मोहम्मद सलीम खान, एसोसिएट एडिटर-आईसीएन
सहसवान/ बदायूँ : इस समय भारत कोरोना नामक दानव रूपी महामारी से जूझ रहा है। केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व के अन्य देश भी इस महामारी की गिरफ्त में हैं। भारत देश में आज दिनांक 27 अगस्त 2020 तक लगभग 33 लाख 15 हज़ार कोरोना संक्रमित मरीज हो चुके हैं ओर उनमे से लगभग 25 लाख 23 हज़ार मरीज़ ठीक भी हो गए हैं तथा लगभग 60,000 लोगों की मृत्यु भी हो चुकी है। भय और आतंक का ऐसा माहौल शायद ही पहले किसी ने देखा हो इस। इस महामारी के कारण लाखों लोगों के कारोबार ठप्प हो गए और वे सड़क पर आ गए । उनके सामने उनके परिवार के भरण-पोषण की एक ऐसी गंभीर समस्या सामने खड़ी हो गई है जिस से निपट पाना एक आम आदमी के लिए बहुत ही मुश्किल है। कोरोना महामारी के कारण जब पूरे देश में लॉक डाउन लगा तो आम आदमी व मजदूर अपने पेट की आग बुझाने के लिए घर से बाहर निकलने को विवश हुआ और इतना ही नहीं हजारों प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने वतन को वापस जाने के लिए हजारों किलोमीटर की पदयात्रा पर निकल पड़ा। पदयात्रा पर निकले मजदूरों की भयानक व भयावह तस्वीरें पूरे देश के नागरिको ने देखी। मुसीबत की इस घड़ी में भारत देश के सभी नागरिकों ने एकजुट होकर इस संकट से मुकाबला किया और पदयात्रा पर निकले उन हजारों मजदूरों की रहम दिल लोगों ने पहनने के लिए जूता व चप्पल व खाने के लिए भोजन सामग्री वितरित की जिसकी कई तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई। जैसे कि एक बात कही जाती है वक्त गुजर जाता है और बात याद रहती है। संकट का वो दौर भी गुजर गया और जो इस वक्त संकट की घड़ी हमारे सामने है वह भी गुजर जाएगी लेकिन लोगों के किरदार और उनके चरित्र इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुके हैं और वह हमेशा याद किए जाएंगे और जिन महान लोगों ने संकट की ऐसी स्थिति में चाहे छुपकर या दिखाकर लोगों की मदद करके मानवता की जो मिसाल कायम की उनके इस महान कार्य के लिए ईश्वर उन्हें क्या बदला देगा या उन्हें किस इनाम से सरफराज करेगा यह तो केवल ईश्वर ही जानता है।
हां इतना तो तय है की धरती पर मनुष्य यदि पहाड़ के अंदर छुप कर भी कोई पुण्य का काम करता है या यदि कोई व्यक्ति पहाड़ के अंदर छुप कर भी कोई पाप करता है तो उस पुण्य या पाप का इनाम या सजा ईश्वर के द्वारा दी जरूर जाती है क्योंकि ईश्वर अपने ऊपर किसी का कर्जा नहीं रखता हां यदि पापी सच्चे मन से तोबा कर ले तो वह सजा से बच सकता है क्योंकि ईश्वर बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है परन्तु यदि मनुष्य ने किसी और मनुष्य का दिल दुखाया है, या उसका हक़ मारा है तो उस पाप को तो ईश्वर भी जब तक माफ् नहीं करेगा जब तक कि पीड़ित व्यक्ति स्वयं माफ न कर दे । इसके विपरीत मनुष्य को अपने अच्छे कर्मों का इनाम तो भू लोक और परलोक दोनों लोकों में ही मिलना ही है।
आज मैं अपने इस लेख में जिला बदायूं व नगर सहसवान के ऐसे संभ्रांत व्यक्तियों का वर्णन कर रहा हूं जिन्होंने लॉकडाउन की अवधि के दौरान गरीब व बेसहारा तथा जरूरतमंद लोगों की आर्थिक मदद की और उनके लिए भोजन सामग्री भी उपलब्ध कराई। मुझे इस बात का वर्णन करते हुए ख़ुशी का एहसास हो रहा है कि अभी भी लोगों के दिलों में इंसानियत जिंदा है। हम अक्सर शासन व प्रशासन व अन्य सरकारी कर्मचारियों व समाज से जुड़े हुए अन्य व्यक्तियों के नकारात्मक कार्यों की आलोचना करते हैं और करना भी चाहिए और इस तरह की आलोचनात्मक खबर पूरे शहर में ऐसे फैलती है जैसे जंगल में आग फेलती है।शासन व प्रशासन के नकारात्मक कार्यों की आलोचना अवश्य होना चाहिए मगर इसके साथ साथ शासन व प्रशासन तथा संभ्रांत व्यक्तियों के द्वारा किए गए जनकल्याणकारी कार्यों की भी प्रशंसा भी अवश्य होना चाहिए ताकि उनका उत्साहवर्धन हो सके और ऐसे लोग समाज के और लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सके। मैं व्यक्तिगत रूप से समाज से जुड़े हुए लोगों में नकारात्मक पहलू को छोड़कर ज्यादातर सकारात्मक पहलू को तलाशने की कोशिश करता हूं और ऐसा भी नहीं है किसी व्यक्ति के गलत कार्यों को नजरअंदाज कर दूं। (we should always be optimistic but not be cowardice.)
