गरीब औरत का संघर्ष दिखाती सुशील जांगीरा की शॉर्ट फ़िल्म ब्लीड और फीड इंडिया

बॉलीवुड में पिछले दिनों  मासिक धर्म और सेनेटरी पैड  पर कई फ़िल्मे बनी हैं लेकिन लेखक निर्देशक सुशील जांगीरा की डॉक्यूमेंटरी फिल्म ब्लीड आर फीड इंडिया सैनेटरी पैड  से भी ज़्यादा  उनके पेट की बात करती हैं।  भारत की सड़कों पर रहने वाली बेहद गरीब औरतों और उनकी मासिक धर्म (पीरियड़)  तरफ ध्यान आकर्षित करती हैं  इसमें ज्वलंत प्रश्न उठाया गया है है की अगर हम उन्हें एक सैिनटरी पैड दें या रोटी दें तो वो इनमें से पहले क्या उठाएगी ? सुशील जांगीरा की ख़ास बात है की यह फिल्म वास्तविक धरातल पर समस्या की  बात करती  हैं महानगरों कोई भी हैं सड़क पर रहने वाली औरत की दशा एक जैसी हैं  पंद्रह मिनट की फिल्म की एक ख़ास बात यह भी हैं कि इसमें एक बेहद ख़ूबसूरत गीत हैं यह बेहद ही पारंपरिक सरल शब्दों में फिल्म की कहानी को संगीतमय तरीके से दोहराती हैं । 
फिल्म में फिक्शन नहीं है इसलिए किरदार पूरी तारक वास्तविक है फिल्म की सिनेमेटोग्राफी और एडिट दोनों ही बहुत नेचुरल है इसलिए यह शार्ट फिल्म वास्तविक समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने में सफल  रही हैं  दुनिया के कई फिल्म महोत्सव में दर्शक और क्रिटिक्स के फिल्म को बहुत सराहा हैं अब शेमारू यूट्यूब के चैनल से बड़े दर्शक  तक पहुँचेगी  . ब्लीड और फीड इंडिया  को कई राष्ट्रिय और अंतराष्ट्रीय महोत्सव में प्रशंसा और अवार्ड्स मिले हैं ला लयेला इंटरनेशनल फिल्म फ़ेस्टिवल, न्यूयार्क  2020 ,जयपुर इंटरनेशनल   फ़ेस्टिवल २०२० , ९वे  मुंबई शार्ट इंटरनेशनल फिल्म फ़ेस्टिवल २०२० , डी बुद्धा इंटरनेशनल  पुणे , 2020 , मियामी इंटरनेशनल फिल्म फ़ेस्टिवल , फ्लोरिडा 2020 , ७वे  फ़ेस्टिवल, इंटरनेशनल फिल्म फ़ेस्टिवल आफ शिमला 2020 , बिज़्ज़ारे शार्ट फिल्म फ़ेस्टिवल पुर्तगाल 2020 , इंटरनेशनल शार्ट फिल्म फ़ेस्टिवल ऑफ़  इंडिया , टैगोर इंटरनेशनल फिल्म फ़ेस्टिवल   2020  ,  लेकव्यू इंटरनेशनल फिल्म  फ़ेस्टिवल, द ग्रेट इंडियन फिल्म फ़ेस्टिवल फिल्ममार्टे शार्ट फ़ेस्टिवल   सहित कई राष्ट्रीय  अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म में प्रदर्शित हुई है और कई पुरस्कार भी मिले। 
Movie link:-
 
इस अवसर पर  सुशील जांगीरा ने कहाकि “मुझे लगा की सड़क पर रहने  औरतों को रोटी और सेनेटरी दोनों की समस्या को एक कहानी में कहना प्रभावशाली होगा साथ ही इसके लिए मैंने  अलग  अलग  शहरों में समस्याओं का सामना करनेवाली औरतो से भी मिली।  मैं चाहती हूँ की इस फिल्म के  माध्यम से पर्सनल हाईजीन के साथ ही रोटी की जरुरत भी ध्यान दिया जाए। 

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