नई दिल्ली/लखनऊ। युद्ध अपने चर्मोत्कर्ष पर है। युद्धरत दो सेनाओं के मध्य कहीं कोई विभाजन रेखा नहीं, कोई सीमा नहीं और न ही कोई सरहद। कौरव शत्रु दुनिया के हर इलाके में मौजूद हैं और उनसे जी जान से लड़ती स्वास्थ्य पांडव सेना भी दुनिया के चप्पे-चप्पे पर उपस्थित है। शायद विश्व ने ऐसा युद्ध कभी नहीं देखा, संभवतः समय के पुरातन से पुरातन इतिहास में भी ऐसे किसी समर का वर्णन नहीं है और संभवत: किसी स्वप्नदर्शी ने स्वप्न में भी इस परिस्थिति का संकेत चिह्न नहीं पाया। हम…
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