कोरोना महामारी के लॉक डाउन की अवधि के दौरान जिलाधिकारी कुमार प्रशांत, तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार त्रिपाठी तत्कालीन एसपी देहात डॉ सुरेंद्र सिंह एडीएम प्रशासन रितु पुनिया व मुख्य विकास अधिकारी निशा अनंत ने पूरी कर्तव्यनिष्ठा वह सत्य निष्ठा के साथ अपनी ड्यूटी को अंजाम दिया और पूरे जिले बदायूं की कानून व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाया। कभी-कभी जिलाधिकारी बदायूं कुमार प्रशांत रेड जॉन अलीगढ़ के मुकाबले येलो जॉन सहसवान के बाजार को लोक डाउन की अवधि के दौरान खोलने में कुछ ज्यादा ही सख्त दिखाई दिए और सहसवान में बैंकों को एक लंबी अवधि तक बंद रखा गया जिसकी वजह से आम नागरिकों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा इसके पीछे उनकी क्या रणनीति थी यह वही बेहतर जानते हैं। जाहिर है जिलाधिकारी के कंधों पर पूरे जिले की जिम्मेदारी होती है इसलिए वह कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं लेते हैं क्योंकि एक छोटी सी गलती से बहुत बड़ा नुकसान भी हो जाता है। जो बल्लेबाज पिच पर खेलता है वही बेहतर जानता है कि कौन सी गेंद पर कब कौन सा शॉट लगाना है दर्शकों का काम तो सिर्फ त्रुटि निकालने का है।
विभिन्न विभाग के सरकारी कर्मचारी जैसे प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस अधिकारी, पुलिसकर्मी, मेडिकल स्टाफ व चिकित्सक और विशेषकर लैब टेक्नीशियन तहसील स्टाफ, नगर पालिका के कर्मचारी, और सफाई कर्मचारी पिछले 5 महीनो से लगातार अपने-अपने क्षेत्रों को कोरोना मुक्त करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। यह सभी कोरोना योद्धा बधाई के पात्र हैं जिन्होंने बिना आराम किए दिन रात संकट की ऐसी स्थिति में हमारी सेवा की। मेरे दृष्टिकोण से सबसे जोखिम भरा साहसिक कार्य कोरोना संक्रमित मरीजों के सैंपल लेने वाले लैब टेक्नीशियन हैं क्योंकि कोरोना काल के दौरान और आज भी सभी अधिकारी व कर्मचारी एक दूरी बनाकर लोगों से बात कर रहे हैं जो करना भी चाहिए मगर लैब टेक्नीशियन तो कोरोना संक्रमित मरीजों के बिल्कुल करीब जाकर उनका सैंपल लेता है और कई कई घंटे खड़े होकर लैब टेक्नीशियन ने इस जोखिम भरे व साहसिक कार्य को अंजाम दिया। ऐसे लैब टेक्नीशियन जो मेरे संज्ञान में हैं जैसे बदायूँ के इमरान जुबेरी उर्फ रानू, अमित चौहान, आमिर फरीदी, शहरोज़ खान उर्फ शानू है और इन लैब टेक्नीशियन पर पहले के मुकाबले आज ज्यादा कार्य का भार है क्योंकि इस समय अधिक संख्या में कोरोना संक्रमण का टेस्ट हो रहा है। नगर सहसवान में लॉक डाउन की अवधि के दौरान एक जर्नलिस्ट्स के रूप में अपने सहयोगी फोटोजर्नलिस्ट सैयद तुफेल अहमद उर्फ पप्पन के साथ रिपोर्टिंग के दौरान मैंने देखा कि सी एच सी सहसवान के चिकित्साा प्रभारी डॉक्टर इमरान सिद्दीकी उनकेे अधीनस्थ डॉ.आमिर हुसैन, डॉक्टर मोहम्मद आकिल डॉक्टर अब्दुल हकीम डॉ सुमंत माहेश्वरी डॉ कुलदीप माहेश्वरी व लेब टेक्नीशियन मोहम्मद मुस्लिम व शोएब ने क्वॉरेंटाइन किए गए मरीजों की पूरी तरह से देखभाल की। इनके साथ साथ उप जिलाधिकारी लाल बहादुर, सी ओ सहसवान रामकरन, तत्कालीन कोतवाल हरेंद्र सिंह, तत्कालीन कस्बा इंचार्ज रामकुमार दरोगा, गंगा सिंह दरोगा ईशम सिंह, व अन्य पुलिसकर्मी जिन्हें अक्सर दिन का खाना भी नहीं मिल पाता था। इन लोगों ने भूखे प्यासे रहकर पूरी ईमानदारी व सत्य निष्ठा के साथ अपनी अपनी ड्यूटी को अंजाम दिया। कोरोना संक्रमण मरीजों की देखभाल करते करते और अपनी ड्यूटी को अंजाम देते हुए कुछ चिकित्सक व पुलिस कर्मियों की मृत्यु भी हो गई। मैं ऐसे बहादुर व जांबाज कोरोना योद्धाओं को खिराज-ए- अकीदत श्रद्धांजलि के श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।
