तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) द्वितीय अध्याय (सांख्य योग) (छंद 71-77) श्रीकृष्ण : ( श्लोक 55-72) जिस भाँति कवच के नीचे, कच्छप सब अंग सिकोड़े। मद, काम, विषय से वैसे, स्थिर मति मन को मोड़े।।(71) विषयों से दूरी रख भी, आसक्ति नहीं जाती है। पर परम सत्य अनुभव कर, मति स्थिर रह पाती है।।(72) आसक्ति न जब तक अर्जुन, संपूर्ण नष्ट होती है। विद्वान पुरुष का भी मन, यह विषयों में खोती है।।(73) इसलिये विषय वश में कर,…
Read MoreDay: August 4, 2020
उर्दू शायरी में ‘आँसू’ : 2
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप हर ‘आँसू’ यानी ‘अश्क’ की अपनी ही कहानी है। चाहे खुशी हो या ग़म, आँसू अपनी दोस्ती हमेशा ही शिद्दत से निभाते हैं। सत्यता यह है कि आँसू के खारे पानी में वह आग है जो दिल पर जमी बर्फ़ को गला देती है और उसके बाद आदमी अपने-आप को हमेशा ही हल्का और तरोताज़ा महसूस करता है। पं० आनंद नारायण मुल्ला वर्ष 1901 में जन्मे और वर्ष 1997 में उनका निधन हुआ। पं० आनंद नारायण मुल्ला अत्यंत विद्वान थे तथा वे इलाहाबाद…
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