डॉ. शाह आलम राना, एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN लखनऊ: एक दूसरे से आगे निकलने की आपाधापी, स्वार्थ और आत्मकेंद्रित होती जा रही इस दुनिया में किसी भी जन नायक को भुला देने के लिए डेढ़ सौ वर्ष कम नहीं होते। जब हमारे ही लोग उस गौरवशाली विरासत की शानदार धरोहर को सहेज कर न रख पा रहे हो तो सत्ता को कोसने का क्या मतलब? दरअसल इतिहासकी भी दो किस्में हैं। एक तो राजा, रजवाड़ों, रियासतों, ताल्लुकेदारों, नवाबों, बादशाहों, शहंशाहों का, तो दूसरा जनता का। सत्ता का चरित्र इस तरह का होता…
Read MoreDay: July 30, 2023
कुरआन मजीद पर यह लिखकर अशफाक ने चूमा था फांसी का फंदा
डॉ. शाह आलम राना, एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN लखनऊ : अशफाक उल्ला खां एक ऐसे क्रांतिवीर जो वतन की आजादी के लिए महज सत्ताईस साल की उम्र में कुर्बान हो गए। उनकी रगों में बहता लहू का हर एक कतरा सिर्फ इस देश की आजादी के लिए ही था। वे देशभक्ति की ऐसी मिसाल हैं जिनका बस नाम ही काफी है। अशफाक के लिखे वे राज जो उनकी डायरी के पन्नों में दफ्न थे, उनकी तहें पहली बार खोली जा रही हैं। जून, 2011 गर्मियों की बात है। अशफाकके शाहजहांपुर स्थित पुश्तैनी…
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