लॉक डाउन के कारण लाखों लोग बेरोजगार हो गए और उनके सामने दो वक्त की रोटी का घोर संकट भी उत्पन्न हो गया है। सर्व शक्तिमान ईश्वर ने मनुष्य के साथ एक ऐसे अंग की भी उत्पत्ति की जिसको हम पेट कहते हैं और पेट चाहे अमीर व्यक्ति का हो या चाहे गरीब व्यक्ति का हो उसे हर स्थिति में दो वक्त की रोटी चाहिए। हमारे पेट को इस बात से कोई मतलब नहीं कि कोरोना संक्रमण के कारण सरकार द्वारा लॉक डाउन घोषित किया गया है और उसे इस बात से भी कोई मतलब नहीं कि आपका व्यापार बहुत अच्छा चल रहा है या महीनों से आपका व्यापार ठप्प पड़ा है।। पेट को हर हाल में रोटी चाहिए यदि आपको जिंदा रहना है तो इसलिए यदि हमें जीवित रहना है तो भोजन की व्यवस्था करनी ही पड़ेगी भले ही चाहे वह किसी भी स्रोत से हो।
मुझे यह लिखते में प्रसन्नता का आभास हो रहा है कि पिछले 5 महीने की लॉक डाउन की अवधि के दौरान हमारे नगर सहसवान के संभ्रांत व्यक्तियों ने तथा उप जिलाधिकारी सहसवान लाल बहादुर, क्षेत्राधिकारी सहसवान रामकरन, तत्कालीन कोतवाल हरेंद्र सिंह, तत्कालीन कस्बा इंचार्ज राम कुमार नगर चिकित्सा प्रभारी इमरान सिद्दीकी, तहसीलदार दीपक चौधरी के दिन रात के अथक प्रयासों के कारण 3 महीने के संपूर्ण लॉक डाउन का दुखदाई समय बिना किसी जीवन की क्षति के गुजर गया। उप जिलाधिकारी सहसवान लाल बहादुर एक अच्छे अधिकारी के साथ साथ एक रहम दिल इंसान भी हैं। अपने सहयोगी फोटोजर्नलिस्ट सैयद तुफैल अहमद उर्फ पप्पन के साथ एक जर्नलिस्ट होने के नाते लॉक डाउन की अवधि के दौरान मैंनेे देखा उप जिलाधिकारी सहसवान लाल बहादुर ने नगर सहसवान में सब्जी फल व एलपीजी गैस के डोर टू डोर वितरण में कोई कमी नहीं आनेे दी। पुलिस क्षेत्राधिकारी रामकरन, तत्कालीन थाना प्रभारी हरेंद्र सिंह, व तत्कालीन कस्बा इंचार्ज राम कुमार व उनकी टीम की मुस्तैदी की वजह से लॉक डाउन की अवधि के दौरान कानून व्यवस्था बिल्कुल चाक-चौबंद रही। एक और जहां ऐसे प्रशासनिक अधिकारियों पुलिस अधिकारियों व पुलिसकर्मियों का इस लेख में उल्लेख किया जा रहा है जिन्होंने दिन रात लॉक डाउन की अवधि के दौरान पूरी कर्तव्य निष्ठा वह सत्य निष्ठा के साथ अपनी ड्यूटी को अंजाम दिया और उनकी यह कार्यशैली इतिहास के पन्नों में दर्ज हो रही है वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे बेरहम पुलिस कर्मियों की घटिया कार्यशैली भी देखने को मिली कि जिस समय भूख और प्यास से तड़पते हुए प्रवासी मजदूर पैदल अपने घर जा रहे थे उसी दौरान बदायूं में एक ऐसी शर्मनाक घटना घटित हुई जिसमें कुछ पुलिसकर्मी उन मजदूरों को मुर्गा बनाकर चला रहे थे और उनका उपहास उड़ा रहे थे हालांकि ऐसे पुलिसकर्मियों के खिलाफ बदायूं के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार त्रिपाठी ने मामले का