लखनऊ – भारतवर्ष जिस विकास को लक्ष्य कर रहा है, उसका मार्ग मात्र ग्रामीण उद्यमिता से ही निकलता है। हमारा देश न केवल विविध प्राकृतिक साधनों व संपत्तियों का ही देश है वरन् यहाँ मानव श्रम भी प्रचुर मात्रा में है। यदि इन दोनों का बुद्धिमानी व दूरदृष्टि से कृतसंकल्पित होकर सर्वश्रेष्ठ संयोजन किया जाये तो पुरातन काल का विश्वगुरु भारत एक बार फिर विश्व के सबसे ऊँचे पायदान पर स्थापित हो सकता है।
यह संदेश है कर्नल नीलेश इंगले (सीनियर कंसल्टिंग एडीटर, आई सी एन) के ‘भारतवर्ष में ग्रामीण उद्यमिता की संभावनायें’ विषय पर ‘आई सी एन मीडिया ग्रुप’ (आई सी एन) व उसकी सहयोगी संस्था ‘स्कालर इंस्टीट्यूट ऑफ मीडिया स्टडीज़’ (सिम्स) की सकारात्मक इवेंट्स की संयुक्त श्रृंखला ‘एक कदम और’ की पांचवी कड़ी में प्रस्तुत वर्कशॉप का।
कर्नल नीलेश इंगले न केवल अपने देश से प्यार करने वाले एक फौजी अथवा धौलपुर (राजस्थान) स्थित ‘आर्मी एजूकेशनल इंस्टीट्यूट’ में एक शिक्षाविद के रूप में एक समर्पित प्रधानाचार्य के रूप सेवाये देने वाले व्यक्ति का नाम है बल्कि वे स्वयं में एक ऐसी संस्था हैं जो यदि ठान ले तो पत्थरों पर भी फूल खिला देते हैं। यह प्रकृति, यह विश्व व यह जीवन चमत्कारों से भरा पड़ा है किंतु ये चमत्कारों की श्रृंखला हमारी भौतिक आँखों से दिखाई नहीं देती। इन चमत्कारों व संभावनाओं को देखने व परखने के लिये मन की आँखें ही समर्थ हैं और जो एक बार मन व मस्तिष्क में पथरीली धरती से जल निकाल लेता है, उसके लिये भौतिक विश्व में भी राजस्थान की रेतीली व पथरीली ज़मीन पर हरियाली रोप देना कोई बड़ा काम नहीं है। दूरदृष्टि, उर्वरक मस्तिष्क, सकारात्मक सोच व कठिन परिश्रम के धनी कर्नल इंगले के इस वर्कशॉप ने उपस्थित जनसमुदाय को ऊर्जा से परिपूर्ण कर दिया और सम्मोहित व मंत्रमुग्ध पार्टिसिपेंट्स न केवल ग्रामीण उद्यमिता की नई संभावनाओं व तकनीकों से परिचित ही हुये वरन् वे उद्यमिता के माध्यम से स्वयं व अन्य व्यक्तियों के लिये आय व रोजगार के नये मानक रचने के लिये भी संकल्पित भी हुये।
कार्यक्रम का प्रारंभ तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एक्जीक्यूटिव एडीटर, आई सी एन ने अपने उद्बोधन से करते हुये कहा कि यह उचित समय है जब हमें अपने रोजगार व आय के लिये सरकारों की ओर देखने के बजाय रोजगारों व आयों को अपने आस-पास अपने ही क्षेत्र में सृजित करने के मंत्र सीखने चाहिये और सरकारों पर बोझ बनने के स्थान देश के नव निर्माण में अपनी भूमिका तलाशनी चाहिये। आज भी भारत अधिकांशतः ग्रामों में ही उपस्थित है और कोरोना त्रासदी के समय महानगरों से जनसिंधु का गाँवों की ओर पलायन निश्चित रूप से संकट के समय हमारा हमारी जड़ों की ओर लौटने का दृश्य था। एक अविकसित स्थान से विकसित स्थान की यात्रा हमारी रोजी रोटी की यात्रा तो हो सकती है किंतु इसे विकास की यात्रा कदापि नहीं कहा जा सकता। एक अविकसित स्थान को ही विकसित करना ही विकास की सबसे प्रभावशाली व व्यावहारिक परिभाषा है। उन्होनें कहा –
‘मुमकिन नहीं लगता है मगर ठान रहे हैं।
कुछ लोग अंगोछे से नदी छान रहे हैं ॥’
प्रो (डॉ) शाह अयाज़ सिद्दीकी, एडीटर इन चीफ़ आई सी एन व एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सिम्स ने अपने संबोधन में कहा कि आई सी एन का मिशन ही ग्रामीण उद्यमिता के माध्यम से भारतवर्ष के विकास का नया इतिहास लिखना है। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में आई सी एन न केवल भारतवर्ष बल्कि पूरे विश्व के लिये समर्पित है और गत वर्षों में थाईलैण्ड, जर्मनी व वियतनाम में भी सफल प्रयोग कर चुका है। भारतवर्ष में भी उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, बिहार आदि प्रदेशों में उसने सफल आयोजन किये हैं।
कर्नल नीलेश इंगले सीनियर कंसल्टिंग एडीटर आई सी एन ने अत्यंत रुचिपूर्ण ढंग से अपने वर्कशॉप को प्रस्तुत करते हुये ज़मीन से जुड़े हुये अपने अनेक सफल प्रयोगों की कहानियाँ प्रस्तुत कीं और यह बताया कि किस प्रकार उनके प्रयोगों ने ग्रामीण क्षेत्रों में नये रोज़गार सृजित किये और गाँवों से रोजगार की खोज में महानगरों की ओर पलायन करने वाले लोगों का ‘रिवर्स माइग्रेशन’ संभव हो रहा है। उन्होने ग्रामीण उद्यमिता की अनेक सफल तकनीकों का प्रस्तुतीकरण किया और ग्रामीण उद्यमिता के माध्यम से नये भारत का खाका खींचा।
कार्यक्रम का सफल संचालन गौरवेंद्र प्रताप सिन्हा ने किया। कार्यक्रम में अनेक प्रतिभागियों के साथ नज़्म मुस्तफा, कंसल्टिंग एडीटर आई सी एन, अखिल श्रीवास्तव, एडीटर आई सी एन व आमिर हनीफ़, ब्यूरो चीफ़ आई सी एन – उत्तर प्रदेश ने भी भाग लिया।
धन्यवाद ज्ञापन सत्येन्द्र कुमार सिंह, एडीटर आई सी एन व डीन सिम्स ने किया।
प्रोफेसर के.वी.नागराज, चीफ़ एडवाइजर एडीटर आई सी एन, राकेश लोहुमी सीनियर एडीटर आई सी एन एवं प्रोफेसर प्रदीप माथुर, चेयरमैन सिम्स व चीफ कंसल्टिंग एडीटर आई सी एन ने इस अवसर पर अपनी डिजिटल उपस्थिति के माध्यम से समाज को और बेहतर बनाने के लिये ग्रामीण उद्यमिता मिशन को समय की सबसे महत्वपूर्ण व त्वरित आवश्यकता बताया व आई सी एन व सिम्स के संयुक्त प्रयासों की प्रसंसा की।