हे मातृभूमि, हे हिन्द भूमि, हे जन्म भूमि मेरी

सी. पी. सिंह, एडीटर-ICN  
हे मातृभूमि, हे हिन्द भूमि, हे जन्म भूमि मेरी,
खुश हो मेरा मन, तेरी रज को चूमि,
हर सांस ॠणी तेरी ।।
तू – तो, युग – युग से है अति पावन मां ।
जग गाए शतत तेरी गुण गरिमा ।
हम जन्मों से पूजें तेरी सत महिमा ।
सर्वोच्च भू – मां – मेरी ।
स्वर्ग सी आभा तेरी ।।
जबसे उतरा हूं मां की गोद से मैं ।
तबसे हूं तेरी अंक की मोद में मैं ।
मरकर भी रहूंगा तेरी गोद में मैं ।
दशा, कुछ भी करूं मैं तेरी ।
सेवा या कृषा तेरी ।।
मेरी परम पूज्य ममता मयी मां ।
जिऊं तुझमें, तुझसे, तेरी जयी मां ।
जग छोड़े मुझे तो भी तू मेरी घयी मां ।
हर – हाल – तू – मां – मेरी ।
पोषक – रक्षक – चेरी ।।
मेरी हर गलती को क्षमा करे तू ।
खुश हो, कुछ करू, चम चमा करें तू ।
दुखि रोऊं, तो आंसू जमा करें तू ।
मैं सुत, शुभ गोद तेरी । पुण्य अन्तिम मां मेरी ।।
हे मातृभूमि, पुण्य हिन्द भूमि, हे जन्म भूमि मेरी ।
तेरा पुत्र मैं, सेवा में लगा लगा झूमि,
हर सांस ॠणी तेरी ।।

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