संज्ञान लेते हुए उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ तुरंत एक्शन लिया और एक ऐसी ही शर्मनाक घटना सहसवान के मोहल्ला चौधरी में हुई जिस समय गांव से आए हुए एक दूध वाले को वर्दी की अकड़ दिखाते हुए एक दरोगा ने बेचारे दूध वाले को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। ऐसे पुलिसकर्मी और पुलिस अधिकारी यह बात भूल जाते हैं कि सरकार ने उन्हें यह वर्दी जनता की रक्षा के लिए दी है न कि उन पर अत्याचार करने के लिए समाज के रक्षकों को अक्सर भक्षक बनते हुए देखा जाता है और इसी प्रकार के कुछ अयोग्य ओर अशिष्ट लोगों को सरकारी नौकरी मिल जाती है और वर्दी पहनते ही उनका पैर जमीन पर नहीं पड़ता और इन्हीं लोगों की वजह से पूरे डिपार्टमेंट की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है। एक कड़वा सत्य यह भी है कुछ पुलिस अधिकारी व पुलिसकर्मी जनता से बदतमीजी करना या उन्हें वर्दी का रुतबा दिखाना अपना मौलिक अधिकार समझते हैं और उन्हें यह गलतफहमी होती है किं जितना हम जनता के साथ जितना दुर्व्यवहार करेंगे जनता उतना ही उनसे डरेगी या उनका सम्मान करेगी मगर हकीकत इसके विपरीत होती है चाहे कोई अधिकारी हो या समाज में उससे भी बड़े पद पर आसीन कोई और व्यक्ति हो उसका लहजा (वाणी) और व्यवहार जितना नरम होगा उस को सम्मान के साथ-साथ दिल से दुआ भी फ्री में मिलती है।
“तेरे किरदार की खुशबू है तेरे लहजे में
तेरे जुमले तेरी अजमत का बता देते हैं।’
लॉक डाउन की अवधि के दौरान ऐसे पुलिसकर्मी और पुलिस अधिकारी भी देखे गए जो पैदल आ रहे प्रवासी मजदूरों के पीछे पीछे दौड़ दौड़ कर उन्हें भोजन सामग्री के पैकेट व पानी दे रहे थे मगर यह हमारे समाज की विडंबना है की जिस प्रकार एक मक्खी पूरे सुंदर शरीर को छोड़कर एक जख्म पर आकर बैठती है ठीक उसी प्रकार किसी भी व्यक्ति, शासन व प्रशासन में मौजूद हुक्मरानों व अधिकारियों के अच्छे कार्यों को नजरअंदाज करके उनके द्वारा किए गए कुछ गलत कार्यों पर ही फोकस किया जाता है।
लॉक डाउन की अवधि के दौरान उत्पन्न होने वाले भोजन संकट की स्थिति में नगर की जनकल्याणकारी संस्थाओं ने और नगर सहसवान के संभ्रांत व्यक्तियों ने गरीब व असहाय लोगों की दिल खोलकर मदद की। नगर सहसवान में शिफा क्लीनिक के संस्थापक प्रसिद्ध चिकित्सक व समाजसेवी अपनी मधुर वाणी व, बा-विकार शख्सियत (आकर्षक व्यक्तित्व) के कारण लोगों के दिलों पर राज करने वाले डॉ मुजीब उर रहमान ने लोक डाउन की अवधि के दौरान गरीब व असहाय लोगों के लिए भोजन सामग्री उपलब्ध कराने व आर्थिक सहायता करने में अपना उत्कृष्ट योगदान दिया तथा ग्रामीण चिकित्सा क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट योगदान व सेवा के लिए अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार विजेता डॉ मुजीब उर रहमान ने 10 पीपीई किट (पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट्) किट सीएचसी चिकित्सा प्रभारी डॉक्टर इमरान सिद्दीकी को सप्रेम भेंट की।
