying of my sight
Hearing that she became brisk which shows her annoyance bright
क़ज़ाओ क़द्र =भाग्य मृत्यु ,फ़कशफं ना अनका ग़ ता अका=क़ुरआन की आयत कि तू [नबी स अ व स ] भुलावे में था तेरी आँखों का पर्दा हटा दिया अब तेरी नज़र तेज़ है

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