इसके अतिरिक्त नगर के अन्य संभ्रांत व्यक्तियों जैसे नगर पालिका परिषद सहसवान के पूर्व चेयरमैन नूरुद्दीन, नगर पालिका सहसवान के वर्तमान चेयरमैन मीर हादी अली (बाबर मियां), समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व समाजसेवी नईम उल हसन उर्फ लड्डन मियां, सैयद खुर्शीद नकवी पूर्व प्रधानाचार्य, रागिब अली एडवोकेट, मास्टर शाकिर अली, हाफ़िज़ इरफ़ान अनवर खान, सैयद तुफैलअहमद (पप्पन) अनस नकवी, अब्दुल फरीद खान, वरिष्ठ पत्रकार अशरफ अली खान, सलीम सुबूर, फारुख सुबूर, शमशुस जुहा नकवी, अशरफ अली, आचार्य प्रेम स्वरूप, आलोक माहेश्वरी, भाजपा युवा नेता अनुज माहेश्वरी, नीरज सक्सेना,(रॉय साहब) डॉक्टर आदिल समी, समाजवादी पार्टी के युवा नेता व प्रदेश सचिव गयासुद्दीन उर्फ गुड्डू, बासित अली,जमशेद अली खां उर्फ गुड्डू, डॉ रशीद नकवी, मोहम्मद आकिल, सैयद तसव्वर अली उर्फ बब्बू, नवेद इकबाल, जावेद इकबाल, एडवोकेट रोशन यासीन एडवोकेट, उर्फ गुड्डू , डॉ मुनीर अख्तर मास्टर मोहम्मद नईम, डॉक्टर यासिर उर्फ हैकल नकवी, डॉक्टर इशरत अली, ओवैस नफीस डॉक्टर सैफुर रहमान उर्फ रानू, रुबेद इकबाल, डॉ अरशद अली खान, सैयद वहाब उर्फ बब्बन आदि संभ्रांत व्यक्तियों ने अपने अपने स्तर से लोगों की मदद की और गरीब असहाय लोगों को इस बात का एहसास नहीं होने दिया कि संकट की इस घड़ी में वे अकेले नहीं हैं उनके साथ नगर का एक बुद्धिजीवी व समाजसेवी वर्ग उनके साथ खड़ा है और यह बात नगर के संभ्रांत व्यक्तियों ने लोगों की मदद करके साबित भी किया तथा मानवता की सेवा करके जो संसार का सबसे उत्कृष्ट कार्य करके इंसानियत की मिसाल कायम की। नगर के एक प्रसिद्ध ऑर्थोपेडिक डॉ आदिल समी जो यदा-कदा जनकल्याणकारी कार्यों मे बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं स्वयं रोजा इफ्तार करने के बाद जरूरतमंद लोगों को खाद्यय सामग्री वआर्थिक सहायता पहुंचाते थे और इस बात का मैं स्वयं साक्षी हूं। जरूरतमंद लोगों को शासन द्वारा स्वीकृत भोजन सामग्री के पैकेट के वितरण हेतु पक्षपात की शिकायत पर कांग्रेस पार्टी के युवा नेता शरीफ उद्दीन धरने पर बैठे और उन्होंने अपनी बात आला अफसरों तक पहुंचाई और उनकी बात का आला अफसरों ने संज्ञान भी लिया।
नगर सहसवान के मोहल्ला चौधरी में स्थित मिल्ली इमदादी सोसाइटी जो अक्सर जनकल्याणकारी योजनाओं में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती है जैसे गरीब व बेसहारा बच्चियों की विवाह समारोह अत्यंत निर्धन व्यक्तियों के इलाज हेतु आर्थिक सहायता प्रदान करने तथा शीतकाल के दौरान कंबल वितरण का कार्य करती है। सोसायटी के सदर-ए- मोहतरम मुजफ्फर सईद उर्फ अफरोज एडवोकेट सोसाइटी के खजांची मोहम्मद तारिक एडवोकेट व सोसाइटी के एग्जीक्यूटिव मेंबर व प्रसिद्ध समाजसेवी सलीम अहमद खान के कर कमलों द्वारा लगभग दो हजार परिवारों को भोजन सामग्री का वितरण प्रचुर मात्रा में किया गया। मानवता के इस नेक कार्य में जरूरतमंद लोगों को चिन्हित करने और भोजन सामग्री उनके घर पहुंचाने का कार्य सोसाइटी के कर्मठ कर्मचारी सैफ उर रहमान, सैयद हसन जलीस, तनवीर अली खान, मोहम्मद फिरोज अंसारी, मिश्का तुर जफर, तौसीफ अली खान, इकबाल हुसैन, अब्दुल सलाम, व जियाउद्दीन उर्फ बुंदू ने चिलचिलाती धूप में इस महान कार्य को अंजाम दिया।
लॉक डाउन की अवधि के दौरान रिपोर्टिंग करते समय हमें इस बात का संज्ञान हुआ कि नगर पालिका परिषद सहसवान के अध्यक्ष मीर हादी अली उर्फ बाबर मियां के कुशल नेतृत्व में नगर पालिका सहसवान के कर्मचारी गण जैसे कर्मठ व जनप्रिय अब्दुल फरीद खां राजस्व निरीक्षक नीरज गंगवार जमशेद अली सैयद खुर्शीद अली इसहाक हुसैन सैयद दानिश अली, इंजीनियर अंसार हुसैन, कद्रूल ज़मीर उर्फ गुड्डू ने पूरी कर्मठता लगन के साथ अपने कार्य को अंजाम दिया। हमारे नगर को साफ सुथरा रखने में यदि किसी का सबसे बड़ा योगदान होता है तो वह योगदान सफाई कर्मचारियों का होता है। सफाई नायक नीरज राही के कुशल नेतृत्व में लगभग 190 सफाई कर्मचारियों ने नगर सहसवान को स्वच्छ रखने में अपना योगदान दिया जिनमें मुख्य सफाई कर्मचारी सिकंदर, अजय मुकर्जी, हरीश लाल, भूरे व विक्रम हैं। नगर पालिका परिषद सहसवान के चेयरमैन मीर हादी अली उर्फ बाबर मियां के निर्देश पर लोक डाउन की अवधि के दौरान पूरे नगर सहसवान में तथा उस समय रेड जोन रहे ग्राम भवानीपुर में कई बार सैनिटाइजेशन का कार्य किया गया। अपने काम के प्रति लगन व ईमानदारी के कारण मीर हादी अली उर्फ बाबर मियां ने 74वे स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नगर पालिका परिषद में एक मेहनती कर्मचारी सत्यपाल ट्रैक्टर ड्राइवर से ध्वजारोहण करा कर एक अनोखी मिसाल कायम की। ट्रैक्टर ड्राइवर सत्यपाल ने कभी सपने में भी यह कल्पना न की होगी कि उसे स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर नगर पालिका परिषद सहसवान केेे प्रांगण में ध्वजारोहण करने का शुभ अवसर प्राप्त होगा।
संकट की घड़ी में जब लोगों के सामने अन्न संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई तो जनता की परेशानियों को संज्ञान में लेते हुए केंद्र व राज्य सरकार ने जरूरतमंद आम जनों के लिए भोजन सामग्री के पैकेट प्रचुर मात्रा में भेजें और जरूरतमंद लोगों को भोजन सामग्री बटवाने का कार्य तहसील के कर्मचारी गण विशेषकर लेखपाल व कानूनगो द्वारा लिया गया। पुण्य के इस काम में लेखपाल ओम बाबू शर्मा, लेखपाल मनोज यादव,, लेखपाल नदीम अहमद, लेखपाल लईक उद्दीन, व कानूनगो वीरेंद्र कुमार ने तहसीलदार सहसवान दीपक चौधरी व नायब तहसीलदार के कुशल दिशा-निर्देशों के अंतर्गत किया इसके। अतिरिक्त मैंने कई बार देखा कि लेखपाल ओम बाबू शर्मा ने शाहबाजपुर चौराहे पर अपनी ड्यूटी पूरी सत्य निष्ठा के साथ की जिसका मैं स्वयं साक्षी हूं। प्रशासन द्वारा वितरित की जा रही भोजन सामग्री जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने में वार्ड नंबर 25 की सभासद श्रीमती मुमताज जहां के पति कर्मठ व जुझारू रागिब अली एडवोकेट ने उप जिलाधिकारी महोदय लाल बहादुर से व्यक्तिगत रूप से मिलकर जरूरत मंद लोगों को डोर टू डोर जाकर भोजन सामग्री वितरित करवाई। इसके अतिरिक्त प्रशासन द्वारा पके हुए भोजन के पैकेट को भी जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने में भी रागिब अली एडवोकेट ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
जिला बदायूं को राजकीय मेडिकल कॉलेज का तोहफा देने वाले व बदायूं से गुन्नौर तक फोरलेन का हाईवे देने वाले विकास पुरूष एवं मृदुभाषी पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव लॉक डाउन की अवधि के दौरान संकट की घड़ी में बदायूं की जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे और उन्होंने काफी बड़ी मात्रा में पूरे जिले बदायूं संसदीय क्षेत्र में जरूरतमंद लोगों को भोजन सामग्री का वितरण कराया। इस जन कल्याण कार्य में समाजवादी पार्टी के वॉलिंटियर्स व जिले के सभी जुझारू पदाधिकारी व पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जैसे गयासुद्दीन उर्फ गुड्डू शोएब नकवी आमिर सुल्तानी सैयद तसव्वर अली उर्फ बब्बू ने अपना निस्वार्थ योगदान किया। इसके अतिरिक्त सहसवान के विधायक ओंकार सिंह यादव ने जरूरतमंद लोगों की अपने स्तर से मदद करने के अलावा मुख्यमंत्री राहत कोष में 10 लाख रुपए की आर्थिक मदद भी की।
बिल्सी के पूर्व विधायक बिट्टन अली उनके भाई अरशद अली, मुशाहिद अली ने इस्लाम नगर में लोक डाउन की अवधि के दौरान गरीब और जरूरतमंद लोगों की आर्थिक मदद की और इसके साथ साथ बड़ी मात्रा में भोजन सामग्री के पैकेट भी वितरित किए।
लॉक डाउन की अवधि के दौरान संकट की स्थिति में बदायूं संसदीय क्षेत्र की वर्तमान सांसद डॉ संघमित्रा मौर्य भी पीछे नहीं रही और उन्होंने गरीब असहाय लोगों को अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के द्वारा जरूरतमंद लोगों को चिन्हित करके भोजन सामग्री डोर टू डोर पहुंचाई और इसके अतिरिक्त सादा जीवन व्यतीत करने वाले कुशल व्यवहार व अपनी मुस्कान से लोगों के दिलों पर राज करने वाले बदायूं सदर के विधायक व नगर विकास राज्यमंत्री महेश चंद्र गुप्ता ने भी जरूरतमंद लोगों की मदद की। बदायूं सदर के पूर्व विधायक वक्फ बोर्ड के चेयरमैन दर्जा राज्यमंत्री आबिद रजा ने अपने वॉलिंटियर्स के जरिए जरूरतमंद लोगों को चिन्हित करके डोर टू डोर भोजन सामग्री का वितरण किया। All India intellectual board के बैनर तले बोर्ड के चेयर मैन व पूर्व दर्जा राज्यमंत्री व प्रख्यात वक्ता यासीन उस्मानी ने अपने सहयोगी व बोर्ड के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सदर हमीदुद्दीन कादरी व बोर्ड के स्टेट सेक्रेटरी हाफ़िज़ इरफान के सहयोग से गरीब असहाय लोगों की भोजन सामग्री वितरित करके सहायता की।
बदायूं में ही समाजवादी पार्टी के एक युवा नेता व समाजसेवी आमिर सुल्तानी ने अपनी टीम के साथ मिलकर जरूरतमंद लोगों को भोजन वितरण किया। सहसवान में स्थित सीबीएसई बोर्ड द्वारा संचालित एकमात्र शिक्षण संस्थान अल हफीज एजुकेशन अकैडमी के संस्थापक व चेयरमैन कलीम उल हफीज उर्फ हिलाल मलिक के द्वारा दिल्ली के अबुल फजल एनक्लेव में स्थित होटल रिवर व्यू में अक्टूबर 2019 से प्रतिदिन लगभग 150 जरूरतमंद लोगों को भोजन वितरण के लंगर का कार्य खामोशी से किया जा रहा था। लॉक डाउन लगने के बाद भी भोजन वितरण का कार्य जारी रहा और प्रतिदिन लगभग 2000 भूखे व जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाया गया, और आज भी लगभग 150 लोगों को फ्री में खाना खिलाया जा रहा है।
मुझे इस समय गुरु नानक देव जी के जीवन की एक घटना याद आ रही है। अपने बाल्यकाल में गुरु नानक देव जी का मन पढ़ाई में नहीं लगता था। उनके पिताजी श्री कालू मेहता जी उनको लेकर बहुत चिंतित रहते थे । एक दिन गुरु नानक देव जी के पिता जी ने उन्हें कुछ रकम देकर कहा,”जाओ इस रकम से कोई अच्छा व्यापार कर कर लाओ और व्यापार ऐसा करना जो फायदे का हो।” गुरु नानक देव जी पैसों को लेकर किसी अच्छे व्यापार की तलाश में निकल पड़े। रास्ते में उन्हें साधु संतों की एक टोली मिली वे सभी साधु संत भूखे थे और उन्होंने गुरु नानक देव जी से भोजन कराने का आग्रह किया। गुरु नानक देव जी ने सोचा भूखे को खाना खिलाने से बेहतर संसार में और कौन सा व्यापार हो सकता है लिहाजा उन्होंने पिताजी के द्वारा दिए हुए सभी रुपए उन भूखे साधु-संतों को खाना खिलाने में खर्च कर दिए। ईश्वर ने इस संसार में हमेशा और हमेशा के लिए उन्हीं लोगों का नाम रोशन किया है जिन्होंने मानवता के महान कार्य किए हैं। गुरु नानक देव जी से प्रेरणा लेते हुए आज भी सिख धर्म के अनुयाई अपने-अपने गुरुद्वारों में अस्पतालों में,अनाथ आश्रमो में और जहां उन्हें जरूरत महसूस होती है वहां वहां गरीब व बेसहारा लोगों को खाना खिलाने में दिल खोलकर खर्च करते हैं और भोजन का लंगर चलाते हैं और सभी धर्मों के बेसहारा व जरूरतमंद लोग उस लंगर में बट रहे भोजन से अपने पेट में लगी आग को बुझाते हैं । गुरु नानक देव जी ने अपनी सारी रकम भूखे साधु संतों को खाना खिलाने में खर्च कर दी । निसंदेह भूखे व्यक्ति को खाना खिलाने से बड़ा व्यापार ईश्वर के साथ हो ही नहीं सकता और जिस व्यक्ति से ईश्वर व्यापार कर ले उस व्यक्ति का संसार में कौन मुकाबला कर सकता है। रहमतुल्ल आलामीन ( संपूर्ण जगत के लिए परोपकारी) प्यारे नबी हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम का इरशाद- ए- गिरामी (मुख वचन) है कि ब्याज लेने से माल(धन) घटता है और सदक़ा देंने से माल(धन) बढ़ता है। यह तो हमारी नजर का धोखा है जो हम इस रहस्य को समझ नहीं पाते। जिस प्रकार एक जादूगर अपनी जादुई विद्या से सामने पड़े बच्चे या व्यक्ति की गर्दन को धड़ से अलग कर देता है और हमें वह नजर भी आता है मगर वास्तव में हकीकत कुछ और ही होती है वह भी हमारी नजरों का धोखा ही होता है और और ठीक इसी प्रकार हमारी आंखें और मस्तिष्क को धोखा देते हुए शैतान हमारेेे मस्तिष्क में यह बात फिट कर देता है कि की ब्याज लेने से माल बढ़ता है और सदका( परोपकारी कार्य व धन) देने से माल कम होता है। सदका वह धन और कार्य होता है जो हम ईश्वर के मार्ग में उसे प्रसन्न करने के लिए जरूरतमंद लोगों पर खर्च करते हैं।
मैंने अपने इस लेख में जिलाधिकारी बदायूं से लेकर एक सफाई कर्मचारी तक जिन जिन कर्मचारियों व संभ्रांत व्यक्तियों का लॉक डाउन की अवधि के दौरान उनका छोटा या बड़ा योगदान रहा है उसका वर्णन करने का पूरा प्रयास किया है फिर भी हो सकता है इस लेख में कोई त्रुटि हो तो उसके लिए मैं अपने सम्मानित पाठकों से क्षमा चाहता हूं और प्रशासनिक अधिकारियों पुलिस अधिकारियों पुलिसकर्मियों मेडिकल स्टाफ व चिकित्सकों लैब टेक्नीशियन नगर पालिका के कर्मचारियों तहसील सहसवान के कर्मचारियों सफाई कर्मचारियों व संपूर्ण बदायूं जिला तथा सहसवान नगर के उन तमाम बा-इज्जत व संभ्रांत व्यक्तियों को कोटि-कोटि नमन व उनकी खिदमत में सलाम पेश करता हूं जिन्होंने संकट की उस भयानक स्थिति में जरूरतमंद व गरीब लोगों की मदद करके मानवता की मिसाल कायम की ओर इन सभी कोरोना योद्धाओं के नाम मेरे इस लेख के इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुके हैं। जब कभी भी भविष्य में कोरोना के कहर का जिक्र होगा तो इन कोरोना योद्धाओं के रहम का भी जिक्र होगा। मेरी दुआ है कि अल्लाह ता-आला आप सभी हजरात को इस नेक कार्य का अच्छा बदल दे।आमीन!